Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़three unique confluences of nature in prayagraj you know the first now know the second and third here mahakumbh 2025

प्रयाग में प्रकृति के तीन अनूठे संगम, पहला आप जानते हैं; दूसरा-तीसरा यहां जानें

  • यूपी के सबसे बड़े जिलों में से एक प्रयागराज में मैदान और पहाड़ का संगम भी देखने को मिलता है। यमुनापार इलाके में शंकरगढ़ से विंध्य की पर्वतमाला शुरू हो जाती है, जबकि दूसरी ओर गंगा का मैदानी इलाका पड़ता है। तीसरा संगम मानसून का होता है।

Ajay Singh हिन्दुस्तान, संजोग मिश्र, महाकुंभ नगरTue, 18 Feb 2025 10:58 AM
share Share
Follow Us on
प्रयाग में प्रकृति के तीन अनूठे संगम, पहला आप जानते हैं; दूसरा-तीसरा यहां जानें

Maha kumbh 2025: मां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पवित्र संगम में स्नान के लिए करोड़ों श्रद्धालु खिंचे चले आ रहे हैं। इस अद्भुत आध्यात्मिक संगम के कारण पिछले डेढ़ महीने से प्रयागराज का नाम पूरी दुनिया में छाया हुआ है। लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि तीर्थराज प्रयाग केवल गंगा-यमुना और अदृश्‍य सरस्वती का नहीं, प्रकृति के दो और अनूठे संगम को अपनी भौगोलिक सीमा में समेटे है। आइए इस दूसरे और तीसरे संगम के बारे में हम आपको बताते हैं-

क्षेत्रफल के अनुसार उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े जिलों में से एक प्रयागराज में मैदान और पहाड़ का संगम भी देखने को मिलता है। जिले के यमुनापार इलाके में शंकरगढ़ से विंध्य की पर्वतमाला शुरू हो जाती है, जबकि दूसरी ओर गंगा का मैदानी इलाका पड़ता है। पूर्वी और पश्चिमी भारत को अलग-अलग करने वाला 82.5 डिग्री देशांतर मिर्जापुर में लगता है जो कि प्रयागराज अंचल में ही पड़ता है। यहीं से भारत का मानक समय लिया जाता है। पहले नैनी से मानक समय का निर्धारण होता था बाद में और सटीक अध्ययन के बाद मिर्जापुर से निर्धारण होने लगा।

ये भी पढ़ें:तीर्थयात्रियों से पटा बनारस, 2 दिन में 12 लाख ने बाबा विश्‍वनाथ के किए दर्शन

तीसरा संगम मानसून का होता है। अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से उठने वाले मानसून का संगम मध्य भारत के जिस हिस्से में होता है उसमें प्रयागराज भी शामिल है। यही कारण है कि बरसात के मौसम में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से उठने वाले बादलों के यहां आपस में टकराने के कारण बिजली गिरने से हर साल काफी मौतें होती हैं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में के. बैनर्जी वायुमंडलीय एवं समुद्र विज्ञान केंद्र के प्रो. सुनीत द्विवेदी भी यह मानते हैं कि प्रयागराज की विशिष्ट भौगोलिक रचना के कारण यहां प्रकृति का तीन संगम देखा जा सकता है।

ये भी पढ़ें:यूपी में चलेगा महाभियान, शिक्षकों-डॉक्‍टरों और कारोबारियों के लिए अहम खबर

इलाहाबाद विश्‍ववि़द्यालय के भूगोल विभाग के पूर्व अध्‍यक्ष प्रो.एआर सिद्दकी ने बताया कि गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम तो जगजाहिर है, लेकिन मैदान और पहाड़ का संगम भी प्रयागराज में होता है। वैसे तो मानसून वायुमंडलीय घटना है जिसके बारे में बहुत सटीक कुछ नहीं कह सकते, लेकिन यह कहना गलत नहीं होगा कि मध्य भारत में जहां दोनों मानसून मिलते हैं उस क्षेत्र में प्रयागराज भी शामिल है।

अगला लेखऐप पर पढ़ें