Hindi Newsउत्तराखंड न्यूज़After Delhi Uttarakhand capital Dehradun is hit by air pollution AQI again crosses 200

दिल्ली के बाद उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में वायु प्रदूषण की मार, AQI फिर हुआ 200 के पार

  • पिछले कुछ दिनों तक दून में आबोहवा काफी साफ थी। जिस कारण एयर क्वालिटी इंडेक्स 70 से 80 के बीच यानी अच्छी स्थिति में था, लेकिन पिछले चार-पांच दिन से अचानक हवा की गुणवत्ता खराब होने लगी थी।

Himanshu Kumar Lall हिन्दुस्तान, देहरादून, ओमप्रकाश सतीSat, 4 Jan 2025 06:55 AM
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देश की राजधानी दिल्ली के बाद उत्तराखंड की राजधानी देहरादून शहर की आबोहवा अचानक खराब हो गई है। यहां एक्यूआई का स्तर दो सौ से ऊपर पहुंच गया है, जो कि कुछ दिन पहले तक 70 से 80 था।

एक्यूआई बढ़ने के पीछे पिछले कुछ दिनों में शहर में जल रहे अलाव, होटलों के तंदूर और पर्यटकों के वाहनों का धुआं मुख्य वजह बताया जा रहा है। दून विवि के पर्यावरण विभाग की निगरानी में ये चिंताजनक तस्वीर सामने आ रही है।

पिछले कुछ दिनों तक दून में आबोहवा काफी साफ थी। जिस कारण एयर क्वालिटी इंडेक्स 70 से 80 के बीच यानी अच्छी स्थिति में था, लेकिन पिछले चार-पांच दिन से अचानक हवा की गुणवत्ता खराब होने लगी थी।

वर्तमान समय में एक्यूआई दो सौ से ऊपर पहुंच गया है, जो कि खराब स्थिति में आता है। इस वक्त हवा में धुएं और धूल से आने वाले खतरनाक पीएम-2.5 कणों का घनत्व काफी बढ़ गया है, जो कि सीधे सांस के साथ अंदर जाते हैं, जिससे सांस और फेफड़ो के अलावा स्किन की कई बीमारियां हो सकती हैं।

पीसीबी के सदस्य सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते कहते हैं कि प्रदूषण बढ़ने के पीछे मुख्य वजह वाहनों का धुआं है। वहीं, आग और खाना बनाने के लिए जलने वाले तंदूर चूल्हे भी प्रदूषण फैला रहे हैं। प्रदूषण नियंत्रण को लेकर प्रभावी रणनीति तैयार करने को इस क्षेत्र में काम करने वाले विशेषज्ञों की भी मदद ली जाएगी।

वाहनों की संख्या बढ़ने से भी वायु प्रदूषण में हो रहा इजाफा

देहरादून विवि के पर्यावरण विभाग के वैज्ञानिक प्रो. विजय श्रीधर के अनुसार, पिछले कुछ दिनों से शहर में पर्यटकों की संख्या बढ़ी है। जिस कारण वाहनों की संख्या भी बढ़ी है, जिनके धुएं से हवा खराब हो रही है।

हवाएं न चलने की वजह से प्रदूषण के कण बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से अलाव भी जलाए जा रहे हैं। लोग भी अपने घरों और अन्य जगहों र ठंड से बचने के लिए आग जला रहे हैं। होटलों, ढाबे और रेस्टोरेंटों का कारोबार बढ़ने से उनमें जलने वाले तंदूर से भी खतरनाक धुएं की मात्रा ज्यादा हवा में आ रही है।

इलेक्ट्रिक तंदूर और अलाव में कोयले को जलाने की सलाह

प्रो.विजय श्रीधर के अनुसार, कुछ शहरों में प्रशासन की ओर से अलाव में लकड़ियां जलाने की व्यवस्था बंद कर दी गई है। वहां या तो इलेक्ट्रिक हीटर दिए गए हैं या कोयला जलाया जाता है, क्योंकि कोयले में चारकोल जलने से धुआं नहीं फैलता।

होटल-ढाबे, रेस्टोरेंट में भी परंपरागत तंदूर प्रतिबंधित कर दिए गए हैं, उनकी जगह इलेक्ट्रिक तंदूर चलन में आ गए हैं। यहां भी सरकार और पीसीबी सहित अन्य एजेंसियों को इस ओर सोचना होगा। हमने भी पीसीबी को सुझाव दिए थे, मगर कार्रवाई नहीं हुई।

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