वक्फ पर कानून बनने से पहले ही एक्शन में यूपी सरकार, बिना कागजात वाली संपत्तियों की तलाश शुरू
वक्फ का संशोधित बिल संसद से पास हो गया है। इसे कानून बनने के लिए राष्ट्रपति की साइन अभी बाकि है। इससे पहले ही यूपी सरकार एक्शन में आ गई है। वक्फ संपत्तियों के कागजात की जांच गुपचुप तरीके से शुरू हो चुकी है।

लोकसभा और राज्यसभा से पास हुए वक्फ संशोधन बिल का सबसे बड़ा असर सदियों पुरानी उन वक्फ संपत्तियों पर पड़ना तय है, जिनके उचित कागजातों को लेकर संशय है। शुक्रवार को वक्फ बोर्डों में गुपचुप तरीके से ऐसी श्रेणी की संपत्तियों का ब्योरा एकत्रित किया जाता रहा। हालांकि विभाग आधिकारिक तौर पर इस तरह का ब्योरा एकत्रित किए जाने से इनकार कर रहा है। वजह है कि आधिकारिक तौर पर वक्फ संपत्तियों के बारे में कोई काम तब ही शुरू होगा, जब बिल पर राष्ट्रपति के दस्तखत होने के बाद इसे केंद्र सरकार उत्तर प्रदेश को भेजेगी।
वहीं, भाजपा नेता और पूर्व अल्पसंख्यक राज्यमंत्री मोहसिन रजा ने भी कहा कि वक्फ संपत्तियों की जांच होगी। जो संपत्तियां गलत तरह से वक्फ में शामिल की गई हैं, उन्हें जब्त किया जाएगा और सरकार उन्हें वापस लेगी। पूर्व मंत्री ने कहा कि हमारे देश में पहली बार इस तरह का संशोधन हो रहा है, जो पिछड़े और गरीब मुसलमानों के कल्याण के लिए लाया गया है। …यह बहुत अच्छा काम हुआ है ताकि हमारी वक्फ की संपत्तियां सुरक्षित रहें।
बिल के प्राविधानों में सबसे अहम पहलू 'उपयोगकर्ताओं द्वारा वक्फ' के हिस्से को समाप्त किया जाना है। उत्तर प्रदेश में इस तरह की वक्फ संपत्तियों की सबसे बड़ी तादाद है। सूत्र बताते हैं कि कुल 1.32 लाख वक्फ संपत्तियों में से 80 प्रतिशत आजादी के पहले की घोषित वक्फ हैं। वहीं, इन 80 प्रतिशत का आधा हिस्सा तो मुगल और नवाबी काल से है। ऐसे में सदियों पुरानी इन वक्फ संपत्तियों के वक्फ होने संबंधी आधिकारिक दस्तावेज होने की संभावनाएं कम हैं। हालांकि, लोकसभा और राज्यसभा में बार-बार सरकार ने साफ किया कि 'उपयोगकर्ताओं द्वारा वक्फ' श्रेणी को हटाने का असर वक्फ की दीनी संपत्तियों पर नहीं पड़ेगा।
इसके बावजूद जानकार बताते हैं कि न केवल दीन के उपयोग वाली बल्कि उनसे जुड़ी संपत्तियां भी इस श्रेणी में अब तक वक्फ बोर्ड में पंजीकृत हैं। लिहाजा वक्फ बोर्ड में ऐसी संपत्तियों का ब्योरा अनाधिकारिक तौर पर इकट्ठा किया जाना शुरू कर दिया गया है। सूत्र बताते हैं कि आधिकारिक तौर पर दिल्ली से कोई आदेश आने के पहले तक वक्फ बोर्ड अपनी तैयारियां पूरी रखना चाहता है। बस आधिकारिक तौर पर इसके बारे में कुछ कहने से बच रहा है।
सुन्नी वक्फ बोर्ड ने किया था विरोध
बिल का मसौदा तैयार होने से पहले संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठकों में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने 'उपयोगकर्ताओं द्वारा वक्फ' के पहलू को समाप्त करने पर ऐतराज जताया था। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने 'उपयोगकर्ताओं द्वारा वक्फ' को वक्फ व्यवस्था का अभिन्न हिस्सा बताया था। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने यह भी कहा था कि इस्लामिक कानून हर मामले में वक्फ की घोषणा जरूरी नहीं मानता। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इस पहलू को समाप्त किए जाने से अराजकता और भ्रम उपजने की आशंका जताई थी।
सूत्र बताते हैं कि पुरानी संपत्तियों के वाजिब और आधिकारिक दस्तावेज न होने की वजह से ही सुन्नी वक्फ बोर्ड ने वक्फ संपत्तियों के लिए पोर्टल और डेटाबेस तैयार करने की बाध्यता का भी जेपीसी में विरोध किया था। बोर्ड ने पंजीकरण और ऑडिट आदि में केंद्र सरकार के हस्तक्षेप को गैरजरूरी बताते हुए इस पर आपत्ति जताई थी। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इस व्यवस्था को ट्रस्ट संबंधी दूसरे कानूनों में भी अनिवार्य न होने का तर्क दिया था।