बिजली कंपनियों के निजीकरण के साथ 23818 कर्मचारियों की हो जाएगी छुट्टी, संघर्ष समिति का दावा
यूपी बिजली कंपनियों के निजीकरण से हजारों कर्मचारियों की नौकरी चली जाएगी। यहा दावा विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने पॉवर कारपोरेशन द्वारा जारी किए गए प्रश्नोत्तरी के बाद किया है।
यूपी बिजली कंपनियों के निजीकरण से हजारों कर्मचारियों की नौकरी चली जाएगी। यहा दावा विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने पॉवर कारपोरेशन द्वारा जारी किए गए प्रश्नोत्तरी के बाद किया है। संघर्ष समिति के अनुसार प्रश्नोत्तरी दस्तावेज निजीकरण के बाद विद्युत वितरण निगमों के कर्मचारियों की छंटनी का खुला दस्तावेज है। संघर्ष समिति ने कहा कि इस दस्तावेज में साफ तौर पर लिखा गया है कि 51 प्रतिशत हिस्सेदारी निजी क्षेत्र की होगी, जिसका मतलब है कि निगमों का सीधे निजीकरण किया जा रहा है।
यह भी लिखा गया है कि बेचे जाने वाले पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के कर्मचारियों को निजीकरण के बाद एक साल तक निजी कम्पनी में काम करना पड़ेगा। यह इलेक्ट्रीसिटी एक्ट-2003 के सेक्शन 133 का खुला उल्लंघन है क्योंकि ऊर्जा निगमों के कर्मचारी सरकारी निगमों के कर्मचारी हैं। इन कर्मचारियों को किसी भी परिस्थिति में जबरिया निजी कंपनी में काम करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।
एक साल तक निजी कंपनी में काम करने के बाद कर्मचारी निजी क्षेत्र की मानव संसाधन नीति को समझ लेंगे। संघर्ष समिति ने कहा कि ऊर्जा निगमों के कर्मचारियों को भली-भांति पता है कि निजी क्षेत्र की मानव संसाधन नीति ‘हायर एवं फायर’ की नीति होती है, जिसका मतलब है जब चाहें तब नौकरी से निकाल बाहर खड़ा कर सकते हैं।
23818 कर्मचारी निजीकरण के साथ ही निकाल दिए जाएंगे
प्रश्नोत्तरी दस्तावेज में यह कहना कि एक साल के बाद जो कर्मचारी निजी क्षेत्र में काम न करना चाहे उनके सामने शेष बचे हुए ऊर्जा निगमों में आने या वीआरएस लेकर घर जाने का विकल्प होगा। विद्युत वितरण निगमों में तीन प्रकार के कर्मचारी कार्य कर रहे हैं। एक वह जो कॉमन कैडर के हैं, दूसरे वह जो संबंधित निगम के कर्मी हैं और तीसरे वह जो आउटसोर्स कर्मचारी हैं। जो निगम के कर्मी हैं, निजी क्षेत्र से वापस आने के बाद उनका समायोजन किसी नियम के तहत अन्य निगमों में नहीं किया जा सकता। साफ है ऐसे 23818 कर्मी सीधे-सीधे नौकरी से निकाल दिए जाएंगे। वीआरएस केवल उन्हीं कर्मचारियों को मिल सकता है, जिनकी 30 साल की सेवा हो। वीआरएस भी एक प्रकार की छंटनी है।
अभियंता व अवर अभियंता सरप्लस हो जाएंगे
अभियंता और अवर अभियंता कॉमन कैडर के कर्मचारी हैं। कॉमन कैडर में प्रदेश के पांच विद्युत वितरण निगम मुख्यालय और ट्रांस्को सम्मिलित हैं। जब आधे उत्तर प्रदेश का निजीकरण हो जाएगा तो 3673 कॉमन कैडर के अभियंता और अवर अभियंता सरप्लस हो जाएंगे। इन्हें आधे बचे हुए निगमों में कैसे समायोजित कर दिया जाएगा। पॉवर कारपोरेशन का यह अनर्गल प्रचार किसी कर्मचारी के गले के नीचे नहीं उतर सकता है। प्रतिनियुक्ति पर भेजने का आदेश छंटनी की शुरुआत है। तीसरी श्रेणी में लगभग 50 हजार आउटसोर्स कर्मी हैं। नियोक्ता बदलते ही इनकी सेवाएं तत्काल समाप्त हो जाएंगी।
आम लोगों को बताया निजीकरण से नुकसान
दूसरी तरफ मंगलवार को संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने व्यापक जन सम्पर्क अभियान चलाया। आम जनता को निजीकरण के बाद होने वाली बिजली दरों में बेतहासा वृद्धि के खतरों से अवगत कराया। लोगों को बताया कि निजी कंपनियों को मुनाफा देने के लिए पावर कारपोरेशन ने बिजली दरों में 20 प्रतिशत वृद्धि का प्रस्ताव नियामक आयोग को दे दिया है। भोजन अवकाश के दौरान संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने मध्यांचल विद्युत वितरण निगम मुख्यालय पर कर्मचारियों की विशाल सभा को संबोधित किया।