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उत्तराखंड में प्राइवेट अस्पतालों के मनमाने बिलों पर लगेगी रोक, आयुष्मान योजना में दवाओं-जांच की सीमा भी होगी तय

  • प्राधिकरण के अफसरों ने कहा कि योजना के तहत भर्ती मरीजों के इलाज के लिए तय किए गए पैकेज में यदि कुछ बदलाव किए जाएं तो यह समस्या दूर हो सकती है। जिसके बाद स्वास्थ्य मंत्री ने मितव्ययता के लिए जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।

Himanshu Kumar Lall हिन्दुस्तान, देहरादून, हिन्दुस्तानTue, 8 April 2025 07:59 AM
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उत्तराखंड में प्राइवेट अस्पतालों के मनमाने बिलों पर लगेगी रोक, आयुष्मान योजना में दवाओं-जांच की सीमा भी होगी तय

उत्तराखंड में स्वास्थ्य प्राधिकरण आयुष्मान योजना में इलाज के कई पैकेज की दरों में बदलाव करने जा रहा है। इसका मकसद योजना में मितव्ययता को बढ़ावा देने के साथ ही प्राइवेट अस्पतालों के मनमाने बिलों पर रोक लगाना है।

दरअसल, आयुष्मान योजना के तहत एक परिवार को साल में पांच लाख रुपए तक के निशुल्क इलाज की सुविधा मिलती है। इस सीमा तक परिवार के कई सदस्य अपनी बीमारियों का इलाज करा सकते हैं।

लेकिन कई बार यह देखने को मिला है कि कुछ अस्पताल मरीजों के इलाज के बिल बढ़ाने के लिए उनकी दवाओं और जांच की संख्या बढ़ा रहे हैं। इस वजह से सरकार पर अनावश्यक आर्थिक बोझ बढ़ रहा है फिर भुगतान में दिक्कत आ रही है। कुछ दिन पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के अफसरों की बैठक ली जिसमें यह विषय उठाया गया।

इस पर प्राधिकरण के अफसरों ने कहा कि योजना के तहत भर्ती मरीजों के इलाज के लिए तय किए गए पैकेज में यदि कुछ बदलाव किए जाएं तो यह समस्या दूर हो सकती है। जिसके बाद स्वास्थ्य मंत्री ने मितव्ययता के लिए जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।

उत्तराखंड स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि आयुष्मान योजना के तहत प्रदेश के लाखों परिवारों को निशुल्क इलाज की सुविधा मिल रही है। हमारा प्रयास है कि अधिक से अधिक लोग इस योजना का लाभ उठाएं। लेकिन कोई अस्पताल इलाज के नाम पर गैरजरूरी बिल बढ़ाए यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके लिए प्राधिकरण को मितव्ययता के लिए जरूरी कदम उठाने को कहा गया है।

दवाओं और जांच की सीमा तय होगी

प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि आयुष्मान योजना के तहत कई बार अस्पताल भर्ती मरीजों को एक ही दिन में कई दवाएं एवं जांच करा देते हैं। जबकि सामान्य इलाज के दौरान महंगी दवाओं और जांच की जरूरत नहीं होती। ऐसे में दवाओं के लिए कुछ मानक तय किए जा रहे हैं। इसके साथ ही जांच आदि के लिए भी ठोस कारण होना जरूरी किया जा रहा है।

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