दुश्मन के दोस्त तुर्किए से व्यापार नहीं
Varanasi News - वाराणसी में पूर्वांचल निर्यातक संघ ने भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के चलते तुर्किए से कारोबार नहीं करने का निर्णय लिया है। निर्यातकों का कहना है कि तुर्किए ने पाकिस्तान का समर्थन किया है। भारत की कालीन...

वाराणसी। वरिष्ठ संवाददाता भारत-पाकिस्तान के बीच तनातनी को देखते हुए पूर्वांचल निर्यातक संघ ने तुर्किए से कारोबार नहीं करने का फैसला लिया है। निर्यातकों का कहना है कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की सैन्य कार्रवाई में तुर्किए ने पाकिस्तान का समर्थन किया। जबकि भारत के कारण तुर्किए अरबों रुपये के राजस्व का लाभ होता है। वहां की अर्थव्यवस्था में भारत की अहम भूमिका है। लेकिन पाकिस्तान का समर्थन करने के बाद अब उससे कारोबार करना देशहित में नहीं है। कालीन निर्यातकों का कहना है कि बनारस, भदोही से 300 करोड़ रुपये से ज्यादा कीमत की हर साल कालीन तुर्किए जाती है।
वहां से भी मशीन निर्मित कालीनें आती हैं। लेकिन तुर्किए में आने वाले दुनिया भर के पर्यटकों में भारत की हाथ से बनी कालीनों का क्रेज है। पूर्वांचल से तुर्किए को हर साल 30-35 करोड़ के सिल्क फैब्रिक, परदे, ब्रोकेड, एंब्रायडरी, परदे, कुशन व टेबल कवर समेत अन्य होम फर्नीशिंग्स उत्पाद निर्यात होते हैं। पूर्वांचल निर्यातक संघ के अध्यक्ष रघु मेहरा ने कहा कि देश से बढ़कर कारोबार नहीं है। देशहित को देखते हुए सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया है। संघ के महासचिव सैय्यद हसन ने कहा कि दुश्मन देश का समर्थन करने के कारण हमलोगों ने तुर्किए का बहिष्कार किया है। पूर्व अध्यक्ष जुनैद अंसारी ने कहा कि हमारे दुश्मन देश का साथ देने से हम तुर्किए का पूरा विरोध करते हैं। अपने राष्ट्र के सम्मान से समझौता किसी कीमत पर नहीं कर सकते। चीन के खिलाफ भी ऐसे बहिष्कार की जरूरत है। पूर्व अध्यक्ष मुकेश अग्रवाल ने कहा कि इसकी भरपाई के लिए हमारे पास यूरोप के अन्य देश, दक्षिण अफ्रीका मध्य एशिया के देश हैं। व्यापार से ज्यादा महत्वपूर्ण भारतीयता है।
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