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अयोध्या राम मंदिर आंदोलन के अग्रणी संतों के नाम पर होंगे मंदिर के प्रवेश द्वारों के नाम

अयोध्या राम मंदिर के चारों प्रवेश द्वार मंदिर आंदोलन के अग्रणी संतों के नाम होंगे। भवन-निर्माण समिति चेयरमैन नृपेन्द्र मिश्र ने नामकरण का सुझाव तीर्थ क्षेत्र महासचिव चंपतराय को दिया है। उन्होंने ये भी बताया कि सप्त मंडपम के मध्य पुष्करिणी (कुंड) का निर्माण शुरू हो गया है।

Srishti Kunj हिन्दुस्तान, संवाददाता, अयोध्याSun, 29 Dec 2024 08:45 AM
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राम मंदिर के चारों दिशाओं में प्रस्तावित प्रवेश द्वारों का नामकरण मंदिर आंदोलन के अग्रणी संतों के नाम पर किया जाएगा। भवन-निर्माण समिति की बैठक में इन प्रवेश द्वारों के नामकरण पर चर्चा के साथ संतों की राय से अलग-अलग प्रवेशद्वार का नाम अलग-अलग संतों के नाम पर तय करने के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र महासचिव चंपतराय को अधिकृत किया गया। इसकी पुष्टि भवन-निर्माण समिति चेयरमैन नृपेन्द्र मिश्र ने करते हुए बताया कि शुक्रवार को इस प्रस्ताव पर निर्णय लेने के लिए तीर्थ क्षेत्र महासचिव को अधिकार दिया गया है। उन्होंने बताया कि श्री राम जन्मभूमि परिसर में निर्माणाधीन सप्त मंडपम के मध्य में पुष्करिणी (कुंड) का उत्खनन कार्य शुरू हो गया है।

उन्होंने बताया कि इस कुंड की डिजाइन के साथ लंबाई-चौड़ाई व गहराई को लेकर बैठक में किया जा रहा। इसके साथ कुंड में जल भरने व जल निकासी की व्यवस्था पर भी विमर्श चल रहा है। जनवरी माह में निर्माणाधीन कार्यों की गति बढ़ाने पर विचार हो रहा है क्योंकि एक तरफ ठंड के मौसम का प्रभाव व दूसरी तरफ प्रयाग राज के महाकुंभ में उमड़ने वाली भीड़ से काम प्रभावित होना स्वाभाविक है। इन सभी समस्याओं को ध्यान में रखकर भविष्य की रणनीति तय की जा रही है।

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जनवरी के पहले सप्ताह में जयपुर मूर्तियों का निरीक्षण करने जाएगा दल
भवन-निर्माण समिति चेयरमैन मिश्र का कहना है कि सप्त मंडपम के मंदिरों व शेषावतार के अलावा परकोटे में निर्माणाधीन छह मंदिरों के निर्माण की गति संतोषजनक है। इन मंदिरों में लगने वाली मूर्तियां भी लगभग तैयार हैं। जैसे -जैसे मंदिर तैयार होते जाएंगे वैसे- वैसे मंदिरों में मूर्तियों की स्थापना होती जाएगी। जनवरी के प्रथम सप्ताह में तीर्थ क्षेत्र के पदाधिकारियों का एक दल जयपुर निर्माणाधीन मूर्तियों का निरीक्षण करने जाएगा। परकोटा के निर्माण की समीक्षा में बताया गया कि इसमें कुल आठ लाख 40 हजार घन फुट पत्थर लगने है और अब तक पांच लाख 40 हजार घन फुट पत्थरों का इस्तेमाल हो चुका है। इस तरह परकोटे में कुल तीन लाख घन फुट पत्थरों को लगाया जाना शेष है।

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