Hindi Newsउत्तराखंड न्यूज़Financial assistance will be provided equally in case of bus accidents Dhami government is preparing to find a formula

बस एक्सीडेंट में एक समान मिलेगी आर्थिक सहायता, धामी सरकार की फॉर्मूला तलाशने की यह तैयारी

  • मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यात्रियों को सरल और सुरक्षित परिवहन सेवाएं देना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। दुर्भाग्य से कभी कोई हादसा हो जाता है और उसमें जनहानि होती है तो उस स्थिति में प्रभावित परिवार को संबल देना सरकार की जिम्मेदारी है।

Himanshu Kumar Lall हिन्दुस्तान, देहरादून, चंद्रशेखर बुड़ाकोटीMon, 30 Dec 2024 10:22 AM
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उत्तराखंड में सड़क हादसों में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों की तत्काल आर्थिक सहायता के मानक को एकसमान किया जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को इसका फार्मूला तैयार करने के निर्देश दिए हैं। वर्तमान में रोडवेज की बस और प्राइवेट ऑपरेटर की बस के दुर्घटनाग्रस्त होने पर आर्थिक सहायता के मानकों में काफी अंतर है।

वर्तमान में राज्य में रोडवेज के साथ ही जीएमओयू, केएमओयू समेत कई प्राइवेट बस कंपनियां भी यात्री सेवाएं दे रही हैं। खासकर जिन पर्वतीय क्षेत्रों में रोडवेज बस नहीं चलाता, वहां प्राइवेट ऑपरेटर लोगों को यातायात की सुविधाएं दे रहे हैं। लेकिन किसी अनहोनी की स्थिति में मृतक यात्री के परिवार के तात्कालिक आर्थिक सहायता एक समान नहीं है।

रोडवेज की बस के दुर्घटनाग्रस्त होने पर मृतक को रोडवेज अपने फंड से पांच लाख रुपये देता है। इसके बाद आश्रितों व्यक्ति आयु, आर्थिक स्थिति व अन्य पहलुओं के आधार पर अधिक क्लेम के लिए दावा कर सकते हैं। प्राइवेट ऑपरेटर की बस के साथ तत्काल पांच लाख देने की सुविधा नहीं है। इसके लिए आश्रितों को बीमा कंपनी-कोर्ट में ही क्लेम करना पड़ता है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यात्रियों को सरल और सुरक्षित परिवहन सेवाएं देना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। दुर्भाग्य से कभी कोई हादसा हो जाता है और उसमें जनहानि होती है तो उस स्थिति में प्रभावित परिवार को संबल देना सरकार की जिम्मेदारी है।

वर्तमान में रोडवेज और अन्य वाहनों में मृतक आश्रितों को तात्कालिक आर्थिक सहायता के मानक में अंतर है। अधिकारियों एक समान व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे पीड़ित परिवार को ज्यादा आर्थिक सहायता मिल सके।

निजी बस मालिकों के पास नहीं तत्काल मदद को फंड

जीएमओयू के पूर्व अध्यक्ष जीत सिंह पटवाल बताते हैं कि निजी मोटर आपरेटर प्रतिवर्ष अपने वाहन का थर्डपाटी बीमा कराते हैं। किसी अनहोनी की स्थिति में बीमा कंपनी से ही क्लेम करना होता है। बस मालिक के पास तत्काल सहायता देने के लिए कोई अतिरिक्त फंड नहीं होता।

रोडवेज के पूर्व जीएम दीपक जैन के अनुसार रोडवेज की बसों का बीमा नहीं होता है। रोडवेज ने इसके लिए अपना अलग से फंड रखा है। मृतक यात्री के आश्रित को तत्काल पांच लाख रुपये दिए जाते हैं। इसके बाद पीड़ित अधिक क्लेम के लिए दावा कर सकते हैं। कई बार यह क्लेम एक करोड़ रुपये तक भी हो जाता है।

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