अयोध्या दीपोत्सव में सीएम योगी ने रामलला को समर्पित किए पांच दीप, चरणों में शीश नवाया
अयोध्या दीपोत्सव में योगी ने रामलला को पांच दीप समर्पित किए। राम मंदिर के गर्भगृह में अखंड दीप के अलावा घी के 21 डिजाइनर दीये जलाए गये। पूरे मंदिर परिसर में अवध विश्वविद्यालय समेत हिन्दू संगठनों के डेढ़ हजार स्वयंसेवकों ने सवा लाख दीयों से श्रीराम जन्मभूमि परिसर रोशन किया।
दीपोत्सव के आठवें संस्करण में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राम मंदिर में रामलला को पांच दीप समर्पित कर अपनी श्रद्धा निवेदित की। राम मंदिर में मुख्यमंत्री का दर्शन पूजन पूर्व निर्धारित था। फिर भी मुख्यमंत्री के अधिकृत कार्यक्रम में बुधवार को रामलला के दर्शन का समय नहीं घोषित किया गया। मुख्यमंत्री योगी का विमान रामकथा पार्क के निकट हेलीपैड पर करीब 2.30 बजे पहुंचा। यहां उन्होंने दीपोत्सव के बाद राम मंदिर जाकर रामलला के चरणों में शीश नवाया व दीपदान के साथ स्वयंसेवकों का भी उत्साह वर्धन किया।
तीर्थ क्षेत्र के पदाधिकारियों ने उनका स्वागत किया और दीपावली पर्व की बधाई दी। बताया गया कि पहले राममंदिर में मुख्यमंत्री का कार्यक्रम साढ़े तीन बजे तय था लेकिन व्यस्त कार्यक्रम के कारण वह देर शाम पहुंचे। मुख्यमंत्री पुनः गुरुवार को प्रात:काल रामलला के दर्शन के साथ हनुमानगढ़ी में माथा टेकेंगे।
दीपावली पर रामलला को धारण कराया पीत वर्ण का परिधान
दीपोत्सव के आयोजन के लिए रामलला के लिए पीत वर्ण के डिजाइनर परिधान बुने गये है। इन्हीं में एक हल्के पीले रंग का परिधान रामलला को बुधवार को धारण कराया गया। इसके पहले उनका अभिषेक कर पूजन किया गया और भव्य श्रृंगार कर आरती उतारी गई। भगवान की शृंगार आरती अपने नियत समय पर सुबह 6.30 बजे ही हुई।
इसके बाद सुबह सात बजे से दर्शन का क्रम चलता रहा। इस दौरान श्रद्धालु जन्मभूमि पथ पर सजे भव्य पुष्प द्वार पर सेल्फी लेने के लिए लालायित रहे। मध्याह्न में भगवान की भोग आरती के बाद एक घंटे के निर्धारित समय में पट बंद कर रामलला को विश्राम दिया गया। उधर मुख्यमंत्री योगी के आगमन पर कुछ समय के लिए कतारबद्ध श्रद्धालुओं को यथास्थान पर ही रोक दिया गया।
कुबेर नवरत्न टीला पर पहली बार मनाया गया दीपोत्सव
इसके पहले जन्मभूमि पथ से पीएफसी, पीएफसी से सिंहद्वार, सिंहद्वार से मंदिर परिसर, दाहिना व बायां परकोटा, कुबेर टीला व सप्त मंडपम को अलग-अलग जोन में बांटकर तीन तरह के दीप प्रज्वलित किए गये। इनमें डिजाइनर धीरे के अतिरिक्त मोम व मिट्टी के धीरे शामिल रहे। श्रीराम जन्मभूमि परिसर में करीब सवा लाख दीयों को प्रज्वलित करने के लिए अवध विश्वविद्यालय सहित विभिन्न हिन्द संगठनों के करीब डेढ़ हजार स्वयंसेवकों की टीम लगाई गई थी।
उधर आजादी के 78 सालों बाद पहली बार कुबेर नवरत्न टीला पर दीपोत्सव का आयोजन किया गया। यहां टीले के ऊपर कुबेरेश्वर महादेव भी स्थापित हैं। छह दिसंबर 1992 के पहले यहां महाशिवरात्रि के अवसर पर पूजन होता था और भगवान शिव की बारात भी निकाली जाती थी लेकिन दीपोत्सव नहीं मनाया गया। यह दिसम्बर 92 के बाद कुबेर टीला अधिग्रहीत परिसर का हिस्सा बन जाने से महा शिवरात्रि का उत्सव भी बंद हो गया।
फूलों की सजावट से निखरा राम मंदिर का भव्य स्वरूप
दीपोत्सव को लेकर राम मंदिर सहित पूरे परिसर को पूरी भव्यता और दिव्यता के साथ सजाया गया। इस मौके पर गर्भगृह व मंदिर परिसर में फूलों की सजावट पूरी तरह होती रही। इसके पहले राम मंदिर के प्रवेश द्वारों जन्मभूमि पथ, क्रासिंग थ्री, क्रासिंग 11 व क्रासिंग दो को आकर्षक व खूबसूरत ढंग से फूलों से सुसज्जित किया गया। फूलों की साज-सज्जा के दौरान अलग-अलग तरह के डिजाइन भी बनाए गये जिससे सजावट का रंग चटख हो गया और श्रद्धालु भी इस नयनाभिराम दृश्य को अपने कैमरों से कैद करने से नहीं चूके इस सजावट से राम मंदिर का स्वरूप भी निखर आया और दर्शनार्थी अपलक इस सौन्दर्य को निहारते रहे।