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यूपी में निजी बस अड्डे बनाने की नीति को योगी कैबिनेट की मंजूरी, कौन खोल सकता है, क्या फायदा

यूपी की योगी कैबिनेट ने मंगलवार को प्रदेश में निजी बस अड्डों को बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। बस अड्डों के निर्माण के लिए क्या-क्या योग्यताएं होनी चाहिए और इनके निर्माण से क्या-क्या फायदे होंगे, यह भी बताया गया है।

Yogesh Yadav लखनऊTue, 6 May 2025 03:49 PM
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यूपी में निजी बस अड्डे बनाने की नीति को योगी कैबिनेट की मंजूरी, कौन खोल सकता है, क्या फायदा

यूपी की योगी कैबिनेट ने मंगलवार को यूपी स्टेज कैरेज बस टर्मिनल, कॉन्ट्रैक्ट कैरेज और आल इंडिया टूरिस्ट बस पार्क (स्थापना और विनियमन) नीति-2025 को मंजूरी दे दी। इसके तहत राज्य के सभी जिलों में निजी बस अड्डे खोले जा सकेंगे। वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिये गए निर्णयों की जानकारी देते हुए बताया कि यह बस अड्डे खोलने के लिए आवेदक के पास क्या योग्यताएं होनी चाहिए। इनके खुलने से क्या-क्या फायदे होंगे।

खन्ना ने बताया कि प्रदेश में लगातार बढ़ते सड़क सम्पर्क और मूलभूत ढांचे के विकास के साथ-साथ बसों की संख्या भी बहुत ज्यादा बढ़ गई है। उनकी पार्किंग के लिये होने वाली समस्या और आवश्यकता को देखते हुए आज एक विशेष नीति को मंजूरी दी गई है। इसमें विशेष रूप से निजी भागीदारी के माध्यम से यह व्यवस्था की जा रही है कि दो एकड़ जमीन पर निजी बस स्टैंड की व्यवस्था की जाए। उन्होंने बताया कि नई नीति के तहत जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक नियामक प्राधिकरण का गठन किया जाएगा जो स्टेज कैरेज बस टर्मिनलों, कॉन्ट्रैक्ट कैरेज पार्कों और आल इंडिया टूरिस्ट बस पार्कों की स्थापना के लिये आवेदन आमंत्रित करेगा।

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खन्ना ने बताया कि नियामक प्राधिकरण में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक या आयुक्त क्षेत्रों में पुलिस आयुक्त द्वारा नामित अधिकारी, नगर आयुक्त या विकास प्राधिकरण के सचिव, नगर पालिका/नगर पंचायत के कार्यकारी अधिकारी, संबंधित उप-मंडल मजिस्ट्रेट, पुलिस के क्षेत्राधिकारी, सहायक क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (प्रवर्तन), परिवहन निगम के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक, लोक निर्माण विभाग के कार्यकारी अभियंता और अध्यक्ष द्वारा नामित विषय विशेषज्ञ सदस्य के रूप में शामिल होंगे।

उन्होंने बताया कि इस नीति के तहत बस टर्मिनल या पार्क स्थापित करने की पात्रता के लिए आवेदक के पास कम से कम दो एकड़ जमीन, कम से कम 50 लाख रुपये की शुद्ध संपत्ति और पिछले वित्तीय वर्ष में दो करोड़ रुपये का कारोबार होना चाहिए। खन्ना ने बताया कि नीति में आवेदक द्वारा स्थापित किए जा सकने वाले टर्मिनलों की संख्या को राज्य भर में 10 से अधिक नहीं, एक जिले में दो से अधिक नहीं और एक ही मार्ग पर एक से अधिक नहीं रखा जा सकता है। निजी संस्थाओं को 10 वर्ष की अवधि के लिए परिचालन अधिकार दिए जाएंगे और संतोषजनक प्रदर्शन के आधार पर अगले 10 वर्षों के लिए नवीनीकरण की संभावना होगी।

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उन्होंने बताया कि ऐसे बस अड्डों का स्वामित्व किसी अन्य कानूनी संस्था को हस्तांतरित किया जा सकता है लेकिन वह पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी होने की तिथि से एक वर्ष के बाद ही हो सकेगा। विनियामक प्राधिकरण के पास ऑपरेटर को सुनवाई का अवसर प्रदान करने के बाद कुछ परिस्थितियों में प्राधिकरण को निलंबित या रद्द करने की शक्ति भी होगी। खन्ना ने बताया कि विनियामक प्राधिकरण के किसी भी आदेश के विरुद्ध शिकायत के मामले में बस टर्मिनल ऑपरेटर संभागीय आयुक्त के समक्ष अपील दायर कर सकता है जो नीति के तहत अपीलीय प्राधिकरण के रूप में काम करेगा।

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