अखिलेश बोले, वक्फ बिल सांप्रदायिक राजनीति का नया रूप, लोगों से उनके घर-दुकान छीनने की साजिश
अखिलेश ने कहा कि भाजपा जब भी कोई नया बिल लाती है तो दरअसल वो अपनी नाकामी छुपाती है। भाजपा नोटबंदी, जीएसटी, मंदी, महंगाई, बेरोज़गारी, बेकारी, भुखमरी, बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा और आवास जैसी समस्याएं सुलझा नहीं पा रही है, इसीलिए ध्यान भटकाने के लिए वक़्फ़ बिल लायी है।

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने वक्फ बिल के विरोध में लोकसभा में अपनी बात रखने के बाद गुरुवार को सोशल मीडिया पर भी इसे लेकर भाजपा पर निशाना साधा। अखिलेश यादव ने कहा कि वक्फ बिल सांप्रदायिक राजनीति का नया रूप है। आरोप लगाया कि भाजपा वक्फ की जमीनों को पिछले दरवाजे से अपने लोगों को देने के लिए यह बिल लेकर आई है। इस वक्फ बिल से करोड़ों लोगों से उनके घर-दुकान छीनने की साजिश भाजपा कर रही है। अखिलेश ने यह भी कहा कि भाजपा चाहती है कि वक्फ बिल के खिलाफ मुसलमान उद्वेलित हो जाएं और उसे ध्रुवीकरण की राजनीति करने का मौका मिल जाए।
अखिलेश ने एक्स पर एक लंबा पत्र लिखा है। इसमें कहा कि भाजपा जब भी कोई नया बिल लाती है तो दरअसल वो अपनी नाकामी छुपाती है। भाजपा नोटबंदी, जीएसटी, मंदी, महंगाई, बेरोज़गारी, बेकारी, भुखमरी, बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा और आवास जैसी समस्याएं सुलझा नहीं पा रही है, इसीलिए ध्यान भटकाने के लिए वक़्फ़ बिल लायी है। वक्फ की ज़मीन से बड़ा मुद्दा वो ज़मीन है जिस पर चीन ने अपने गांव बसा दिये हैं लेकिन कोई बाहरी ख़तरे पर सवाल-बवाल न करे इसीलिए ये बिल लाया जा रहा है।
अखिलेश ने कहा, सरकार गारंटी दे कि वक्फ की ज़मीन कभी भी किसी भी पैतरेबाजी से किसी और मकसद के लिए किसी और को नहीं दी जाएगी। वक्फ की वर्तमान व्यवस्था में चाहे 5 साल के धर्म पालन की पाबंदी की बात हो या कलेक्टर से सर्वेक्षण के हस्तक्षेप की बात हो या वक्फ परिषद या बोर्ड में बाहरियों को शामिल करने की बात हो… इन सबका उद्देश्य एक वर्ग विशेष के सांविधानिक अधिकार को छीनकर उनके महत्व और नियंत्रण को कम करना है। ट्रिब्यूनल के निर्णय को अंतिम न मानकर उच्च न्यायालय में लेकर जाने की अनुमति देना दरअसल ज़मीनी विवाद को लंबी न्यायिक प्रक्रिया में फंसाकर वक्फ भूमि पर कब्जों को बनाये रखने का रास्ता खोलेगा।
अखिलेश ने पूछा कि क्या दूसरे धर्मों की धार्मिक और चैरिटेबल ज़मीनों और ट्रस्टों में बाहरियों को शामिल करके ऐसी ही व्यवस्था करेगी? सबसे बड़ी बात ये है कि वक्फ बिल की पीछे की न तो नीति सही है, न नीयत। ये देश के करोड़ों लोगों से उनके घर-दुकान छीनने की साज़िश है। भाजपा एक अलोकतांत्रिक पार्टी है, वो असहमति को अपनी शक्ति मानती है। जब देश के अधिकांश राजनीतिक दल वक्फ बिल के खिलाफ हैं तो इसे लाने की ज़रूरत क्या है और ज़िद क्यों है। वक्फ बिल को लाना भाजपा का ‘सियासी हठ’ है।
वक्फ बिल सांप्रदायिक राजनीति का नया रूप
वक्फ बिल भाजपा की साम्प्रदायिक राजनीति का एक नया रूप है। भाजपा वक्फ बिल लाकर अपने उन समर्थकों का तुष्टीकरण करना चाहती है, जो भाजपा की आर्थिक नीति, महंगाई, बेरोज़गारी, बेकारी और चौपट अर्थव्यवस्था से उससे छटक गये हैं। भाजपा की निगाह वक्फ की ज़मीनों पर है। वो इन ज़मीनों का नियंत्रण अपने हाथ में लेकर इन्हें पिछले दरवाजे से अपने लोगों के हाथों में दे देना चाहती है।
भाजपा चाहती है कि वक्फ बिल लाने से मुस्लिम समुदाय को लगे कि उनके हक को मारा जा रहा है, वो उद्वेलित हों और भाजपा को ध्रुवीकरण की राजनीति करने का मौका मिल सके। वक्फ बिल भाजपा की नकारात्मक राजनीति की एक निंदनीय साजिश है।
भाजपावाले मुसलमान भाइयों की वक्फ की ज़मीन चिन्हित करने की बात कर रहे हैं जिससे महाकुंभ में जो हिंदू मारे गये हैं या खो गये हैं उनको चिन्हित करने की बात पर पर्दा पड़ जाए। वक्फ बिल के आने से पूरी दुनिया में एक गलत संदेश भी जाएगा। इससे देश की पंथ निरपेक्ष छवि को बहुत धक्का लगेगा। वक्फ बिल भाजपा की नफ़रत की राजनीति का एक और अध्याय है। वक्फ बिल भाजपा के लिए वाटरलू साबित होगा।