महाकुंभ 2025: इस अखाड़े में मुख्य पदों के संतों के पास दो डिग्री होना जरूरी, करते हैं कठिन तपस्या
- संगम की रेती पर महाकुम्भ 2025 में जुटे 13 अखाड़ों में से एक निर्मल अखाड़े की खास परंपरा है। यहां महंत, कोठारी, संत समेत अन्य प्रमुख पदों की जिम्मेदारी उन्हीं तपस्वियों को दी जाती है, जिनके पास शास्त्री और ज्ञानी दोनों की डिग्री हो।
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संगम की रेती पर महाकुम्भ 2025 में जुटे 13 अखाड़ों में से एक निर्मल अखाड़े की खास परंपरा है। यहां महंत, कोठारी, संत समेत अन्य प्रमुख पदों की जिम्मेदारी उन्हीं तपस्वियों को दी जाती है, जिनके पास शास्त्री और ज्ञानी दोनों की डिग्री हो। संस्कृत में न्यूनतम शाखी और गुरु ग्रन्थसाहिब तथा दसमग्रन्थ आदि का अच्छा ज्ञान रखने वाले ज्ञानी ही कोर टीम में शामिल किए जाते हैं। इसके पीछे कारण है कि इस अखाड़े की स्थापना का इतिहास ही अध्ययन-अध्यापन से जुड़ा है। नानक पन्थी परंपरा के तीन अखाड़े में से एक श्री पंचायती निर्मल अखाड़ा की स्थापना वैसे तो 1862 में पटियाला में हुई लेकिन निर्मल सम्प्रदाय की नींव स्वयं गुरु नानक देव ने 1564 में रखी थी।
भाई भागीरथ की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर गुरु नानक देव ने उन्हें मूल मंत्र का उपदेश और निर्मल वख भेंट किया था। इस अखाड़े के संत सिख धर्म के सभी 10 गुरुओं और गुरु ग्रंथ साहिब को अपना इष्ट मानते हैं। मान्यता है कि गुरु गोविंद सिंह महाराज ने 1686 में पांच निर्मल संतों का चयन किया और उन्हें गेरुआ वख पहनाकर संस्कृत विद्या का अध्ययन करने के लिए काशी भेजा था।
पांचों संतों संत कर्म सिंह, संत राम सिंह, संत गंडा सिंह, संत बीर सिंह और संत सैणा सिंह ने 13 साल तक काशी में रहकर वेद, वेदांग, शात्र, पुराण, इतिहास आदि का गहन अध्ययन किया और उसके बाद गुरु चरणों में वापस लौटकर अन्य जिज्ञासु गुरुसिखों को संस्कृत विद्या का अध्ययन-अध्यापन करते-करवाते रहे। 1862 में पटियाला में अखाड़े का औपचारिक रूप से गठन हुआ और पहले श्रीमहंत (अध्यक्ष) महताब सिंह को बनाया गया।
छावनी में व्यसन पूरी तरह से वर्जित
निर्मल अखाड़े और छावनियों में किसी भी प्रकार का नशा पूरी तरह प्रतिबंधित है। पान, तंबाकू, सिगरेट, बीड़ी इत्यादि का सेवन तो दूर रखना भी मना है। नशे की वस्तुएं रखने पर अखाड़े से निष्कासन की कार्रवाई की जाती है।
अब तक हुए दस गुरु
श्रीमहंत बाबा महिताब सिंह
श्रीमहंत राम सिंह
श्रीमहंत ऊधव सिंह
श्रीमहंत साधु सिंह
श्रीमहंत राम सिंह
श्रीमहंत दया सिंह
श्रीमहंत जीवन सिंह
श्रीमहंत सुच्चा सिंह
श्रीमहंत बरबीर सिंह
श्रीमहंत स्वामी ज्ञानदेव सिंह