Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़up assembly by election 2024 results yogi adityanath Vs akhilesh yadav meaning of up by election results politics 2027

योगी Vs अखिलेश, 27 की सियासत के लिए यूपी उपचुनाव के नतीजों के मायने; यहां से बदलेगी रणनीति

  • यूपी उपचुनाव के नतीजों से साफ होगा कि अखिलेश यादव का पीडीए दांव कितना कारगर रहा। वहीं यह भी पता चलेगा कि सीएम योगी आदित्यनाथ की मेहनत और चुनावी दौरे के दौरान ‘बटेंगे तो कटेंगे’ की रणनीति कितनी असरकारी रही। इस चुनाव में सपा यह सिद्ध करने की कोशिश में रही कि 27 में वही मुख्य रूप से मैदान में होगी।

Ajay Singh हिन्दुस्तान, लखनऊ। विशेष संवाददाताSat, 23 Nov 2024 12:08 PM
share Share

UP By-Election Result 2024: लोकसभा चुनाव-2024 के नतीजों के बाद यूपी की नौ विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के शनिवार को आ रहे नतीजे मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ और अखिलेश यादव के साथ-साथ सियासी दलों के लिए खास मायने रखते हैं। इन नतीजों के आधार पर सियासी दल मिशन-2027 की रणनीति तय करेंगे। नतीजों से साफ होगा कि चुनाव में अकेली लड़ी समाजवादी पार्टी का पीडीए दांव कितना कारगर रहा। वहीं यह भी साफ होगा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मेहनत और चुनावी दौरे के दौरान ‘बटेंगे तो कटेंगे’ की रणनीति कितनी असरकारी रही।

यूपी की नौ विधानसभा सीटों कुंदरकी, फूलपुर, मझवां, सीसामऊ, खैर, कटेहरी, मीरापुर और गाजियाबाद में हुए उपचुनाव दोनों ही दलों-समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बने हैं। दरअसल, इसके जरिये समाजवादी पार्टी यह सिद्ध करने की पुरजोर कोशिश में लगी रही कि अब वर्ष 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव में वही मुख्य रूप से मैदान में है। चुनाव प्रचार में सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कई बार इस बात का भी जिक्र किया कि अब डबल इंजन की सरकार में तालमेल नहीं है। दावा किया गया , उपचुनाव के नतीजे उसके ही पक्ष में आएंगे और भाजपा की सरकार जाने वाली है। इन बयानों के जरिये जहां अखिलेश यादव अपने मतदाताओं को एकजुट करने की कोशिश में दिखे वहीं उन्होंने भाजपा की ‘बंटोगे तो कटोगे’...की घोर हिन्दूवादी रणनीति का भी जवाब यह कहकर दिया कि अब तो नारे भी टकरा रहे हैं। नतीजों के आइने में यह देखना दिलचस्प होगा कि अखिलेश की रणनीति कितनी कामयाब रही।

योगी की मशक्कत भी कसौटी पर

दूसरी ओर प्रदेश सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मशक्कत और मैराथन रैलियां कसौटी पर होंगी। उपचुनाव की घोषणा से पहले ही मुख्यमंत्री ने इन विधानसभा सीटों से संबंधित जिलों में विकास कार्यों की लगातार समीक्षा का सिलसिला शुरू किया। इसके जरिये जनता और जनप्रतिनिधियों से वह लगातार संवाद करते रहे। उन्होंने संगठन को भी साथ लेने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। 30 मंत्रियों को प्रभारी बनाया गया था। योगी उनके साथ लगातार अपने आवास पर बैठकें कर फीडबैक लेते रहे ताकि इनपुट के सहारे जिलों में रणनीति अपनाई जा सके। कहना गलत न होगा कि उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रचार व रणनीति की कमान पूरी तरह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथ में थी। ऐसे में उन्होंने ‘बंटोगे तो कटोगे’ के नारे और भाई-भतीजावाद व कानून-व्यवस्था के जरिये सपा को निशाने पर लिया। नतीजे तय करेंगे कि योगी का दिया नारा कितना कारगर रहा।

अगला लेखऐप पर पढ़ें