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अवैध कब्जा करने वाले कर रहे वक्फ बिल का विरोध, जेपीसी की बैठक के बाद बोले ओपी राजभर

वक्फ संशोधन विधेयक के सिलसिले में गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की मंगलवार को लखनऊ में बैठक हुई। बैठक के बाद उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने सरकार की मंशा बिल्कुल साफ है। वह वक्फ संपत्तियों का लाभ गरीब मुसलमानों को भी देना चाहती है।

Yogesh Yadav लाइव हिन्दुस्तान, लखनऊTue, 21 Jan 2025 08:57 PM
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अवैध कब्जा करने वाले कर रहे वक्फ बिल का विरोध, जेपीसी की बैठक के बाद बोले ओपी राजभर

वक्फ संशोधन विधेयक के सिलसिले में गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की मंगलवार को लखनऊ में बैठक हुई। बैठक के बाद उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने सरकार की मंशा बिल्कुल साफ है। वह वक्फ संपत्तियों का लाभ गरीब मुसलमानों को भी देना चाहती है। उन्होंने किसी का नाम लिए बगैर कहा कि जिन लोगों ने वक्फ की जमीनों पर अवैध कब्जा किया है, वे ही वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध कर रहे हैं। राजभर ने कहा कि जेपीसी सदस्यों के सामने वक्फ संपत्तियों से जुड़े विभिन्न पक्षकारों ने अपनी-अपनी बात रखी।

राजभर ने कहा कि सिर्फ दावा करने से किसी संपत्ति पर वक्फ का मालिकाना हक नहीं माना जाएगा। जमीन कितनी है और किसकी है यह स्पष्ट होना चाहिए। मालिकाना हक के लिए राजस्व रिकार्ड से कोई मानक प्रस्तावित करें। जिस पर कमेटी विचार करेगी। उन्होंने कहा कि इस विधेयक से केवल वे लोग घबरा रहे हैं जिन्होंने अवैध कब्जे कर रखे हैं। राजभर ने कहा कि विवाद की स्थिति में जांच करने का अधिकार भी होना चाहिए। प्रदेश सरकार ने 1359 फसली वर्ष का मानक तय किया है। इस फसली में संपत्ति जिसके नाम से थी, उसका माना जाएगा। प्रदेश सरकार के पास खतौनी का आधार है।

उन्होंने मंगलवार को योगी सरकार की ओर से लखनऊ में वक़्फ़ संशोधन विधेयक-2024 को लेकर हुई जेपीसी की अंतिम बैठक में विधेयक के समर्थन में कई उपयोगी सुझाव दिए हैं। लखनऊ के एक होटल में आयोजित वक़्फ़ संशोधन विधेयक 2024 पर बनी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक में सरकार की ओर से अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ओम प्रकाश राजभर और राज्य मंत्री दानिश अंसारी ने भाग लिया और राज्य सरकार का पक्ष रखा। बैठक में कार्यकारी मुख्य सचिव मोनिका एस. गर्ग समेत अल्पसंख्यक कल्याण एवं चकबंदी विभाग के अधिकारी भी मौजूद थे।

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वक्फ़ बोर्डों में महिलाओं का बढ़े प्रतिनिधित्व

बैठक में राज्य सरकार का पक्ष रखने के बाद अल्पसंख्यक राज्यमंत्री दानिश आजाद अंसारी ने बताया कि हमने समिति से कहा कि वक्फ की सम्पत्तियों से जुड़े दस्तावेजों का सही प्रकार से डॉक्यूमेंटेशन होना चाहिए। साथ ही वक्फ सम्पत्तियों का आडिट भी कराए जाने की वकालत की गई। साथ ही मांग की गई कि वक्फ बोर्डों में पसमांदा, महिलाओं एवं आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की भागीदारी होनी चाहिए।

बजट सत्र में रखी जाएगी रिपोर्टः जगदम्बिका पाल

जेपीसी अध्यक्ष जगदम्बिका पाल ने कहा कि समिति आने वाले बजट सत्र में अपनी रिपोर्ट सौंप देगी। उन्होंने कहा कि हमने इससे पहले पटना, कोलकाता, गुवाहाटी, भुवनेश्वर, महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, आंध्र, कर्नाटक, तेलंगाना समेत पूरे देश में अलग-अलग स्थानों पर जाकर सरकारों के साथ-साथ शिया वक्फ बोर्ड, सुन्नी वक्फ बोर्ड, जमायते उ‌लमा, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड आदि के साथ बैठक कर राय ली हैं। 44 संशोधन प्रस्तावित हैं। सरकार ने उन पर सभी की राय ली गई है।

आज अन्तिम बैठक लखनऊ में थी। इसके बाद जेपीसी के सभी सदस्यों से प्रत्येक बिंदु पर उनकी ओर से संशोधन मांग रहे हैं। 22 तक यह संशोधन मांगा गया है, इसके बाद सहमति बनेगी तो ठीक नहीं तो मतदान किया जाएगा। उसके बाद 24 या 25 जनवरी को समिति की बैठक कर रिपोर्ट को अन्तिम रूप दे दिया जाएगा। फिर उसे 31 से शुरू होने जा रहे संसद बजट सत्र में ही रख देंगे।

यह बिल वक्फ की जायदादों को बर्बाद करने और लूटने के लिए हैः ओवैसी

ऑल इंडिया मजलिस-ए इत्तेहादुल मुसलमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने संयुक्त संसदीय समिति की बैठक से बाहर निकलते ही कहा कि यह संशोधन बिल वक्फ की जायदाद को बचाने के लिए नहीं बल्कि उसे बर्बाद करने और लूटने के लिए लाया जा रहा है। ओवैसी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उस बयान का हवाला देते हुए कड़ा ऐतराज जताया, जिसमें कहा गया था कि वक्फ की भूमि पर माफिया काबिज हो चुके हैं।

ओवैसी ने कहा कि मैं इस मुद्दे पर सरकार को चुनौती देता हूं। वक्फ की जितनी भी भूमि है, चाहे व शिया वक्फ की हो या सुन्नी वक्फ की सभी सरकारी गजट के माध्यम से वक्फ की है। इसे एडिशनल कलेक्टर की रिपोर्ट पर सरकार ही जारी करती है। इसी आधार पर गजट को सरकारी दस्तावेज के रूप में मान्यता दी गई है। ऐसे में माफिया बोर्ड कहना या बोर्ड पर माफिया के काबिज होना कहना उचित नहीं है।

मुसलमानों द्वारा अल्लाह की मिल्कीयत में दाखिल सम्पत्ति ही वक्फः मौलाना फिरंगी महली

ऐशबाग ईदगाह कमेटी लखनऊ के ईमाम मौलाना खालिद रसीद फिरंगी महली ने बैठक में पक्ष रखने के बाद पत्रकारों से कहा कि ऐसा नहीं है कि मुसलमानों ने किसी दूसरे की प्रोपर्टी को लेकर उसे वक्फ कर दिया हो। वक्फ की सारी प्रोपर्टी वक्फ बाई यूजर के फार्म में ही है। ऐसे में यह जो कहा जा रहा है कि डिफेन्स और रेलवे के बाद वक्फ की है। इसमें मुसलमानों ने अपनी पर्सनल प्रोपर्टी को मिल्कियत से निकाल कर अल्लाह की मिल्कियत में दाखिल किया है ताकि इसका फायदा दूसरों को या इंसानों को मिले। इसी को वक्फ कहते हैं।

वक्फ बोर्ड वक्फ की सम्पत्तियों को कंट्रोल करने के लिए है। जिस तरह से नमाज और रोजा और जकात हमारे यहां है, वही अहमियत हमारे यहां वक्फ की है। वक्फ की जो भी जमीनें हैं, वह हमारी अपनी जमीने हैं। यह प्रोपेगंडा किया जा रहा है कि मुसलमानों ने सरकारी जमीन पर या किसी दूसरे की जमीन पर कब्जा किया है, यह बिल्कुल ही गलत है। वक्फ हमारी शरियत का हिस्सा है।

यतीम बच्चों, बेसहारा महिलाओं के कल्याण के लिए है वक्फ की सम्पत्तिः पसमांदा मुस्लिम समाज

पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनीस मंसूरी ने संयुक्त संसदीय समिति के समक्ष अपना पक्ष रखने के साथ संसदीय समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल को ज्ञापन भी सौंपा। अनीस मंसूरी ने बताया कि वक्फ संपत्तियों और वक्फ बोर्ड की स्थापना का मूल उद्देश्य पसमांदा तबके के लोगों, यतीम बच्चों, विधवाओं, बेसहारा महिलाओं और गरीबों के कल्याण के लिए किया गया था लेकिन वर्तमान में वक्फ संपत्तियों का उपयोग इन जरूरतमंद वर्गों के हित में नहीं हो रहा है।

वक्फ संपत्तियों के मुतवल्ली और प्रबंधक इन संपत्तियों का दुरुपयोग कर रहे हैं, जिससे गरीब और जरूरतमंद वंचित रह जाते हैं। ज्ञापन में पसमंदा समाज की ओर से कहा गया कि वक्फ संपत्तियों का मुख्य उपयोग पसमांदा समाज, यतीम बच्चों, विधवाओं और गरीबों के हितों के लिए किया जाए। वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग करने वाले मुतवल्लियों और वक्फ बोर्डों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई का प्रावधान किया जाए। विधेयक में स्पष्ट रूप से यह प्रावधान किया जाए कि वक्फ संपत्तियों का प्राथमिक उपयोग पसमांदा समुदाय और समाज के गरीब वर्गों के लिए किया जाए।

वक्फ कमेटियों मे मुस्लिमो के सभी वर्गो का हो प्रतिनिधित्वः मोमिन अनसार सभा

बैठक मे मोमिन अन्सार सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मो. अकरम अन्सारी की अध्यक्षता मे पांच लोगों के प्रतिनिधि मण्डल ने वक़्फ़ संपत्ति संशोधन अधिनियम 2024 के लिए सुझाव दिए। मोहम्मद अकरम अन्सारी ने बताया कि उन्होंने जेपीसी. के सामने अपनी बात रखते हुऐ कहा कि वक़्फ़ संपत्ति जो होती है वह अल्लाह की होती है जो गरीब , यतीम व ज़रूरत मन्द लोगों की मदद के लिये वक़्फ़ की जाती है l इसलिये इस वक़्फ़ संपत्ति की देख-रेख के लिये जो कमेंटी बनाई जाती है, इन कमेटीयों में मुस्लिमों के सभी वर्गों को उनकी आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी मिलनी चाहिए जैसा की मुस्लिम आबादी का पच्चासी प्रतिशत पस्मान्दा मुस्लिम है, जिसमें अन्सारी समाज पचास से साठ प्रतिशत है। इसलिये वक़्फ़ बोर्ड कमेटी के गठन में खानकाहो, कब्रिस्तान , वक़्फ़ की जयदादों में पस्मान्दा समाज का प्रतिनिधित्व इनकी आबादी के अनुपात में होना चाहिए, तभी न्याय से काम हो सकेगा।

बैठक में शामिल रहे उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अली जैदी ने पीटीआई-भाषा को बताया कि उन्होंने खासकर वक्फ बिल इस्तेमाल संपत्तियों के भविष्य को लेकर व्याप्त अनिश्चितता को जेपीसी के सामने रखा है। उन्होंने बताया कि वक्फ संशोधन विधेयक के मसविदे में वक्फ बिल इस्तेमाल संपत्तियों को वक्फ की श्रेणी से बाहर करने की बात कही गई है, ऐसे में सवाल यह है कि अगर ऐसा किया गया तो उन संपत्तियों का क्या होगा, उनका प्रबंधन कौन करेगा।

जैदी ने बताया कि उन्होंने जेपीसी के सामने यह बात रखी कि सारी दरगाहें, कर्बलाएं, इमामबाड़े, खानकाहें और कब्रिस्तान ऐसी सम्पत्तियां हैं जो इस्तेमाल में आती हैं लेकिन वक्फ के रूप में लिखित रूप से दर्ज नहीं हैं। उनका कहना था कि हालांकि वे इस्तेमाल के लिहाज से वक्फ में ही आती हैं और उनका प्रबंधन वक्फ अधिनियम के जरिए ही होता है।

शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि और कई कानूनी पहलू हैं जिन्हें उन्होंने जेपीसी के सामने रखा है। उन्होंने बताया कि बैठक में जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल के साथ-साथ सांसद ए. राजा, इमरान मसूद, असदुद्दीन ओवैसी, मुहिबुल्लाह नदवी तथा राज्य सरकार के विभिन्न प्रतिनिधि शामिल थे।

जेपीसी का गठन संसद में वक्फ संशोधन विधेयक 2024 के पारित नहीं हो पाने के बाद किया गया था। जेपीसी ने हाल के महीनों में देश के विभिन्न राज्यों में बैठकों के माध्यम से वक्फ से जुड़े विभिन्न पक्षों के साथ विचार-विमर्श करके उनकी आपत्तियों को जानने की कोशिश की है। जेपीसी को आगामी 31 जनवरी को अपनी रिपोर्ट संसद के समक्ष प्रस्तुत करनी है।

इनपुट भाषा

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