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महाकुंभ में कोई बाबा बांट रहे प्रसाद में रबड़ी तो खिला रहे पान, कर रहे बीमारी ठीक

  • महाकुम्भ मेले में इन दिनों तरह-तरह के साधु-संत डेरा डाले हुए हैं। कुछ साधु-संन्यासी अपने हठयोग व वेशभूषा चर्चा में है तो कुछ बाबा अनूठे तरीके से भक्तों को आशीष देकर सुर्खियां बटोर रहे हैं।

Srishti Kunj हिन्दुस्तान, मुख्य संवाददाता, प्रयागराजSun, 19 Jan 2025 09:25 AM
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महाकुम्भ मेले में इन दिनों तरह-तरह के साधु-संत डेरा डाले हुए हैं। कुछ साधु-संन्यासी अपने हठयोग व वेशभूषा चर्चा में है तो कुछ बाबा अनूठे तरीके से भक्तों को आशीष देकर सुर्खियां बटोर रहे हैं। कोई अपने हाथ से रबड़ी बनाकर खिला रहा है तो कोई पान का बीड़ा लगाकर भेंट कर रहा है। श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी से जुड़े गुजरात के सिद्धपुर पाटन महाकाली बीड़ मंदिर के महंत देव गिरि अपने विशेष प्रसाद की वजह से चर्चित हो गए हैं। ये बाबा भक्तों को अपने हाथों से बनाई रबड़ी का प्रसाद देते हैं। महाकुम्भ में लगे उनके शिविर के बाहर रबड़ी का प्रसाद लेने के लिए लोगों की भीड़ जुट रही है और बाबा सभी को प्रेम से प्रसाद देते हैं।

महंत देव गिरि की मानें तो वो प्रतिदिन 130 लीटर दूध से रबड़ी बनाकर उसे प्रसाद के रूप में भक्तों को देते हैं। सुबह उनकी कड़ाही चढ़ जाती है और वो पूरे दिन रबड़ी बनाते रहते हैं। महंत देव गिरि रबड़ी बाबा ने बताया कि 2019 के कुम्भ मेले में प्रयागराज आए थे और उसी दौरान उन्होंने रबड़ी का प्रसाद बनाकर बांटना शुरू किया था।

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इसी प्रकार राजस्थान के महंत गिरधारी दास 1008 भक्तों को प्रसाद के रूप में पान भेंट करते हैं। उनका दावा है कि उनका पान खाने से 13 तरह की बीमारियां ठीक हो जाती हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें बचपन से ही पान खिलाने का शौक है। बाबा कहते हैं कि पान खिलाने के साथ- साथ वह पान खाने के भी शौकीन हैं। उन्होंने कहा कि उनकी उम्र 74 साल है और उनको कोई रोग नहीं है।

पांव में घड़ी बांध नागा संत दे रहे आशीष

महाकुम्भ में आए नागा संन्यासियों के अंदाज भी निराले हैं। सेक्टर 20 में ऐसे ही ही नागा संन्यासी हैं। एक नागा संन्यासी ने अपने पांव में घड़ी बांध रखी है। पूछने पर संन्यासी का कहना है कि समय चक्र चलता है, इसलिए घड़ी पांव में पहनी है। फिलहाल बाबा के पांव में घड़ी देखकर श्रद्धालु उनके पास आ रहे हैं। बाबा भी अपने पास भभूति रखे हैं और श्रद्धालुओं के माथे पर उसे लगाते हैं और फिर उनकी पीठ ठोंकर आशीष देते हैं।

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