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गंगोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद, मां गंगा के यहां होंगे दर्शन; केदारनाथ-यमुनोत्री की 3 नवंबर है तारीख

  • गंगोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं। जबकि, केदारनाथ और यमुनोत्री धामों के कपाट कल रविवार को 3 नवंबर को बंद कर दिए जाएंगे। कपाट बंदी के लिए तैयारी शुरू कर दी गई है।

Himanshu Kumar Lall हिन्दुस्तान, उत्तरकाशी, लाइव हिन्दुस्तानSat, 2 Nov 2024 12:41 PM
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गंगोत्री धाम के कपाट 2 नवंबर को अन्नकूट पर्व पर विधिवत पूजा अर्चना के साथ 12:15 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। इसके बाद मां गंगा की उत्सव डोली शीतकालीन पड़ाव मुखीमठ (मुखबा) के लिए रवाना हुई। डोली रविवार को मुखबा पहुंचेगी।

श्रद्धालु अब आगामी छह माह तक मुखीमठ (मुखबा) में ही मां गंगा के दर्शन कर सकेंगे। इसके बाद केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट 3 नवंबर को शीतकाल के लिए बंद होंगे। यमुनोत्री और केदारनाथ मंदिर में कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

केदारनाथ के कपाट भैयादूज पर तीन नवंबर को प्रात 8:30 बजे शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगे। इससे पहले बीते मंगलवार को श्री भकुंट भैरवनाथ जी के कपाट बंद किए गए। श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि केदारनाथ मंदिर को कपाट बंदी के लिए 10 क्विंटल फूलों से सजाया गया है।

कपाट बंद होने के बाद शीतकाल में ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में बाबा केदार के दर्शन होंगे। 17 नवंबर को श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद हो रहे हैं। श्री गंगोत्री धाम के कपाट शनिवार को बंद होंगे।

जबकि जबकि यमुनोत्री धाम के कपाट केदारनाथ मंदिर के साथ तीन नवंबर को बंद होंगे। इसके अलावा पंचकेदारों में शामिल तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट चार नवंबर और द्वितीय केदार मद्महेश्वर के कपाट 20 नवंबर को शीतकाल के लिए बंद होंगे।

गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने की तैयारी शनिवार को सुबह 9:30 पर शुरू हुई। सर्व प्रथम उदय बेला पर मां गंगा के मुकुट को उतारा गया। इस बीच श्रद्धालुओं ने मां के भोग मूर्ति के दर्शन किए। इसके बाद अमृत बेला, स्वाती नक्षत्र प्रीतियोग शुभ लग्न पर ठीक 12:14पर गंगोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ बंद किए गए।

इस दौरान तीर्थ पुरोहितों ने विशेष पूजा व गंगा लहरी का पाठ किया। डोली में सवार होकर गंगा की भोगमूर्ति जैसे ही मंदिर परिसर से बाहर निकली तो पूरा माहौल भक्तिमय हो उठा। आर्मी बैंड की धुन और परंपरागत ढोल दमाऊ की थाप के साथ 12: 20 पर तीर्थ पुरोहित गंगा की डोली को लेकर शीतकालीन प्रवास मुखबा गांव के लिए पैदल रवाना हुए।

रात्रि विश्राम के लिए गंगा की डोली मुखबा से चार किमी पहले चंदोमति के देवी के मंदिर में पहुंचेगी। जहां भैया दूज पर रविवार दो नवम्बर की सुबह मां गंगा की डोली चंदोमती माता मंदिर से मुखीमठ स्थित गंगा मंदिर में पहुंचेगी।

जहां आगामी छह माह तक मां गंगा की विधिवत पूजा अर्चना की जाएगी। इस मौके पर मंदिर समिति के अध्यक्ष धर्मानंद सेमवाल, सचिव सुरेश सेमवाल,राजेश सेमवाल, सहित मंदिर समिति के अधिकारी मौजूद रहे।

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