चोरी से अपराध की शुरूआत और डकैती से अंत, चार साल में खत्म आपराधिक जीवन, पढ़ें
यूपी एसटीएफ के हाथों मुठभेड़ में मारे गए जौनपुर के बदमाश मंगेश यादव ने चोरी और छिनैती से आपराधिक जीवन की शुरुआत की थी। फिर अपराध की दुनिया में ऐसा फंसता गया कि सिर्फ चार साल के आपराधिक जीवन में गुरुवार को भोर में पुलिस के हाथों उसके जीवन का अंत हो गया।
यूपी एसटीएफ के हाथों मुठभेड़ में मारे गए जौनपुर के बदमाश मंगेश यादव ने चोरी और छिनैती से आपराधिक जीवन की शुरुआत की थी। फिर अपराध की दुनिया में ऐसा फंसता गया कि सिर्फ चार साल के आपराधिक जीवन में गुरुवार को भोर में पुलिस के हाथों उसके जीवन का अंत हो गया। मंगेश यादव के खिलाफ वर्ष 2021 में पहला मुकदमा चोरी और माल बरामदी का जिले के करौंदीकला थाना में दर्ज हुआ था। फिर एक-एक कर उस पर वर्ष 2022 तक उस पर छह मुकदमे दर्ज हुए।
वर्ष 2023 में करौंदीकला थाना से उस पर गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई की गई। 2024 में बाइक चोरी का केस दर्ज जौनपुर में दर्ज हुआ था। आरोप है कि उसी चोरी की बाइक सुलतानपुर सराफा डकैती कांड में इस्तेमाल की गई थी। उसके बाद 28 अगस्त 2024 को उसका नाम सुलतानपुर की चर्चित सराफा डकैती कांड में सामने आया। फिर पुलिस उसके पीछे पड़ गई और गुरुवार को भोर में पुलिस मुठभेड़ में उसे ढेर कर दिया,ऐसे चार वर्ष के आपराधिक जीवन में उसका अंत हो गया।
सुलतानपुर सराफा डकैती कांड में पुलिस की जांच में कुल 15 आरोपी प्रकाश में आए हैं। इसमें मास्टर माइंट विपिन सिंह डकैती की घटना के बाद एक केस में जमानत तुड़वाकर रायबरेली जेल में चला गया। उसके खिलाफ वारंट बी जारी किया गया है। डकैती केस के विवेचक नगर कोतवाल की अर्जी पर सीजेएम नवनीत सिंह ने वाररंट बी जारी किया गया है। रायबरेली जेल में वारंट तामिल कराकर उसको रिमांड पर लेने की प्रक्रिया शुरु हो गई है। वहीं तीन आरोपी मंगलवार को पुलिस मुठभेड़ में दबोचे जा चुके हैं। एक डकैत के नाम और पते का अभी तक खुलासा नहीं हुआ है। ऐसे में प्रकाश में आए फरार नौ डकैतों की पुलिस की सात टीमें तलाश कर रहीं हैं। एसटीएफ भी इस काम में लगी है।
फरार आरोपियों में फुरकान उर्फ गुज्जर पुत्र मो.सैफ निवासी पूरे चन्दई चिलौली थाना मोहनगंज जनपद अमेठी, अनुज प्रताप सिंह पुत्र धर्मराज सिंह निवासी जनापुर थाना मोहनगंज जनपद अमेठी, अरबाज पुत्र शान मोहम्मद निवासी अशापुर रूरु थाना मोहनगंज, अमेठी, विनय शुक्ला पुत्र राम तीर्थ शुक्ला निवासी ग्राम सहमेऊ थाना मोहनगंज जिलाअमेठी, अंकित यादव उर्फ शेखर निवासी ग्राम हरिपुरा थाना आसपुर देवसरा जिला प्रतापगढ, अजय यादव उर्फ डीएम पुत्र बाबूलाल निवासी लारपुर थाना सिगरामऊ जिला जौनपुर, अरविन्द यादव उर्फ फौजी पुत्र स्व. श्रीदेव यादव निवासी ग्राम चमराडीह थाना फूलपुर आजमगढ, विवेक सिंह पुत्र सामेन्द्र सिंह निवासी भवानी नगर थाना मोहनगंज जनपद अमेठी, दुर्गेश प्रताप सिंह पुत्र शत्रुघ्न सिंह निवासी मकान 1135डी नया पुरवा निकट फायर स्टेशन रायबरेली शामिल हैं।
मंगेश का नाम उन पांच में था जो दुकान में घुसे थे
यूपी एसटीएफ के साथ मुठभेड़ में मारा गया जौनपुर का बदमाश मंगेश यादव सुलतानपुर के सराफा की दुकान में घुसकर डकैती डाली थी। उसके साथ में फुरकान, अनुज प्रताप, अरबाज, और अंकित यादव थे। उसी ने डकैती के लिए जौनपुर से बाइक भी चोरी की थी। पुलिस अधीक्षक ने बताया है कि डकैती के लिए बदमाशों ने तीन ग्रुप थे। पहले ग्रुप में पुष्पेन्द्र, त्रिभुवन व सचिन थे। सचिन ने पुष्पेन्द्र की मदद से त्रिभुवन की बोलोरो का इंतजाम किया था। दूसरे ग्रुप में विपिन सिंह, विनय शुक्ला, अजय यादव, अरविन्द यादव विवेक सिंह, दुर्गेश प्रताप सिंह शामिल थे। जिसे बैकअप प्रदान करना था। तीसरे ग्रुप में फुरकान, अनुज प्रताप, अरबाज, मंगेश यादव व अंकित यादव ने दुकान में घुसकर लुटपाट की थी ।
एनकाउंटर केस राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में दर्ज
जौनपुर निवासी मंगेश यादव की पुलिस मुठभेड़ में मौत पर संदेह जताते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील डॉ. गजेंद्र सिंह यादव ने केस को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में दर्ज कराया है। पुलिस के अतिरिक्त किसी उच्चस्तरीय जांच संस्था से जांच कराने की मांग की है। मुठभेड़ पर सवाल उठाते हुए अधिवक्ता ने कहा कि घटनाक्रम एवम परिस्थितियों को ध्यान में रखकर देखने से प्रतीत होता है कि यह मुठभेड़ संदिग्ध है। इस केस में सह अभियुक्त भी समर्पण ही करता इसकी ज्यादा संभावना थी। मारे गए आरोपी को बड़ा इनामी अपराधी दिखाकर पुलिस सहानुभूति लेना चाहती है। इससे पहले उस पर कोई इनाम भी घोषित नहीं था। पूर्व में कोई बड़ा या गम्भीर आरोप नहीं था। दूसरी ओर एसटीएफ मुठभेड़ करने वाली एसटीएफ टीम ने कहा,मानवाधिकार आयोग के निर्देषों का अक्षरषः पालन किया गया।
भाजपा राज अपराधियों का अमृत काल: अखिलेश
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रदेश सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने सोशल साइट क्रास पर लिखा है कि डकैती में शामिल लोगों से सत्ता पक्ष का गहरा सम्पर्क था। इसीलिए तो नकली एनकाउंटर में पहले 'मुख्य आरोपी' से संपर्क साधकर सरेंडर करा दिया गया और अन्य सपक्षीय लोगों क पैरों पर सिर्फ दिखावटी गोली मारी गई और 'जात' देखकर जान ली गई। नकली एनकाउंटर रक्षक को भक्षक बना देते हैं। भाजपा राज अपराधियों का अमृत काल है। जनतासबसमझतीहै।
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