बोले काशी: सड़क लील रही सुकून से जीने की लालसा
Varanasi News - वाराणसी के मीरानगर कॉलोनी के लोग बुनियादी सुविधाओं के अभाव का सामना कर रहे हैं। खराब सड़कें, जलनिकासी की कमी, और लटके हुए बिजली के तारों ने उनकी जिंदगी को कठिन बना दिया है। निवासियों ने कई बार शिकायत...
वाराणसी। बुनियादी सुविधाओं के अभाव की पीड़ा से जूझते लोगों में आस रहती है कि कुछ दिनों में सब ठीक हो जाएगा, लेकिन आस संजोए वर्षों बीत जाते हैं और दर्द बना ही रहता है। कुछ ऐसा ही दर्द कंदवा की मीरानगर कालोनी के लोग वर्षों से सह रहे हैं। तमाम जद्दोजहद का परिणाम भी अनुकूल नहीं मिला। लिखित-मौखिक शिकायतें भी आज तक अनसुनी पड़ी हैं। निवासियों को समझ में नहीं आ रहा कि अब क्या करें, किससे कहें। न तो दुरुस्त सड़क है और न ही जलनिकासी की सुविधा। मीरानगर कॉलोनी के प्रवेशद्वार से ही दुश्वाारियां दिखने लगती हैं। सड़क पर दूर तक बिखरी गिट्टियां सभी को हिचकोले खाने पर मजबूर किए पड़ी हैं। कई बार तो लोग गिरकर जख्मी भी हो चुके हैं। कृष्लय श्रीवास्तव, केके सिंह, मुकेश सिंह कहते हैं कि काफी समय से यहां रह रहे हैं। वर्षों पहले जब यहां रहने आए तो लगा कि शहरी जिंदगी का पूरा लाभ मिलेगा और जीवन सुकून से कट सकेगा। आज चैन से जीना तो दूर, इत्मीनान से चल पाना भी कठिन है। घर से लेकर मुख्य मार्ग तक पहुंचने के बीच की दशा तो अत्यंत खराब है। पैदल चलो तो मुश्किल, वाहन से चलो तो झटके खाते। हर वक्त कुछ न कुछ काम रहता ही है, सो निकलना पड़ता है और इसी रास्ते से जाना पड़ता है। मार्ग पर गिट्टियां बिखरी पड़ी हैं। कोई दुरुस्त कराने वाला नहीं। इसकी शिकायत कई बार की गई लेकिन कोई सार्थक परिणाम अ्ब तक नहीं दिखा है। नव शहरी क्षेत्र में शामिल होने की खुशी हम लोगों को भी हुई थी, लगा था कि अब तो इन समस्याओं का निदान हो ही जाएगा, लेकिन स्थितियों ने हताश कर दिया। बस जैसे-तैसे जी रहे हैं। गिट्टियों से टकराकर, गड्ढों में फंसकर कई मवेशी मर भी चुके हैं।
जलनिकासी के इंतजाम नहीं
कॉलोनी में जलनिकासी के इंतजाम नहीं है। डा. अशोक गुप्ता, सतीश श्रीवास्तव, नंदिनी तिवारी ने कहा कि थोड़ी भी बारिश में जलजमाव हो जाता है। अभी तो गर्मी का मौसम है, बरसात नहीं हो रही है, इसलिए गनीमत है। गिट्टियां दिख रही हैं और लोग किसी तरह आवागमन कर पा रहे हैं। बरसात के मौसम में तो घर से निकलकर मुख्यमार्ग तक पहुंचना कठिन हो जाता है। अगर जलजमाव हो गया तो पानी कब तक निकलेगा, कोई नहीं जानता। बरसात के मौसम में कई दिनों तक जलजमाव बना ही रह जाता है। अब से ही कालोनी के लोग सशंकित हैं कि कहीं इस बार भी पिछले वर्षों की भांति दर्द न झेलना पड़ जाए। अभी अगर इंतजाम हो जाए तो बेहतर रहेगा। जलजमाव से मुक्ति मिल जाएगी।
नहीं हैं डस्टबिन
प्रतिभा सिंह, डा. अजय मिश्रा, पिंकी गुप्ता ने कहा कि कॉलोनी में कूड़ा फेंकने का स्थान तय नहीं है। जिसे जब मौका मिला जहां मिला वहीं फेंक दिया। नगर निगम की ओर से कूड़ेदान की व्यवस्था नहीं की गई है। कहीं ही डस्टबिन नहीं रखा गया है। इसका परिणाम है कि कॉलोनी के खाली पड़े प्लाट ही जैसे कूड़ेदान बन गए हैं। कॉलोनी में अनेक भवन कई मंजिल के हैं, लिहाजा ऊपरी मंजिल के लोग मौका देखकर खिड़कियों से ही कूड़ा फेंक देते हैं। इसका दुष्परिणाम है कि पॉलीथिन आदि इधर-उधर फैल जाते हैं। अगर हवा का रुख बदला तो दुर्गंध का संत्रास भी झेलना पड़ता है। डा. अजय ने कहा कि जब हवा तेज चलती है कि प्लाट में पड़े पॉलीथिन बैग आदि तो उड़कर घर के पास तक पहुंच जाते हैं। रोज सुबह इकट्ठाकर जलाना पड़ता है। यह कार्य तो जैसे हमारी दिनचर्या का हिस्सा बन गया है। इस स्थितियों से निजात मिले तो राहत हो।
स्ट्रीट लाइट का अभाव
कॉलोनी में स्ट्रीट लाइट का भी अभाव है। अगर है तो कहीं जलती है, कहीं नहीं जलती है। रात के समय आसपास के घरों से निकलने वाली रोशनी के सहारे ही आवागमन करना पड़ता है। गुदना प्रजापति, पिंकी, अक्षिता पांडेय ने कहा कि रात में आने जाने में हमलोगों को अनजाना सा भय सताता रहता है। उबड़ खाबड़ सड़क पर दिन में चलना ही परेशानी भरा रहता है, रात में तो यह संकट और विकट हो जाता है, लेकिन मजबूरी में इसी रास्ते से आना जाना पड़ता है। अगर कालोनी में स्ट्रीट लाइट की उचित व्यवस्था करा दी जाए तो आवागमन में काफी सुगमता हो जाएगी। यह समस्या एक दिन की नहीं बल्कि काफी समय से है। किसी तरह से जीवन बिता रहे हैं।
लटकते तारों का जंजाल
कॉलोनी के पास बिजली के तार लटक रहे हैं। खंभों पर तारों और डिस केबल का जंजाल है। हर समय शार्ट सर्किट का अंदेशा बना रहता है। मनोज सिंह, भोला, सुमिता श्रीवास्तव भी मार्ग की दशा से आहत हैं। साथ ही लटकते तारों और शार्ट सर्किट की आशंका से भयभीत हैं। उन्होंने कहा कि जिनके घरों में जेनरेटर है, उन्हें तो राहत है, लेकिन जिनके पास जेनरेटर नहीं है उन्हें तो शार्ट सर्किट के समय काफी समय तक जलालत झेलनी पड़ेगी। तारों को व्यवस्थित करने की जरूरत है। आते जाते समय तो लोग खंभों की हालत देखकर मायूस हो जाते हैं। यह कॉलोनी भी ऐसी बननी चाहिए जहां दुश्वारियां नहीं के बराबर हों।
हर समय दुर्घटना का भय
रोहित, संगीता वर्मा ने भी सड़क की दुर्दशा से उपजने वाली पीड़ा सुनाई। कहा कि कॉलोनी में घर से लेकर मुख्य मार्ग तक पहुंचने में हर समय दुर्घटना का ही भय सताता रहता है। रात के अंधेरे में स्थिति और भयावह लगने लगती है। कई बार तो वाहनों के पहियों से गिट्टियों के उड़ने और घायल कर देने जैसा भय भी रहता है। वाहनों के आते-जाते समय पूरी सावधानी रखनी पड़ती है। अगर किसी जरूरी काम से थोड़ा तेज चलने की नौबत आती है तो इस मार्ग पर तेज नहीं चल सकते, शरीर या वाहन झटका खाएगा तो खाएगा ही।
कॉलोनी का दर्द
सड़क की हालत बेहद खराब है। इस रास्ते से आने-जाने में भय रहता है कि कहीं दुर्घटना न हो जाए।
-संगीता वर्मा
कॉलोनी में कूड़ा फेंकने का स्थान तय नहीं है। पास पड़ोस के खाली प्लाट ही जैसे कूड़ाघर बन गए हैं।
-पिंकी गुप्ता
जलनिकासी का इंतजाम नहीं होने से थोड़ी बारिश में ही जलजमाव हो जाता है। इससे बहुत परेशानी होती है।
नंदिनी तिवारी
स्ट्रीट लाइट का समुचित प्रबंध नहीं होने से रात में आने-जाने में भय सताता रहता है। यह समस्या दूर होनी चाहिए।
-अक्षिता पांडेय
कॉलोनी में तार लटके पड़े हैं। इस हर समय शार्ट सर्किट का अंदेशा बना रहता है। केबल का जंजाल भी फैला है।
-सुमिता श्रीवास्तव
कूड़ा फेंकने के लिए कॉलोनी में कहीं भी डस्टबिन नहीं रखा है। इससे मार्ग पर पॉलीथिन आदि फैले रहते हैं।
-प्रतिभा सिंह
लंबे समय से कॉलोनी में रह रहे हैं, लेकिन मार्ग की दशा ने परेशान कर दिया है। शिकायतें बेअसर हो गईं हैं।
-किसलय श्रीवास्तव
कॉलोनी में खाली पड़े प्लाट कूड़ाघर बन गए हैं। हवा का रुख बदलते ही कूड़े से दुर्गंध उठती है। परेशानी होती है।
-डॉ. अजय मिश्रा
कॉलोनी में गिट्टियां बिखरी पड़ी हैं। मार्ग उबड़ खाबड़ हो गया है। आवागमन में हम लोगों को बहुत दिक्कत होती है।
-केके सिंह
जलनिकासी व्यवस्था नहीं है। थोड़ी बारिश में जलजमाव हो जाता है। बारिश को लेकर अब से ही मन में भय सता रहा है।
-डॉ. अशोक गुप्ता
जलनिकासी की उपयुक्त व्यवस्था कराई जाए ताकि कॉलोनीवासियों को बरसात में सांसत न झेलना पड़े।
-सतीश श्रीवास्तव
लटके और उलझे तारों के जंजाल से कॉलोनी को मुक्त कराएं, जिससे शार्ट सर्किट का अंदेशा भी न रहने पाए।
-मनोज सिंह तार
सुझाव
कॉलोनी का मार्ग दुरुस्त करने की जरूरत है, ताकि यहां के निवासियों को आने-जाने में परेशानी न हो।
खंभों पर लटके और उलझे तारों के जाल से कॉलोनी को मुक्त कराया जाए। शार्ट सर्किट का भी भय न रहे।
जलनिकासी की उचित व्यवस्था शीघ्र करने की जरूरत है जिससे कि बारिश के दिनों में जलजमाव होने न पाए।
कॉलोनी में सफाई के साथ कूड़ा उठान का बेहतर प्रबंध हो, कूड़ा संग्रह के लिए बड़े डस्टबिन रखवाए जाएं।
स्ट्रीट लाइट की समुचित व्यवस्था करवाई जाए जिससे रात में अवागमन करने में सभी को सहूलियत रहे।
शिकायतें
जलनिकासी व्यवस्था नहीं होने से थोड़ी बारिश में ही जलजमाव हो जाता है। बारिश को लेकर भय सताता है।
खाली पड़े प्लाट कूड़ाघर बन गए हैं। पॉलीथिन फैले रहते हैं। कूड़े की दुर्गंध घरों तक पहुंचती है।
स्ट्रीट लाइट का समुचित प्रबंध नहीं होने से रात में आने-जाने में सभी लोगों को भय रहता है।
सड़क बेहद खराब है। इस रास्ते से मुख्य मार्ग तक आने-जाने में डर रहता है कि कहीं दुर्घटना न हो जाए।
कॉलोनी में बिजली के तार लटके हैं। इस हर समय शार्ट सर्किट का अंदेशा रहता है। केबल का जंजाल फैला है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।