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मायावती सबसे विश्वासपात्र समधी अशोक सिद्धार्थ को हटाकर क्या देना चाहती हैं संदेश? जानिए

  • बसपा सुप्रीमो मायावती सबसे विश्वासपात्र समधी अशोक सिद्धार्थ को हटाकर कार्यकर्ताओं का बड़ा संदेश दिया है। मायावती का संदेश साफ है कि पार्टी सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं करेगी। चाहे वह कोई पदाधिकारी-नेता और काडर से या कोई नाते-रिश्तेदार हैं।

Deep Pandey हिन्दुस्तान, लखनऊ, शैलेंद्र श्रीवास्तवFri, 14 Feb 2025 08:06 AM
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मायावती सबसे विश्वासपात्र समधी अशोक सिद्धार्थ को हटाकर क्या देना चाहती हैं संदेश? जानिए

पार्टी से न कोई पदाधिकारी-नेता और काडर से न कोई नाते-रिश्तेदार या समधी बड़ा है। मायावती ने अपने सबसे विश्वासपात्र सिपहसालार रहे समधी अशोक सिद्धार्थ के पर कतर कर कुछ ऐसा ही संदेश दिया है। उन्होंने गर्दिश के दिनों में पहुंच चुकी या यूं कहें-चाहे हरियाणा का विधानसभा चुनाव हो या दिल्ली के हाल में संपन्न हुए चुनाव में जीरो का स्वाद चख रही बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं के लिए भी बड़ा संदेश दिया है। संदेश साफ है कि पार्टी सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं करेगी।

कड़े फैसले लेने में हिचक नहीं

अपने दम पर राजनीति करने वाली बसपा सुप्रीमो मायावती कड़े फैसले के लिए जानी जाती रहीं हैं। लोकसभा चुनाव में विफलता के बाद भतीजे आकाश आनंद को अपरिपक्व बताकर सभी पदों से हटाना हो या फिर कॉडर के पुराने नेता राम अचल राजभर और लालजी वर्मा को एक झटके से पार्टी से निकालना किसी से छिपा नहीं है। बेटी की शादी आकाश आनंद से करने के बाद अशोक सिद्धार्थ का कद पार्टी में जितनी तेजी से बढ़ा था, उतनी तेजी से पार्टी में गुटबाजी भी बढ़ी। दिल्ली में हाल ही में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इन मुद्दों पर चर्चा भी हुई थी। मायावती द्वारा की गई कार्रवाई को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। कहा तो यह भी जा रहा है कि इस कार्रवाई के बहाने यह संदेश दिया गया है कि गुटबाजी छोड़ पार्टी को मजबूत करने में जुटें।

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आकाश पर उनके इशारे पर काम करने का आरोप

मायावती भतीजे आकाश आनंद को राजनीति में अपना उत्तराधिकारी बनाकर लाईं। इसीलिए लोकसभा चुनाव में उन्हें स्टार प्रचारक बनाया गया। बताया जाता है कि पार्टी स्तर पर आकाश को जो बयान लिखकर दिया गया उसके इतर वह बोले। इसके पीछे भी अशोक का हाथ माना गया। मायावती ने आकाश को हरियाणा और राजस्थान चुनाव का प्रभारी बनाया, लेकिन बताते हैं कि अशोक सिद्धार्थ के इशारे पर ही टिकट बांटे गए। कॉडर के नेताओं को छोड़ ऐसे लोगों को टिकट दिया गया, जिनका जनाधार नहीं था। दिल्ली चुनाव में आकाश के स्टार प्रचारक बनते ही अशोक पर गुटबाजी के आरोप लगने लगे। सभी राज्यों में बसपा की बुरी तरह हार हुई और पार्टी का जनाधार गिरा।

ईशान को लेकर भी गुटबाजी के आरोप

बसपा सुप्रीमो के दूसरे भतीजे ईशान उनके जन्मदिन के मौके पर दिखे। तब यह कयास लगाया जाने लगा कि उनकी भी राजनीतिक पारी शुरू होने जा रही है। यह भी चर्चा हुई कि आकाश पूरी तरह सफल नहीं हो पाए, शायद इसीलिए दूसरे भतीजे को लाने की तैयारी है। कुछ चैनलों पर ईशान को लेकर नकारात्मक खबरें चलाई गईं, तब भी यह माना गया कि इसके पीछे अशोक सिद्धार्थ का ही हाथ है। वह नहीं चाहते कि आकाश के मुकाबले दूसरा भाई खड़ा हो। अशोक सिद्धार्थ पर पुराने नेताओं की अनदेखी के भी आरोप हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि उनके प्रभावी होने पर पार्टी के पुराने नेता अपने को असहज मान रहे थे। इसीलिए उन पर कार्रवाई कर यह संदेश दिया गया कि फैसला लेने का अधिकार सिर्फ मायावती को ही है।

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