बरेली के सरकारी स्कूलों में घट रहे बच्चे लेकिन शबीना के विद्यालय में दोगुना दाखिला
- बरेली के एक सरकारी स्कूल की प्रधानाध्यापिका शबीना ने वो कमाल किया है कि सब अचंभित हैं। जहां बाकी सरकारी स्कूलों में बच्चों का दाखिला हर साल नीचे जा रहा है वहीं शबीना के स्कूल में वो दोगुना हो गया है।
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बरेली मंडल के सरकारी स्कूल छात्र-छात्राओं की घटती संख्या से परेशान हैं लेकिन कांधरपुर के स्कूल की प्रधानाध्यापिका ने अपने विद्यालय में दाखिला दोगुना करके सबको अचंभित कर दिया है। हाल में आई प्रथम एनजीओ की रिपोर्ट में भी कहा गया कि बीते दो वर्षों में 11.8 फीसदी विद्यार्थी कम हो गए। लेकिन, बरेली के उच्च प्राथमिक विद्यालय कांधरपुर में छात्र-छात्राओं की संख्या घटने की जगह लगातार बढ़ती जा रही है। इलाके के लोग इसका श्रेय प्रधानाध्यापिका और स्टाफ को देते हैं।
क्यारा ब्लॉक का उच्च प्राथमिक विद्यालय कांधरपुर जिले के अच्छे सरकारी स्कूलों में गिना जाता है। इस स्कूल को निजी विद्यालयों की तर्ज पर संचालित किया जा रहा है। बच्चों को बढ़िया शिक्षा देने के साथ ही विभिन्न एक्टिविटी से भी जोड़ा जाता है। कंप्यूटर की भी शिक्षा दी जाती है। राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त प्रधानाध्यापिका शबीना परवीन अपने स्टाफ के साथ घर-घर जाकर अभिभावकों से बात करती हैं और उन्हें शिक्षा का महत्व समझाकर बच्चों का प्रवेश सरकारी स्कूल में करवाने को प्रेरित करती हैं।
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कांधरपुर स्कूल में छात्र-छात्राओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। शबीना वर्ष 2019 में इस स्कूल में प्रधानाध्यापिका बनकर आई थीं। उस समय स्कूल में 212 छात्र-छात्राएं पढ़ते थे। 2020 में इनकी संख्या बढ़कर 234 हो गई। 2021 में भी सिलसिला जारी रहा। 2021-22 में 296 छात्र-छात्राएं यहां आ गए। शबीना और उनके स्टाफ को इससे भी संतुष्टि नहीं मिली। 2022-23 में गांव के हर घर में जाकर अभिभावकों और बच्चों को स्कूल आने के लिए प्रेरित किया गया। इसका असर दिखा। सत्र 2022-23 में विद्यार्थियों की संख्या बढ़कर 349, वर्ष 2023 में 400, वर्ष 2024 में 431 और 2025 में 452 हो गई।
आज तक नहीं ली चाइल्ड केयर लीव
विभागीय अधिकारियों के साथ-साथ स्थानीय लोग शबीना और उनकी टीम की तारीफ करते नहीं थकते हैं। राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शबीना शिक्षा के क्षेत्र में अपने प्रयासों के लिए हमेशा प्रशंसा प्राप्त करती रही हैं। शबीना ने आज तक कोई भी चाइल्ड केयर लीव (सीसीएल) नहीं लिया है। वो इसके बाद भी परिवार और स्कूल दोनों के दायित्व का भली-भांति निर्वाह कर लेती हैं।