Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़up electric privatization process takes one step forward Threats to power engineers and employees have no effect

बिजली इंजीनियरों और कर्मचारियों की धमकियों का कोई असर नहीं, निजीकरण प्रक्रिया एक कदम आगे बढ़ी

यूपी में बिजली कंपनियों को पीपीपी माडल पर निजी घरानों को देने यानी निजीकरण की प्रक्रिया गुरुवार को और एक कदम आगे बढ़ गई। शासन में मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में एनर्जी टास्क फोर्स की बैठक हुई।

Yogesh Yadav लाइव हिन्दुस्तान, लखनऊThu, 5 Dec 2024 11:01 PM
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यूपी में बिजली कंपनियों को पीपीपी माडल पर निजी घरानों को देने यानी निजीकरण की प्रक्रिया गुरुवार को और एक कदम आगे बढ़ गई। शासन में मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में एनर्जी टास्क फोर्स की बैठक हुई। इसमें बिजली कंपनियों में निजी घरानों को 51 फीसदी हिस्सेदारी देने पर मंथन किया गया। चर्चा है कि इस बैठक में उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने पीपीपी माडल की तैयारियों से मुख्य सचिव को अवगत कराया। टास्क फोर्स से प्रस्ताव फाइनल होने के बाद इसे कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत किया जा सकता है। शासन के आज के कदम से साफ है कि बिजली इंजीनियरों और कर्मचारियों की धमकियों का कोई असर नहीं पड़ रहा है। भले ही यूपी के इंजीनियरों को देश भर के इंजीनियरों का समर्थन मिल रहा है, फिर भी सरकार विरोध से बेखबर है।

बताया जाता है कि शासन में एनर्जी टास्क फोर्स की यह बैठक लंबी चली। पीपीपी माडल पर कंपनियों को निजी क्षेत्र को दिए जाने के एक-एक बिंदु पर चर्चा की गई। कर्मचारियों के मन में उठ रही शंकाओं और उसके समाधान पर भी चर्चा हुई। पीपीपी पर निजी घरानों को इन कंपनियों को देने के लिए क्या-क्या कदम उठाए जाने हैं इसकी रूपरेखा पर मंथन हुआ। जानकार बताते हैं कि इस बैठक में यदि प्रस्ताव को पास किया गया होगा तो अब यह प्रस्ताव कैबिनेट की स्वीकृति के लिए जाएगा।

कैबिनेट से प्रस्ताव पास होने पर उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में प्रस्ताव दाखिल होगा। जिसके बाद आयोग इस मुद्दे पर सभी पक्षों को सुनेगा। आयोग से फैसला होने के बाद पीपीपी माडल पर कंपनियों को दिए जाने पर मुहर लगेगी। बताया जाता है कि निजीकरण के साथ ही अन्य मुद्दों पर भी चर्चा हुई।

चेयरमैन बोले बिजलीकर्मियों के हित सुरक्षित, बहकावे में न आएं

वहीं, पूर्वांचल और दक्षिणांचल बिजली वितरण कंपनियों को लेकर पावर कारपोरेशन का रुख भी सख्त है। कारपोरेशन प्रबंधन ने गुरुवार को फिर दोहराया कि प्रदेश में ऊर्जा क्षेत्र की स्थिति सुधारने के लिये की जा रही रिफार्म प्रक्रिया को कार्मिकों के हितों के प्रति संवेदनशील, खुला, पारदर्शी एवं प्रतिर्स्पधात्मक बनाया गया है। जिससे उपभोक्ता, किसान, अधिकारियों तथा कर्मचारियों आदि के हित सुरक्षित रहें। इसके लिये प्रस्तावित निविदा में भी स्पष्ट एवं कड़े प्राविधान किये जाएंगे। प्रबंधन ने कहा है कि कुछ लोगों द्वारा भ्रामक खबरें प्रसारित की जा रही हैं। कर्मचारियों से इनके बहकावे में न आने को कहा गया है।

कारपोरेशन अध्यक्ष डा. आशीष कुमार गोयल ने गुरुवार शाम वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से प्रदेश की बिजली व्यवस्था के संबंध में अधिकारियों से पूछताछ की। ओटीएस तथा रिफार्म के संबंध में जरूरी व्यवस्थाओं की जानकारी ली। अधिकारियों ने बताया कि हर जगह कंट्रोल रूम स्थापित कर लिये गये हैं।

असहयोग किया तो संविदाकर्मियों पर होगी कार्रवाई

जिला प्रशासन के अधिकारियों से बात हो गयी है। क्रिटिकल सबस्टेशनों की लिस्ट बन चुकी है। संविदा कार्मियों की एजेंसियों से भी बात हो गयी है। जहां भी संविदा कर्मी कुछ असहयोग करेंगे, उनके विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की जाएगी। ट्रांसमिशन के सबस्टेशनों की भी सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है। विजिलेंस भी सजग है। मोबाइल गैंग भी तैयार किये जा रहे है। अधिकारियों ने कहा कि किसी भी आंदोलनात्मक परिस्थिति से निपटने की तैयारी कर ली गयी है।

आंदोलन करने वालों को दी चेतावनी

सभी धरना-प्रदर्शन की वीडियोग्राफी की जा रही है। जो लोग भी ऐसी गतिविधियों में हिस्सा लेंगे उनके विरूद्ध कड़ी कार्यवाही की जाएगी। बैठक में निर्णय हुआ कि सोशल मीडिया एवं व्हाट्सएप ग्रुप की रिकार्डिंग रखी जाये। छुट्टी नहीं दी जाये। अस्पताल, मेडिकल कॉलेज या आवश्यक सुविधाओं में विद्युत आपूर्ति प्रभावित न हो इसकी व्यवस्था करके रखें। अध्यक्ष ने कहा कि एफएक्यू के माध्यम से सभी शंकाओं का समाधान कर दिया गया है।

कर्मचारियों एवं अधिकारियों के सभी हित सुरक्षित हैं। इसलिए सभी से आग्रह है कि इस ऐतिहासिक कार्य में सहयोग करें। बैठक में तय हुआ है कि प्रत्येक जिलों में ऐसे व्यक्तियों एवं कार्मिक नेताओं को चिन्हित कर लिया जाये जो विद्युत व्यवस्था में नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर सकते हैं। अध्यक्ष ने सभी मुख्य अभियंताओं से भी तैयारियों के मामले में जानकारी ली।

संघर्ष समिति ने पूछा बिना स्वीकृति के प्रबंधन ने कैसे जारी कर दी आरएफपी

पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण कंपनियों के निजीकरण के विरोध का सिलसिला जारी है। इसे लेकर पावर कारपोरेशन प्रबंधन और बिजली कर्मियों में शीतयुद्ध की स्थिति है। बिजली कर्मियों और पावर कारपोरेशन प्रबंधन की ओर से सवाल-जवाब के जरिए एक-दूसरे को घेरने का प्रयास हो रहा है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने कारपोरेशन प्रबंधन पर निजीकरण के बाद कर्मचारियों की सेवा शर्तों के बारे में मनगढ़ंत प्रोपेगंडा करने का आरोप लगाया है। समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा है कि प्रबंधन निजीकरण का आरएफपी बिना अप्रूवल के कैसे जारी कर सकता है।

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने गुरुवार को विज्ञप्ति जारी कर फिर चेताया है कि झूठे आंकड़ों और धमकी के बल पर पॉवर कार्पोरेशन प्रबंधन हजारों कर्मचारियों के भविष्य से खिलवाड़ नहीं कर सकता। समिति ने सवाल उठाया है कि आए दिन कर्मचारियों की सेवा शर्तों के बारे में मनगढ़ंत प्रोपेगंडा कर रहे कार्पोरेशन प्रबंधन ने बिना किसी स्वीकृति के निजीकरण का आरएफपी डॉक्यूमेंट कैसे सर्कुलेट करना शुरू कर दिया है। उन्होंने इसे झूठ का पुलिंदा बताते हुए कहा कि बिजली कर्मचारी इससे भ्रमित होने वाले नहीं है।

प्रबंधन को दी खुली बहस की चुनौती

संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, सुहैल आबिद, पीके दीक्षित, राजेंद्र घिल्डियाल, चंद्र भूषण उपाध्याय, छोटेलाल दीक्षित, देवेंद्र पाण्डेय, आरबी सिंह, राम कृपाल यादव आदि ने कहा है कि निजीकरण के विरोध में कर्मचारियों के गुस्से को देखते हुए कार्पोरेशन प्रबंधन एफएक्यू के नाम से मनगढ़ंत प्रश्नोत्तरी आए दिन जारी कर रहा है, जिसके झांसे में बिजली कर्मी आने वाले नहीं हैं।

संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण के बाद कर्मचारियों की भारी संख्या में छंटनी और पदावनति होने वाली है। आउटसोर्स कर्मचारी तत्काल हटा दिए जाएंगे। निजीकरण के बाद यही आगरा और अन्य स्थानों पर हुआ है। संघर्ष समिति ने प्रबंधन को इस बारे में सार्वजनिक तौर पर या किसी भी न्यूज चैनल पर खुली बहस की चुनौती दी है।

दिल्ली-उड़ीसा के कर्मचारी बताएंगे निजीकरण का सच

संघर्ष समिति ने पूछा कि कार्पोरेशन प्रबंधन को यह बताना चाहिए कि आरएफपी डॉक्यूमेंट निविदा मांगने के पहले कैसे सार्वजनिक किया जा रहा है। समिति ने कहा कि निजीकरण की असली तस्वीर कर्मचारियों के सामने प्रस्तुत करने के लिए उड़ीसा और दिल्ली के कर्मचारी उत्तर प्रदेश आएंगे। वे कर्मचारियों के बीच निजीकरण होने के बाद कर्मचारियों की छंटनी, सेवा शर्तें पूरी तरह प्रभावित होने सहित अन्य जानकारी सीधे देंगे। उन्होंने प्रबंधन पर महाकुंभ की तैयारी और बिजली व्यवस्था में सुधार की चिंता करने के बजाय निजी कंपनी के प्रवक्ता की तरह व्यवहार करने का आरोप लगाया है। निजीकरण के विरोध में बोलने वाले कर्मचारियों को बर्खास्तगी की धमकी दी जा रही है। संघर्ष समिति ने इस मामले में विधिक कार्यवाही के लिए हाईकोर्ट के वकीलों का एक पैनल बना दिया है।

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