प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले सरकारी डॉक्टरों पर शिकंजा कसेगी योगी सरकार, यूपी के सभी डीएम से मांगी रिपोर्ट
- सरकारी मेडिकल कॉलेजों, चिकित्सा विश्वविद्यालयों और अन्य स्वास्थ्य संस्थानों के डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस पर फिर शिकंजा कसेगा। सरकार ने सभी जिलाधिकारियों से इसका ब्योरा तलब किया है। इस संबंध में डीएम को निर्देश जारी कर सात दिन में रिपोर्ट मांगी है।
यूपी में सरकारी मेडिकल कॉलेजों, चिकित्सा विश्वविद्यालयों और अन्य स्वास्थ्य संस्थानों के डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस पर फिर शिकंजा कसेगा। सरकार ने सभी जिलाधिकारियों से इसका ब्योरा तलब किया है। इस संबंध में डीएम को निर्देश जारी कर सात दिन में रिपोर्ट मांगी है। उनसे कहा गया है कि यदि कोई सरकारी डॉक्टर निजी प्रैक्टिस करता मिले तो उसके खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति सहित अपनी रिपोर्ट शासन को भेजें।
यह निर्देश हाईकोर्ट के मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक डा. अरविंद गुप्ता के प्रकरण में जारी निर्देशों के क्रम में जारी किए गए हैं। दरअसल राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने प्राइवेट प्रेक्टिस से जुड़े एक मामले में डा. गुप्ता पर 10 लाख का दंड लगाया था। इस फैसले के खिलाफ डा. गुप्ता ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। इस मामले में पहले चिकित्सा शिक्षा विभाग ने आगरा, सहारनपुर, मेरठ, झांसी, जालौन, कन्नौज, कानपुर, बांदा, बदायूं, आंबेडकर नगर, प्रयागराज, आजमगढ़ और गोरखपुर के डीएम से इन जिलों में संचालित राजकीय मेडिकल कॉलेजों में प्राइवेट प्रेक्टिस करने वाले चिकित्सा शिक्षकों की रिपोर्ट मांगी गई थी।
हाईकोर्ट ने इस प्रकरण में प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा से एफीडेविड मांगा था कि प्राइवेट प्रेक्टिस पर रोक संबंधी 1983 के शासनादेश के अनुपालन के लिए क्या कार्रवाई की गई है। साथ ही सरकार से सरकारी डॉक्टरों की प्राइवेट प्रेक्टिस रोकने की प्रभावी नीति बनाने के निर्देश दिए थे। ऐसे में अब प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को नये सिरे से प्राइवेट प्रेक्टिस पर रोक की जांच के निर्देश दिए गए हैं। इस संबंध में चिकित्सा शिक्षा विभाग के विशेष सचिव देवेंद्र कुमार सिंह कुशवाहा ने सभी डीएम को पत्र जारी किया है। उनसे निजी प्रैक्टिस पर रोक संबंधी अधिसूचना 30 अगस्त 1983 और आठ मार्च 2019 को जारी शासनादेश में दी गई व्यवस्था के प्रभावी ढंग से अनुपालन कराने को कहा गया है।