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बीएड की फर्जी डिग्री लगाकर बने सरकारी टीचर की जेल में कटेगी रात, फर्जीवाड़ा का ऐसे हुआ खुलासा

  • फर्जी शिक्षक द्वारा विश्वविद्यालय से कोई भी बीएड की डिग्री जारी नहीं पाई गई। शासन स्तर से एसआईटी जांच कराई गई, जिसके बाद शिक्षा विभाग रुद्रप्रयाग द्वारा संबंधित शिक्षक के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया गया।

Himanshu Kumar Lall हिन्दुस्तान, रुद्रप्रयाग, हिन्दुस्तानWed, 16 Oct 2024 02:46 PM
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बीएड की फर्जी डिग्री के आधार पर शिक्षा विभाग में नौकरी करने वाले शिक्षक को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने 5 साल के कठोर कारावास और 10 हजार रुपये के जुर्माने से दंडित करने की सजा सुनाई है।

दोषी शिक्षक को न्यायिक अभिरक्षा में पुरसाड़ी जेल भेज दिया गया है। मामले में राज्य सरकार की ओर से प्रभावी पैरवी अभियोजन अधिकारी प्रमोद चन्द्र आर्य एवं विनीत उपाध्याय ने की।

जनपद रुद्रप्रयाग निवासी अरविन्द कुमार पुत्र राम प्रसाद ने अपनी बीएड की फर्जी डिग्री के आधार पर शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक की नौकरी प्राप्त की। शिक्षा विभाग की एसआईटी एवं विभागीय जांच के अनुसर उक्त शिक्षक की बीएड की डिग्री का सत्यापन कराया गया, जिसमें डिग्री को लेकर चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ से शिक्षा विभाग को जांच आख्या मिली।

जिसमें उक्त फर्जी शिक्षक द्वारा विश्वविद्यालय से कोई भी बीएड की डिग्री जारी नहीं पाई गई। शासन स्तर से एसआईटी जांच कराई गई, जिसके बाद शिक्षा विभाग रुद्रप्रयाग द्वारा संबंधित शिक्षक के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया गया।

फर्जी शिक्षक को तत्काल निलंबित कर बर्खास्त किया गया। जबकि मामला मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष लाया गया। मंगलवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अशोक कुमार सैनी की अदालत ने उक्त शिक्षक अरविन्द कुमार को फर्जी बीएड की डिग्री वर्ष 2002 के आधार पर नौकरी प्राप्त करने के संबंध में दोषी पाते हुए धारा 420 भादंसं,1860 के अंर्तगत 5 वर्ष का कठोर कारावास की सजा तथा 10 हजार रुपये के जुर्माने से दंडित करने की सजा सुनाई।

जुर्माना अदा ना करने पर तीन माह का अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतने का भी फैसला सुनाया गया। दोषी शिक्षक को न्यायिक अभिरक्षा में पुरसाड़ी जेल भे दिया गया। मामले में राज्य सरकार की ओर से प्रभावी पैरवी अभियोजन अधिकारी प्रमोद चन्द्र आर्य एवं विनीत उपाध्याय द्वारा की गई है।

आयोग ने 180 अभ्यर्थियों को अभ्यर्थन निरस्त किया

उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने राजकीय दुग्ध एवं गन्ना पर्यवेक्षक परीक्षा-2023 से करीब 180 अभ्यर्थियों का अभ्यर्थन निरस्त कर दिया है। निर्धारित न्यूनतम आयु सीमा से कम आयु होने के कारण इन अभ्यर्थियों का अभ्यर्थन निरस्त किया गया है। उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के सचिव गिरधारी सिंह रावत की ओर से राजकीय दुग्ध एवं गन्ना पर्यवेक्षक परीक्षा से अभ्यर्थन निरस्त करने वाले अभ्यर्थियों की रोल नंबर की सूची आयोग की वेबसाइट पर जारी कर दी गई है।

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