क्या सपा को वोट ट्रांसफर करा पाएगी कांग्रेस? यूपी उपचुनाव में इंडिया गठबंधन का इम्तिहान
- असल में पिछड़ा, दलित और अल्संख्यक वोट यानी PDA के नाम पर सपा ने लोकसभा चुनाव में जो कामयाबी पाई, उसके चलते BJP इस बार कांटे से कांटा निकालने की कोशिश में है। उसका भी फोकस ओबीसी और दलित वोट पर है। साथ ही हिंदुत्व के हंसिए से ओबीसी दलित वोटों की फसल काट लेना चाहती है।
Challenges of India alliance in UP by-election: लोकसभा चुनाव के उलट अब इंडिया गठबंधन के सामने उपचुनाव में नई चुनौती सामने हैं। भाजपा ने उसके पीडीए में सेंध लगाने के लिए उसी की तर्ज पर ज्यादातर टिकट पिछड़ों में बांटे हैं। इससे एक कदम आगे बढ़ कर बसपा ने भी मुस्लिम व पिछड़े वर्ग के वोट पर नजरें लगा दीं हैं। बदले हालात में कांग्रेस बिना चुनाव लड़े सपा को सभी सीटों पर जिताने की हुंकार तो भर रही है पर राज्य में कांग्रेस का इन सीटों पर जो कुछ भी वोट है वह कितना ट्रांसफर हो पाएगा यह बड़ा सवाल सपा मुखिया अखिलेश यादव के सामने है।
असल में पिछड़ा, दलित और अल्संख्यक वोट यानी पीडीए के नाम पर सपा ने लोकसभा चुनाव में जो कामयाबी पाई, उसके चलते भाजपा इस बार कांटे से कांटा निकालने की कोशिश में है। उसका भी फोकस ओबीसी व दलित वोट पर है साथ ही हिंदुत्व के हंसिए से ओबीसी दलित वोटों की फसल काट लेना चाहती है। सपा ने चार मुस्लिम टिकट देकर लोकसभा चुनाव से उलट निर्णय लिया। तब उसने 63 सीटों पर चार मुस्लिम दिए थे। इस बार 9 में चार मुस्लिम हैं। दो दलित भी प्रत्याशी हैं। इसके जरिए सपा उस धारणा की धार को कुंद करना चाहती है कि गैर भाजपाई दलों में दलित और मुस्लिम कांग्रेस को प्राथमिकता दे रहा है। असल में सपा की खास रणनीति के चलते कांग्रेस को पीछे हटना पड़ा। वरना कांग्रेस के कई दावेदार टिकट की कोशिश में थे। पर हरियाणा चुनाव के नतीजों ने उसे बैकफुट पर ला दिया। अखिलेश ने महाराष्ट्र और यूपी दोनों में एक तरफा अपने प्रत्याशी उतार दिए। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को अहसास है कि सपा के साथ गठबंधन अगले विधानसभा चुनाव में प्रभावी हो सकता है।
लोकसभा चुनाव में काम कर गई थी सपा की रणनीति
लोकसभा चुनाव के दौरान प्रयागराज में सपा के कद्दावर नेता रेवती रमण सिंह के पुत्र उज्जवल रमण को सपा ने खास रणनीति के तहत कांग्रेस से टिकट दिला दिया। इसकी वजह यह थी कि सपा के नाम पर पीछे हटने वाले वोटर कांग्रेस के नाम उज्जवल रमण को वोट दे दें। यह रणनीति काम कर गई। उज्जवल रमण कांग्रेस के सांसद बन गए। ऐसा अब विधानसभा उपचुनाव में खैर सीट पर हुआ। यहां सपा ने चारू केन को उतारा। अगर यह खैर सीट पर कांग्रेस लड़ती तो वही इस पर उम्मीदवार होतीं। चारू केन पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा प्रत्याशी के तौर पर नंबर दो पर रही और सपा नंबर तीन पर। जब कांग्रेस चुनाव लड़ने से पीछे हट गई तो अखिलेश ने चारू को सपा का प्रत्याशी बना दिया।
अखिलेश का इस बार का प्रयोग
अखिलेश ने इस बार टिकट वितरण में कुछ चौंकाने वाले प्रयोग किए हैं। गाजियाबाद सदर सीट सामान्य है, यहां सपा ने दलित उम्मीदवार को प्रत्याशी बना दिया। इस सीट पर भाजपा व बसपा दोनों के सवर्ण प्रत्याशी हैं। ऐसे में सपा अपने इस प्रयोग के जरिए बेहद मुश्किल सीट जीतने का दांव खेल रही है। ऐसा ही काम उसने फैजाबाद लोकसभा सीट पर किया। इंडिया गठबंधन ने यहां जोर लगाया और अवधेश प्रसाद ने यह सीट जीत ली।
विधानसभा उपचुनाव में इंडिया गठबंधन को जिताने के लिए कांग्रेस ने सभी नौ सीटों के लिए अलग अलग समन्वय समितियां बना दी हैं। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय राय ने उत्तर प्रदेश में हो रहे उप चुनावों में इंडिया गठबंधन की जीत सुनिश्चित करने के लिए एक समन्वय समिति का गठन किया है। विधानसभावार गठित इस समन्वय समिति को यह जिम्मेदारी सौंपी गई की वह संबंधित विधानसभा में गठबंधन के प्रत्याशियों से समन्वय स्थापित कर प्रचार में जुटेंगे। हर कमेटी में छह से आठ सदस्य रखे गए हैं।