उत्तराखंड से लव-लैंड, थूक जेहाद का कलंक मिटाकर दम लेंगे, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की चेतावनी
- उत्तराखंड से रामायण की कई घटनाओं का सीधा संबंध रहा है। हनुमान चमोली के द्रोणागिरी पर्वत से संजीवनी लेकर आए। श्रीराम के कुलगुरु वशिष्ठ की तपस्थली ऋषिकेश के पास विसोन पर्वत पर है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड की डेमोग्राफी को बदलने के हर प्रयास को सरकार विफल करेगी। उत्तराखंड से लैंड जेहाद, मजार जेहाद, लव जेहाद और थूक जेहाद का कलंक मिटाकर ही दम लेंगे।
कहा कि उत्तराखंड का मूल स्वरूप बरकरार रखने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। यहां की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत सदैव संरक्षित रहेगी। बाल युवा संघ बन्नू बिरादरी की ओर से परेड ग्राउंड में शनिवार देर शाम आयोजित दशहरा मेले में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए सीएम धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण से हमारे सांस्कृतिक मूल्यों को पुनर्जीवित करने का काम किया।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड से रामायण की कई घटनाओं का सीधा संबंध रहा है। हनुमान चमोली के द्रोणागिरी पर्वत से संजीवनी लेकर आए। श्रीराम के कुलगुरु वशिष्ठ की तपस्थली ऋषिकेश के पास विसोन पर्वत पर है। ऐसे ही तथ्यों को ध्यान में रखकर रामनगर के पास पवलगढ़ रिजर्व का नाम बदलकर सीताबनी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी किया गया।
यह वही पवित्र भूमि है, जहां माता सीता महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में रहीं। उन्होंने कहा कि अयोध्या की पावन भूमि पर उत्तराखंड की पावन धरती से जाने वालों की सुविधा के लिए उत्तराखंड भवन का निर्माण जल्द पूरा होगा। उन्होंने आगे कहा, भगवान श्रीराम सबको सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दें।
दशहरा पर्व न सिर्फ हमारी संस्कृति का अहम हिस्सा है, बल्कि यह हमें रावण के अहंकारी जीवन से सीख लेने की प्रेरणा देता है। कोई अधर्मी कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, यदि हम सच्चाई, धर्म के मार्ग पर चलते रहें तो जीत हमारी ही होगी।
हम सिर्फ पुतला दहन ही न करें, बल्कि अपने भीतर मौजूद बुराइयों का भी अंत करें। आज हम सब भगवान राम के आदर्श अपनाकर अपने भीतर की बुराइयां त्यागने का संकल्प लेकर जाएं। इस दौरान राज्यसभा सांसद नरेश बंसल, मंत्री गणेश जोशी, बन्नू बाल युवा संघ दशहरा कमेटी के प्रधान संतोख नागपाल, किशनलाल आहूजा और हरीश डोरा मौजूद रहे।
इधर सीएम का भाषण, उधर परिक्रमा करते रहे श्रीराम और लक्ष्मण
जब तक मंच से धामी का संबोधन चलता रहा। श्रीराम-लक्ष्मण और हनुमान, रावण समेत कुंभकरण और मेघनाद के पुतले की परिक्रमा करते रहे। सीएम भी अपना सम्बोधन पूरा कर पुतलों तक पहुंचे। इसके बाद हनुमान ने लंका में आग लगाई। थोड़ी देर बाद कुंभकरण, मेघनाद, सबसे अंत में रावण का पुतला जलाया गया।
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