UP-बिहार वालों को बांटा करोड़ों का लोन डूबा, सहकारी बैंकों में नहीं जमा कराया रुपया
- यूपी-बिहार वालों को आधार-वोटर कार्ड पर लोन दे दिया है। अकेले देहरादून की तिलक रोड ब्रांच का ही पांच करोड़ का बांटा गया लोन फंस गया है।
को-ऑपरेटिव बैंकों की ओर से ई-रिक्शा के नाम पर बांटा गया 20 करोड़ लोन का बड़ा हिस्सा डूब गया है। न लोन लेने वालों ने पैसा जमा कराया और न ही राज्य सहकारी बैंक के अफसर लोन वापस कराने में दिलचस्पी ले रहे हैं। यूपी-बिहार वालों को आधार-वोटर कार्ड पर लोन दे दिया है।
अकेले देहरादून की तिलक रोड ब्रांच का ही पांच करोड़ का बांटा गया लोन फंस गया है। सरकार ने उत्तराखंड में स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए ई-रिक्शा योजना शुरू की। लोगों को बिना सिक्योरिटी, बिना इनकम प्रूफ के लोन बांटा गया।
बैंकों ने सवा लाख से लेकर डेढ़ लाख तक का ऋण दिया। पर, बड़ी संख्या में लोगों ने लोन नहीं लौटाया। इस मामले की जांच हुई। रिपोर्ट में भी ई-रिक्शा लोन आवंटन में गड़बड़ियों की पुष्टि की गई।
एमडी-राज्य सहकारी बैंक ने कुछ शाखाओं की पड़ताल की तो तिलक रोड ब्रांच में सबसे अधिक गड़बड़ियां मिलीं। न सिर्फ लोन बांटने की प्रक्रिया में गड़बड़ी की गई, बल्कि बांटे गए ऋण की वसूली में भी लापरवाही बरती जा रही है। पांच करोड़ का लोन एनपीए हो गया।
इस पर कार्रवाई से पहले ब्रांच अफसरों का जवाब तलब किया गया है। एमडी नीरज बेलवाल ने बताया कि बैंकों को पूरा ऋण वसूल किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। ई-रिक्शा मद में एनपीए को पूरी तरह समाप्त करने को कहा गया है।
यूपी-बिहार वालों को आधार-वोटर कार्ड पर दे दिया लोन
अफसरों ने लोन आवंटन की शर्तों को बदल कर यूपी, बिहार, झारखंड, हरियाणा के लोगों को ई-रिक्शा लोन बांट दिया। ऋण बांटते समय आवेदकों के स्थायी निवास प्रमाण पत्र देखे जाने थे। बैंकों ने स्थायी निवास की बजाय सीधे आधार कार्ड, वोटर कार्ड के आधार पर ही ऋण बांट दिए। ई-रिक्शा लोन आवंटन में गड़बड़ी का खुलासा राज्य सहकारी बैंक के निवर्तमान निदेशक मनोज पटवाल ने ही किया था। उनकी ही शिकायत पर सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने इस मामले में जांच के निर्देश दिए थे।
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