UP By Election: कटेहरी की जीत से भाजपा को संजीवनी, सपा का किला दरका
कटेहरी विधानसभा उपचुनाव में मिली जीत से जहां भाजपा को संजीवनी मिली है वहीं सपा की दीवार दरकी है। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने जिले की पांचों विधानसभा सीटों को जीतकर अपनी धमक बनाई थी।
कटेहरी विधानसभा उपचुनाव में मिली जीत से जहां भाजपा को संजीवनी मिली है वहीं सपा की दीवार दरकी है। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने जिले की पांचों विधानसभा सीटों को जीतकर अपनी धमक बनाई थी। इससे पहले के चुनाव में भी समाजवादी पार्टी ने अपनी अच्छी खासी उपस्थिति दर्ज की थी। इसके बाद वर्ष 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में भी यहां पर सपा ने जीत दर्ज करते हुए भाजपा को हाशिए पर धकेल दिया था।
लोकसभा चुनाव में लालजी वर्मा के निर्वाचित होने के बाद रिक्त हुई कटेहरी सीट को जीतने के लिए शुरू से ही भाजपा अपनी तैयारी में जुटी थी। कटेहरी विधानसभा के उपचुनाव के लिए पार्टी ने बूथ स्तर तक रणनीति तैयार की। प्रशासन की मदद से सरकारी योजनाओं को जनता तक पहुंचाया। अंत में तमाम कयास को दरकिनार करते हुए पिछड़ी जाति के धर्मराज निषाद को उम्मीदवार बनाया। इसके बाद से ही जनता के बीच यह आम चर्चा हो गई थी कि धर्मराज निषाद इस बार उपचुनाव में पार्टी को जीत दिलाएंगे।
कटेहरी सीट समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और लोकसभा सांसद लालजी वर्मा के सांसद बनने के बाद रिक्त हुई थी। उनके प्रभाव के चलते ही पार्टी ने उनकी पत्नी शोभावती वर्मा को प्रत्याशी बनाया था। ऐसा माना जा रहा था कि लालजी वर्मा अपने प्रभाव से इस सीट पर फिर से समाजवादी पार्टी को जीत दिलाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हो सका। वह अपने घर में ही बुरी तरह से बिखर गए। जिन 100 से अधिक बूथों से वह लगभग 10 से 15 हजार मतों की बढ़त बनाते थे, वह यहां इस बार नजर नहीं आया। शुरू में वहां उनकी पत्नी पीछे थी। हालांकि बाद में उन्होंने बढ़त बनाई लेकिन यह बढ़त 5000 से अधिक नहीं हो सकी।
इस चुनाव से भारतीय जनता पार्टी को भी संजीवनी मिलेगी और वह 2027 के विधानसभा चुनाव में और भी मजबूत दावेदारी के साथ उतरेगी। वहीं कटेहरी की मजबूत सीट से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी शिकस्त खाने से कहीं न कहीं सपाई दुर्ग भी कमजोर हुआ है। हालांकि सांसद लालजी वर्मा लगातार यह आरोप लगा रहे हैं कि प्रशासनिक मशीनरी के दम पर भाजपा ने जीत हासिल की है।
चुनाव के दिन भी वह यह आरोप लगाते रहे कि उनके मतदाताओं को वोट डालने से रोका जा रहा है। जगह-जगह बैरिकेडिंग की गई है और मतदाताओं को रोककर उनके पहचान पत्र चेक किए जा रहे हैं जिसकी चलते बड़ी संख्या में उनके वोट नहीं डाले जा सके। फिलहाल उपचुनाव से जनपद में मुरझाते कमल को संजीवनी मिली है, निश्चित रूप से आने वाले दिनों में भाजपा और भी मजबूती से निकलकर जिले की सियासत में उतरेगी।