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यूपीएससी से भी कठिन होता है 'तंगतोड़ा' का साक्षात्कार, महंत ऐसे करते हैं संस्तुति

  • महाकुंभ 2025: यूपीएससी से भी कठिन होता है 'तंगतोड़ा' का साक्षात्कार। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन में नागा संन्यासी को तंगतोड़ा कहते हैं। आश्रमों के महंत तंगतोड़ा बनाने की संस्तुति करते हैं। रमता पंच इनका साक्षात्कार लेते हैं।

Srishti Kunj हिन्दुस्तान, संजोग मिश्र, प्रयागराजWed, 8 Jan 2025 07:49 AM
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परिवार को त्याग अपने माता-पिता और खुद का पिंडदान कर आध्यात्म की राह चुनने वाले त्यागी को सात शैव अखाड़ों में नागा कहा जाता है तो बड़ा उदासीन अखाड़े में इन्हें तंगतोड़ा कहते हैं। ये अखाड़े की कोर टीम में शामिल होते हैं। इन्हें बनाने की प्रक्रिया बेहद जटिल है। इसके लिए लिया जाने वाला इंटरव्यू संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा परीक्षा में आईएएस के लिए होने वाले साक्षात्कार से भी कठिन होता है। देशभर में फैले श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन निर्वाण अखाड़े के तकरीबन पांच हजार आश्रमों, मंठ और मंदिरों के महंत और प्रमुख संत अपने योग्य चेलों को तंगतोड़ा बनाने की संस्तुति करते हैं।

इसके बाद इन्हें रमता पंच, जो एक तरीके से अखाड़े के लिए इंटरव्यू बोर्ड का काम करते हैं, के सामने प्रस्तुत किया जाता है। इनका इंटरव्यू आईएएस और पीसीएस से कठिन इसलिए कहा जाता है क्योंकि इनसे जो सवाल पूछे जाते हैं उसका उत्तर किसी किताब में नहीं होता है। आईएएस-पीसीएस की तरह इनका कोई मॉक इंटरव्यू भी नहीं होता है।

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रमता पंच इनसे ऐसे प्रश्न पूछते हैं, जिसे किसी संत का वास्तविक सानिध्य पाने वाला कोई चेला ही बता सकता है। इनसे इनकी टकसाल, गुरु मंत्र, चिमटा, धुंधा और रसोई से संबंधित गोपनीय प्रश्न पूछे जाते हैं। संत इस बारे में जानकारी लंबे समय तक सेवा करने वाले अपने पक्के चेलों को ही देते हैं। रमता पंच के सदस्य पूरी तरह आश्वस्त हो जाते हैं कि चेला संन्यास परंपरा में जाने के लिए सर्वथा उपयुक्त हैं तो तंगतोड़ा की प्रक्रिया होती है।

यह प्रक्रिया इतनी कठिन होती है कि बमुश्किल एक दर्जन चेले ही इसमें सफल हो पाते हैं। इसमें पास होने के बाद चेले को संगम ले जाकर स्नान कराया जाता है फिर संन्यास और अखाड़े की परंपरा के निर्वहन की शपथ दिलाई जाती है। अखाड़े में लाकर ईष्ट देवता के समक्ष पूजा-पाठ होती है। इन्हें एक वस्त्र (लंगोटी) में धूना (अलाव) के सामने खुले आसमान के नीचे कई दिनों तक 24 घंटे रखा जाता है। तब कहीं जाकर उन्हें संन्यास परंपरा में शामिल होने की अनुमति मिलती है।

श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के श्रीमहंत महेश्वरदास ने कहा कि बड़ा उदासीन अखाड़े के गुरुओं की संगत में अखाड़े की परंपरा को आत्मसात करने वाले चेले को ही तंगतोड़ा बनाया जाता है। उससे पहले साक्षात्कार होता है जिसमें अखाड़े से जुड़े गोपनीय सवाल पूछे जाते हैं जो किसी किताब में नहीं मिलते।

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