सरकारी स्कूलों में उर्दू की किताब का बदलेगा नाम, इब्तदई के बजाय शहनाई-सितार पढ़ेंगे
- शिक्षा विभाग ने यह कदम छात्रों को उर्दू भाषा से जोड़ने और इसे अधिक आकर्षक बनाने के उद्देश्य से उठाया है। नैनीताल जिले के प्रभारी मुख्य शिक्षाधिकारी कक्षा पुष्कर लाल टम्टा ने मुताबिक अगले सत्र से छात्रों के लिए पुस्तकों की जो डिमांड शासन से मांगी गई है।
उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में उर्दू की किताबों के नाम में बदलाव किया जा रहा है। राज्य में अब अगले शैक्षणिक सत्र से कक्षा 1, 2 और 3 में उर्दू की किताबों के नाम इब्तदई के बजाय शहनाई और सितार होंगे।
बताया जा रहा है कि शिक्षा विभाग ने यह कदम छात्रों को उर्दू भाषा से जोड़ने और इसे अधिक आकर्षक बनाने के उद्देश्य से उठाया है। नैनीताल जिले के प्रभारी मुख्य शिक्षाधिकारी कक्षा पुष्कर लाल टम्टा ने मुताबिक अगले सत्र से छात्रों के लिए पुस्तकों की जो डिमांड शासन से मांगी गई है।
उसमें कक्षा 1 और दो में उर्दू की पुस्तक इब्तदई के बजाय शहनाई और कक्षा तीन में सितार किए जाने की योजना है। वहीं कक्षा तीन में हिन्दी की अब तक आने वाली रिमझिम की पुस्तक मल्हार नाम से आएगी।
पहली बार मिलेगी पुस्तक
अफसरों ने बताया कि स्कूलों में अब कला और व्यायाम की पुस्तक को भी पहली बार लागू किए जाने पर विचार किया जा रहा है। अब कक्षा तीन में कला एवं कक्षा 6 में कला की पुस्तक कीर्ति नाम से छात्रों दी जाएगी। व्यायाम शिक्षा की पुस्तक खेल यात्रा भी अगले सत्र से छात्रों मिलेगी।
कुछ किताबों के नाम में बदलाव करने की योजना है। इस पर अभी कवायद की जा रही है। छात्र-छात्राओं को अच्छी शिक्षा मिले। इसके लिए तेजी से काम किए जा रहे हैं।-आशा रानी, अपर निदेशक, राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद उत्तराखंड
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