Hindi Newsउत्तराखंड न्यूज़ED takes big action against former Uttarakhand minister Harak Singh Rawat, gives blow of Rs 70 crore

उत्तराखंड में पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत के खिलाफ ईडी की बड़ी कार्रवाई, दिया 70 करोड़ रुपए का झटका

  • हरक सिंह रावत राज्य के पूर्व वन मंत्री हैं। उन्होंने 2022 के उत्तराखंड विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा छोड़ दी थी और कांग्रेस में शामिल हो गए थे। ईडी की कार्रवाई को लेकर उनकी प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी।

Sourabh Jain पीटीआईWed, 22 Jan 2025 11:35 PM
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उत्तराखंड में पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत के खिलाफ ईडी की बड़ी कार्रवाई, दिया 70 करोड़ रुपए का झटका

उत्तराखंड के पूर्व वन मंत्री और कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत के खिलाफ ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने हाल ही में एक बड़ी कार्रवाई करते हुए देहरादून में स्थित उनकी 70 करोड़ रुपए की 101 बीघा जमीन को अटैच कर लिया।

इस बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय एजेंसी ने एक बयान में कहा कि रावत ने कुछ अन्य लोगों के साथ मिलकर देहरादून के सहसपुर में स्थित इस जमीन को हड़पने की साजिश रची थी, जिसके बाद ईडी ने 20 जनवरी को पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) के तहत एक आदेश जारी होने के बाद 101 बीघा के इन दो भूखंडों को अस्थायी रूप से कुर्क कर लिया।

ईडी ने बताया कि अटैच की गई जमीन की रजिस्टर्ड कीमत तो मात्र 6.56 करोड़ रुपए है, लेकिन इसका वर्तमान बाजार मूल्य 70 करोड़ रुपए से ज्यादा है।

64 वर्षीय रावत राज्य के पूर्व वन मंत्री हैं। उन्होंने 2022 के उत्तराखंड विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा छोड़ दी थी और कांग्रेस में शामिल हो गए थे। ईडी की कार्रवाई को लेकर उनकी प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी।

धन शोधन का मामला उत्तराखंड पुलिस द्वारा रावत के करीबी सहयोगी बीरेंद्र सिंह कंडारी और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ दर्ज की गई FIR से सामने आया है। ईडी ने दावा किया कि अदालत के जमीनों की बिक्री को रद्द करने के स्पष्ट आदेश के बावजूद, दिवंगत सुशीला रानी ने अन्य व्यक्तियों के साथ साजिश करते हुए कंडारी और नरेंद्र कुमार वालिया (इन जमीनों के लिए) के नाम पर दो पावर ऑफ अटॉर्नी (पीओए) पंजीकृत की थीं।

धन शोधन का मामला उत्तराखंड पुलिस द्वारा रावत के करीबी सहयोगी बीरेंद्र सिंह कंडारी और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ दर्ज की गई FIR से सामने आया है। ईडी ने दावा किया कि अदालत के जमीनों की बिक्री को रद्द करने के स्पष्ट आदेश के बावजूद, दिवंगत सुशीला रानी ने अन्य व्यक्तियों के साथ साजिश करते हुए कंडारी और नरेंद्र कुमार वालिया (इन जमीनों के लिए) के नाम पर दो पावर ऑफ अटॉर्नी (पीओए) पंजीकृत की थीं।

एजेंसी ने कहा कि कंडारी ने 'पावर ऑफ अटॉर्नी' का उपयोग करके रावत की पत्नी दीप्ति रावत और लक्ष्मी राणा को मामूली राशि पर ये जमीनें बेच दीं, जो सरकारी राजस्व प्राधिकरण द्वारा निर्धारित सर्किल दरों से बहुत कम थी। दीप्ति रावत द्वारा खरीदी गई जमीन अब दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (डीआईएमएस) का हिस्सा है, जिसे श्रीमती पूर्णा देवी मेमोरियल ट्रस्ट के तहत संचालित किया जाता है।

दीप्ति रावत इस ट्रस्ट की अध्यक्ष हैं। ईडी ने आरोप लगाया कि ट्रस्ट का नियंत्रण हरक सिंह रावत के परिवार और दोस्तों द्वारा किया जाता है। इसमें कहा गया है, 'दीप्ति रावत और लक्ष्मी राणा ने बीरेंद्र सिंह कंडारी, हरक सिंह रावत, दिवंगत सुशीला रानी और अन्य व्यक्तियों द्वारा रची गई साजिश के तहत उक्त भूमि को अपने नाम पर पंजीकृत कराने में कामयाबी हासिल की।'

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