यूपी विधानसभा उपचुनाव; किस सीट पर कैसा है समीकरण, जानिए कहां कौन जाति निर्णायक
यूपी में विधानसभा की खाली नौ सीटों के लिए उपचुनाव का ऐलान मंगलवार को हो गया। हालांकि यूपी में दस सीटें रिक्त हैं लेकिन अयोध्या की मिल्कीपुर सीट का मामला कोर्ट में लंबित होने के कारण चुनाव की घोषणा नहीं हुई है।
यूपी में विधानसभा की खाली नौ सीटों के लिए उपचुनाव का ऐलान मंगलवार को हो गया। हालांकि यूपी में दस सीटें रिक्त हैं लेकिन अयोध्या की मिल्कीपुर सीट का मामला कोर्ट में लंबित होने के कारण चुनाव की घोषणा नहीं हुई है। फिलहाल मैनपुरी की करहल, प्रयागराज की फूलपुर, मिर्जापुर की मझवां, अंबेडकरनगर की कटेहरी, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर की मीरापुर, कानपुर की सीसामऊ, अलीगढ़ की खैर और संभल की कुंदरकी सीट पर चुनाव होने जा रहा है। 18 अक्टूबर से नामांकन की शुरुआत होगी। 25 तक नामांकन दाखिल किया जा सकता है। 28 को नामांकन की जांच और 30 तक नामांकन की वापसी हो सकती है। 13 नवंबर को वोटिंग और 23 नवंबर को गिनती होगी।
भाजपा और सपा दोनों ने सभी दस सीटों को जीतने का दावा किया है। पहली बार बसपा भी उपचुनाव के मैदान में उतरने जा रही है। ऐसे में यह चुनाव बेहद रोचक होने जा रहा है। अगर लोकसभा चुनाव से इसकी तुलना करें तो नौ में से पांच सीटों पर सपा और चार पर भाजपा आगे रही थी। पिछले चुनावों की तरह इस बार भी सभी दलों का जोर जातीय समीकरण पर ही है। सपा ने तो पीडीए यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक के मुद्दे पर ही चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। छह प्रत्याशियों का ऐलान भी इसी तर्ज पर किया है। बसपा के भी पांच प्रत्याशी घोषित हो चुके हैं। भाजपा की लिस्ट भी तैयार है। एक दो दिन में ऐलान हो सकता है। ऐसे में आइए जाने किस सीट पर कैसा है जातीय समीकरण।
करहल
मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव वर्ष 2022 में जीते थे। लोकसभा चुनाव में कन्नौज से सांसद होने के कारण उन्होंने इस्तीफा दे दिया। सपा ने यहां से अपने भतीजे और लालू यादव के दामाद तेज प्रताप यादव को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा ने अभी कोई प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। इस सीट पर यादव-मुस्लिम गठजोड़ खासा मजबूत रहता है।
फूलपुर
प्रयागराज जिले की फूलपुर विधानसभा सीट पर भाजपा के प्रवीण पटेल 2022 में जीते थे। फूलपुर से सपा के सिंबल पर मुस्तफा सिद्दीकी मैदान में हैं। प्रवीण पटेल लोकसभा चुनाव में भाजपा से सांसद हो गए थे। इस सीट पर वर्ष 2017 में पहली बार प्रवीण पटेल जीते थे। यहां कुर्मी वोटरों के साथ ही मौर्य समाज के वोटर और मुस्लिम मतदाता महत्वपूर्ण भूमिका में हैं। वर्ष 2012 में यहां से सपा के सईद अहमद जीते थे।
मझवां
मिर्जापुर जिले की मझवां सीट भाजपा के सहयोगी दल निषाद पार्टी के विनोद बिंद के इस्तीफे की बाद खाली हुई है। सपा ने पूर्व सांसद रमेश बिंद की बेटी ज्योति बिंद को उम्मीदवार बनाया है। इस सीट पर बिंद, राजभर जाति के अलावा कुर्मी समाज के मतदाता निर्णायक स्थिति में रहते हैं। ब्राह्मण वोटर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
कटेहरी
अंबेडकरनगर जिले की कटेहरी सीट से सपा के कद्दावर नेता लालजी वर्मा विधायक थे। वह अब अंबेडकरनगर के सांसद बन गए हैं। सपा ने कटेहरी से लालजी वर्मा की पत्नी शोभावती वर्मा को टिकट दिया है। यहां पर दलितों के साथ ही कुर्मी और मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं।
गाजियाबाद
गाजियाबाद विधानसभा सीट पर भाजपा के अतुल गर्ग विधायक थे। वह भाजपा सरकार में मंत्री भी रहे। वह अब सांसद हो गए हैं। इसके बाद यह सीट खाली हो गई। 2012 में यहां बसपा जीती थी और 2017 व 2022 में भाजपा ने जीत दर्ज की थी। शहरी सीट होने के कारण यहां सवर्ण मतदाताओं का बाहुल्य है। साथ ही दलित मतदाताओं की संख्या भी अच्छी-खासी हैं।
मीरापुर
मुजफ्फरनगर की मीरापुर विधानसभा सीट पर 2022 में रालोद ने जीती थी। यहां चंदन चौहान विधायक बने थे। उनके बिजनौर के सांसद चुने जाने से यह सीट खाली हुई है। वर्ष 2012 में यहां बसपा तो 2017 में भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी। इस सीट पर जाट, दलितों के साथ ही मुस्लिम मतदाता का प्रभाव है।
सीसामऊ
कानपुर नगर की सीसामऊ विधानसभा सीट पर वर्ष 2022 में सपा के उम्मीदवार हाजी इरफान सोलंकी जीते थे। सपा ने इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी को यहां से टिकट दिया है। यहां पर मुस्लिम मतदाताओं का प्रभाव है।
खैर
अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट से भाजपा के अनूप प्रधान वाल्मीकि विधायक थे। अनूप हाथरस से लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बन गए हैं। वर्ष 2012 में रालोद और 2017 ने भारतीय जनता पार्टी ने यह सीट जीती थी। यहां जाट, ब्राह्मण, दलित और मुस्लिम मतदाता अच्छी तादाद में हैं।
कुंदरकी
संभल जिले की कुंदरकी विधानसभा सीट से सपा के जियाउर्रहमान बर्क विधायक थे। यह सीट उनके सांसद बनने के बाद खाली हुई। सपा इस सीट पर 2012-17 और 2022 में जीत दर्ज कर चुकी है। यह सीट मुस्लिम आबादी बहुल होने के कारण भाजपा के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है।