Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़UP currency king Rajesh Agrawal has 4000 years old coins and stamps of 200 countries

यूपी के करेंसी किंग: इनके पास है 4 हजार साल पुराने सिक्के और 200 देशों के डाक टिकट

बुलंदशहर के रहने वाले प्रवक्ता डॉ. राजेश अग्रवाल को लोग करेंसी किंग के नाम से जानते हैं। दरअसल उनके पास 200 देशों के डाक टिकट है इसके अलावा उनके कलेक्शन में 4 हजार साल पुराने सिक्के भी हैं।

Pawan Kumar Sharma हिन्दुस्तान, बुलंदशहर, रविकांत भारद्वाजTue, 22 Oct 2024 07:11 PM
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कुछ शौक ऐसे होते हैं, जिनसे व्यक्ति की पहचान बन जाती है। आज हम ऐसे की शख्स के बारे में बात कर रहे हैं। जो उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के खुर्जा के हनुमान टीला निवासी हिंदी के प्रवक्ता डॉ. राजेश अग्रवाल हैं। जिनको सिक्के, करेंसी और डाक टिकट एकत्र करने का शौक है। उन्होंने भारत के ही नहीं बल्कि 200 देशों के डाक टिकट एकत्र किए हैं। विदेशों की करेंसी भी उनके पास है, जिनकी कीमत लाखों रुपये है। जिनको भी इनके शौक के बारे में पता है वह डॉक्टर साहब को करेंसी किंग कहकर भी संबोधित करता है।

दादा को देख नौ वर्ष की आयु से ही लगा यह शौक

डॉ. राजेश अग्रवाल एसएमजेईसी इंटर कॉलेज में हिंदी के प्रवक्ता हैं। वह बताते हैं कि जब वह नौ वर्ष के थे, तब उनके दादा रामसरन दास ने कुछ भारतीय पुराने सिक्के दिए थे। जिसके बाद से उन्हें सिक्के, डाक टिकट और देश व विदेश के विभिन्न नोटों को एकत्र करने का शौक लग गया। उन्होंने पिछले 50 वषों में विभिन्न देशों की करेंसी और डाक टिकट एकत्र किए हैं। इसी प्रकार अपने देश के भी डाक टिकट उन्होंने संभाल कर रखे हैं। डॉ. राजेश अग्रवाल के पास राजशाही के दौरान के सिक्के भी हैं। साथ ही उनके स्टाम्प पेपर भी हैं।

सिक्कों को दिखाकर बताते हैं इतिहास की जानकारी

देश, शासक, भाषा और संस्कृति के इतिहास की जानकारी सिक्कों से प्राप्त की जा सकती है। डॉ. राजेश अग्रवाल के पास भारत व विश्व के हजारों वर्ष पुराने ऐतिहासिक सिक्कों का अनमोल खजाना है। 50 वर्षों से सिक्कों का संग्रह कर रहे डॉ. राजेश अग्रवाल का परिवार पिछले 150 वर्षों से संजोकर रखे हुए हैं।

150 देशों के 5000 सिक्के हैं, 50 देशों की 350 करेंसी

डॉ. राजेश अग्रवाल को ऐतिहासिक वस्तुओं के संकलन में विशेष रुचि है। इसी कारण आज इनके संकलन में 150 देशों के 5000 सिक्के हैं। जिनमें 300 सिक्के चांदी के हैं। वहीं 50 देशों के 350 नोट तथा 200 देशों की 3500 डाक टिकट हैं। जिनमें कुछ बहुत दुर्लभ हैं तथा उनकी कीमत लाखों रूपये में है।

खुर्जा में संग्रहालय चाहते हैं डॉ. अग्रवाल

डॉ. राजेश अग्रवाल ने विभिन्न देशों की करेंसी, सिक्के, डाक टिकट सहित विभिन्न संकलन वर्षों के परिश्रम तथा काफी धन व्यय कर एकत्रित किया है। उनकी इच्छा है कि खुर्जा नगर में एक संग्रहालय स्थापित किया जाये। जिससे नगर को प्रसिद्धि प्राप्त हो सके। जनता ऐतिहासिक वस्तुओं के संकलन को देखकर अपनी ज्ञानवृद्धि करें।

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संकलन में प्रमुख मुद्राएं

डॉ. राजेश अग्रवाल के संकलन में प्रमुख रूप से पहली सदी से पांचवीं सदी तक के रजत व कांस्य पंचमार्क सिक्के, मौर्य वंश, कुषाण वंश, इंडोग्रीक, तुगलक वंश, लोदी वंश, खिलजी वंश, सूरी वंश, भारत के पुर्तगाली आधिपत्य वाले इलाकों में जारी सिक्के, ब्रिटिश कालीन भारत तथा प्रमुख रियासतों ग्वालियर, कश्मीर, हैदराबाद, जयपुर, रतलाम, उदयपुर, बड़ोदा, तिब्बत, कच्छ, बीकानेर, जरोरा, मलेर कोटला, झांसी, बहावलपुर, अलवर, टॉक, जोधपुर, कोटा, मैसूर, अवध, भोपाल, सीतामऊ, किशनगढ, जौनपुर, मराठा साम्राज्य, वहमनी साम्राज्य, विजय नगर साम्राज्य, अहमदनगर, गोल कुंडा, जौनपुर तथा गुजरात, मालवा व मुल्तान के नवाबों के सिक्के हैं। स्वतंत्र भारत में 1950 ई से आज तक प्रचलित अधिकांश सिक्के भी संकलन में खास हैं।

विश्वयुद्ध में जारी 2, 4 और 8 आने के निकल सिक्के की संकलन

प्रथम विश्वयुद्ध में अंग्रेजों की ओर से जारी 2, 4 और 8 आने के निकल सिक्के भी डॉ. राजेश अग्रवाल के संकलन में हैं, जबकि विश्व युद्ध से पहले और बाद में उक्त सिक्के चांदी के होते थे। डॉ. राजेश अग्रवाल के अनुसार 1919 में जार्ज पंचम के चित्र वाले 8 आने के सिक्के की कीमत लगभग एक लाख रूपये है। विश्व का सर्वाधिक कीमत वाला युगोस्लाविया का 50 अरब दीनार का नोट तथा कई देशों के 1 लाख, 10 लाख व 50 लाख के नोट भी उनके संकलन में हैं। संकलन में महात्मा गांधी के जीवन पर आधारित अनेक देशों व भारत में जारी लगभग 50 डाक टिकटों के संग्रह की कीमत 20-25 हजार रूपये के बीच है।

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पहली डाक टिकट भी संग्रह में शामिल

15 अगस्त 1947 को आजाद भारत की पहली डाक टिकट भी इनके संग्रह में है। डा. अग्रवाल के अनुसार उसका वर्तमान मूल्य करीब 10 हजार रूपये आंका गया है। जिसके बाद से उन्होंने प्रथम दिवस आवरण के करीब 300 डाक टिकट संग्रहित किए हैं।

संग्रह करने वालों की करते हैं मदद

विभिन्न वस्तुओं का संग्रह करने वाले और उनकी जानकारी हासिल करने वालों की डा. राजेश अग्रवाल मदद करते हैं। वह बताते हैं कि इतिहास की जानकारी हासिल करने वाले उनके पास आते हैं। जिनकी वह मदद करने को हमेशा तैयार रहते हैं।

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