दो आतंकियों को 10 साल की कैद, लाइफ इज फॉर जिहाद ग्रुप के जरिए करते थे अल-कायदा की भर्ती
आतंकी मोहम्मद इनामुल हक युवाओं को जिहाद के नाम पर भड़काकर आतंकी संगठनों में शामिल कराने और आतंकी गतिविधियों का प्रशिक्षण दिलाने के लिए रिक्रूटमेंट की कोशिश में लगा था। इसके लिए उसने कई प्रदेशों के युवाओं की मदद से सोशल मीडिया पर ग्रुप बना रखे थे।
आतंकी मोहम्मद इनामुल हक युवाओं को जिहाद के नाम पर भड़काकर आतंकी संगठनों में शामिल कराने और आतंकी गतिविधियों का प्रशिक्षण दिलाने के लिए रिक्रूटमेंट की कोशिश में लगा था। इसके लिए उसने कई प्रदेशों के युवाओं की मदद से सोशल मीडिया पर ग्रुप बना रखे थे। इन्हीं ग्रुपों की निगरानी के दौरान इस मामले का खुलासा हुआ था। एटीएस की जांच में सामने आया कि मो. शोएब उर्फ अबु मोहम्मद अल हिंदी नाम का युवक सोशल मीडिया के जरिये समुदाय विशेष के युवाओं को जेहाद के नाम पर आतंकी संगठनों के लिए रिक्रूटमेंट की कोशिश में लगा है।
सोशल मीडिया पर उसने आयशा केरल, आदिल केएस, मोहम्मद वकास खान के साथ लाइफ इज फॉर जिहाद नाम से ग्रुप बनाया था। इन सबके साथ ही जम्मू कश्मीर के शकील अहमद डार से मुजाहिदीन तैयार करने के बारे में बात होती थी। इसी बीच एटीएस को उसके बारे में इनपुट में मिला और जांच शुरू हुई तो मो. शोएब उर्फ अबु मोहम्मद अल हिंदी का नाम मोहम्मद इनामुल हक सामने आया, जो किला के मोहल्ला कटघर में रहता था। इसके बाद 18 जून 2020 को एटीएस ने घर से उसे उठा लिया। यहां वह घर के ऊपरी हिस्से में अकेले ही रहता था। उसके मोबाइल में अल कायदा से जुड़ा साहित्य मिला था, जिससे माना गया कि वह इसी आतंकी संगठन के लिए भर्ती समेत अन्य गतिविधियों को अंजाम दे रहा था।
पढ़े लिखे परिवार से रखता है ताल्लुक
पंतनगर विश्वविद्यालय में कर्मचारी उसके पिता की मौत के बाद बड़े बेटे फरीद को आश्रित में नौकरी मिल गई। परिवार पंतनगर चला गया। इनामुल, उसका छोटा भाई मुनीर लौट आए। मुनीर दुकानों पर नौकरी करने लगा। इनामुल मोबाइल पर लगा रहता था। घर में कुछ दुकान व कमरे का किराया दोनों बांट लेते थे।
रिश्तेदार की आईडी करता था इस्तेमाल
सोशल मीडिया पर इनामुल हक ने अपने रिश्तेदारों के नाम से कई फर्जी आईडी बना रखी थीं, जिनका वह इस्तेमाल करता था। एक रिश्तेदार के पकड़े जाने पर इस बात का खुलासा हुआ था।
रुद्रपुर में मूर्तियां तोड़ने में गया था जेल
इनामुल हक पहले से ही जिहादी मानसिकता का है। 2014 में पंतनगर में रहने के दौरान उसने रुद्रपुर में एक धर्मस्थल में लगी मूर्तियां तोड़ दी थीं। इस मामले में रिपोर्ट दर्ज होने पर उसे जेल भेजा गया। करीब छह महीने तक जेल में रहने के बाद वह बरेली आ गया और कुछ समय बाद अपने छोटे भाई मुनीर के साथ पैतृक घर में रहने लगा। मुनीर अब भी इसी घर में रहता है। बुधवार को जब उसे इनामुल हक को सजा होने की जानकारी मिली तो लोगों के सवाल-जवाब से बचने के लिए वह घर से चला गया।