नेपाल के पूर्व चीफ जस्टिस भी महाकुंभ में कर रहे हैं कल्पवास, हैं महानिर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर
- स्वामी दामोदरानंद गिरि नेपाल सुप्रीम कोर्ट में 10 साल न्यायधीश रहे, जिसमें दो साल तक मुख्य न्यायधीश के पद पर भी रहे। वर्तमान में महानिर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर हैं और यहीं पर कल्पवास कर रहे हैं।
संगम की रेती पर सामान्य श्रद्धालुओं के बीच तमाम माननीय भी कल्पवास कर रहे हैं। इन्हीं में एक हैं नेपाल सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायधीश रहे स्वामी दामोदरानंद गिरि। स्वामी दामोदरानंद गिरि नेपाल सुप्रीम कोर्ट में 10 साल न्यायधीश रहे, जिसमें दो साल तक मुख्य न्यायधीश के पद पर भी रहे। वर्तमान में महानिर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर हैं और यहीं पर कल्पवास कर रहे हैं। महामंडलेश्वर स्वामी दामोदरानंद गिरि ने बताया कि वह 2009 से नेपाल सुप्रीम कोर्ट में रहे और लंबे समय तक सेवा दी।
रिटायर होने के बाद उनका मन सनातन धर्म में रमा तो महानिर्वाणी अखाड़े के स्वामी अखंडानंद पुरी के संपर्क में आए। उनसे प्रभावित हुए और उन्हें अपना गुरु बना लिया। उनसे दीक्षा लेकर वह अखाड़े में शामिल हो गए। उनके कार्यों को देखते हुए 2019 के कुम्भ मेले में अखाड़े के महासचिव श्रीमहंत रविंद्र पुरी और सचिव श्रीमहंत यमुना पुरी ने उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि दी। स्वामी दामोदरानंद गिरि का कहना है कि संगम की रेती पर लगने वाला महाकुम्भ बहुत ही प्रभावित करने वाला है। यहां पर वह पूरे महीने रहकर कल्पवास करेंगे।
विश्व कल्याण को सुबह से शाम तक सिर के बल उल्टेश्वर बाबा
महाकुम्भ में आए अजब-गजब बाबा में से एक उल्टेश्वर बाबा भी हैं। गाजीपुर से आए यह बाबा महाकुम्भ के संगम लोअर मार्ग के सेक्टर 16 में हठ करके बैठे हैं। सुबह से शाम तक बाबा शीर्षासन की मुद्रा में ही रहते हैं। कहते हैं कि बाबा ने जगत कल्याण की कामना लेकर शीर्षासन मुद्रा लगाई है और वसंत पंचमी तक इसी मुद्रा में रहेंगे। उल्टेश्वर बाबा ने यह तप 2007 के कुम्भ (उस वक्त अर्धकुम्भ) से प्रारंभ किया था।