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यूपी उपचुनाव में BJP की कामयाबी का राज, 4 महीने से 4 महीने से इस पर काम कर रहे थे कार्यकर्ता

  • बिना किसी शोर और प्रचार के BJP संगठन ने बूथ लेबल तक वृहद रणनीति से काम शुरू किया। पन्ना प्रमुख जो BJP की सबसे छोटी इकाई है, उसे सक्रिय किया गया। पन्ने पर दर्ज एक-एक वोटरों को साधने की रणनीति अपनाई गई। 10 वोटर पर एक कार्यकर्ता को जिम्मेदारी दी गई। ये कार्यकर्ता उन वोटरों से लगातार संपर्क में रहे।

Ajay Singh हिन्दुस्तान, लखनऊ। हेमंत श्रीवास्‍तवMon, 25 Nov 2024 02:03 PM
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यूपी विधानसभा उपचुनाव के नतीजों को जिस भी नजरिये से राजनीतिक हल्के में देखा जाए लेकिन इस बड़ी जीत के पीछे भाजपा संगठन और कार्यकर्ताओं की बड़ी भूमिका रही। लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से संगठन ने वोटरों तक गहरी पैठ बनाने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया था। पि‍छले करीब चार महीने से बूथ से जुड़े एक-एक वोटर तक भाजपा कार्यकर्ता पहुंचने लगे थे। सबसे बड़ा काम यह किया कि कार्यकर्ताओं के माध्यम से विपक्ष के आरोपों, बयानों की हकीकत मतदाताओं के बीच फैलाने का काम किया।

वोटर लिस्ट के हर पन्ने के एक-एक वोटर तक पहुंचे कार्यकर्ता

बिना किसी शोर और प्रचार के भाजपा संगठन ने बूथ लेबल तक वृहद रणनीति से काम शुरू किया। पन्ना प्रमुख जो भाजपा की सबसे छोटी इकाई है, उसे सक्रिय किया गया। पन्ने पर दर्ज एक-एक वोटरों को साधने की रणनीति अपनाई गई। हर 10 वोटर पर एक कार्यकर्ता को जिम्मेदारी दी गई। ये कार्यकर्ता उन वोटरों से लगातार संपर्क में रहे। मतदान के दिन तक कार्यकर्ताओं ने यह काम किया। इन वोटरों तक बूथ पर पहुंचने और वोट करने के लिए प्रेरित किया। जिसका नतीजा यह रहा कि उपचुनाव में भाजपा को 52 फीसदी वोट हासिल हुए। संगठन का दावा है कि तमाम उन वोटरों को भी वोटिंग के लिए भेजने में सफलता मिली जो पूर्व के चुनावों में मतदान के लिए कभी जाते थे कभी नहीं जाते थे।

बूथ स्तर तक जिम्मेदारी और जवाबदेही तय की गई थी

तय रणनीति के तहत चुनाव वाले हर विधानसभा क्षेत्र में प्रदेश स्तर के कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी दी गई। भाजपा के संगठनात्मक मंडल में पास की विधानसभाओं के वरिष्ठ कार्यकर्ताओ को बूथ जिताने की जिम्मेदारी दी गई थी। संगठन ने इस बार बूथ प्रबंधन को तरजीह दी थी। तय रणनीति को बूथों पर केंद्रित करते हुए जिम्मेदारी और जवाबदेही भी तय की गई थी।

लोगों के जेहन में बिठाया कि सपा धोखा देती है

बूथ प्रबंधन में मतदाताओं को प्रभावित करने में सिर्फ सरकार की उपलब्धियां ही नहीं बल्कि विपक्ष की नकारात्मक सोच व विरोधी बयानों को भी हथियार बनाया गया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने कहा कि लोगों के जेहन में यह बिठाने का काम किया गया कि विपक्षी पार्टियां सिर्फ धोखा देकर और झूठ बोलकर वोट लेती हैं। बूथ प्रबंधन व बूथ विजय की रणनीति में स्थानीय कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के साथ ही जिले, क्षेत्र और प्रदेश के पदाधिकारियों को भी जिम्मेदारियां दी गई थीं। उपचुनाव के लिए भी भाजपा मुख्यालय पर वार रूम तैयार किया गया था, जहां से प्रदेश महामंत्री संगठन लगातार इन क्षेत्रों के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं से संपर्क करते रहे। चुनाव क्षेत्रों में जाकर भी कई बैठकें की।

जहां हारी भाजपा वहां भी वोट बढ़े

संगठन और कार्यकर्ताओं की मेहनत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सपा के जिन दो मजबूत गढ़ों में भाजपा हारी है, वहां भी हार का अंतर बहुत कम हुआ है, यानी इन क्षेत्रों में भी कार्यकर्ताओं ने अपने बूते भाजपा के वोट बैंक को बढ़ाने का काम किया। मसलन, करहल सीट को ही लें तो यहां भाजपा के वर्ष 2022 के मुकाबले 8887 मत ज्यादा मिले हैं, जबकि समाजवादी पार्टी के करीब 43892 वोट कम हो गए हैं। कुछ ऐसी ही स्थिति सीसामऊ में भी रही। भाजपा इसे अपने कार्यकर्ताओं की सक्रियता से जोड़कर देख रही है।

भाजपा प्रदेश अध्‍यक्ष की बात

भाजपा प्रदेश अध्‍यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने बताया कि कार्यकर्ताओं ने बूथ स्तर तक तय रणनीति के तहत सराहनीय कार्य किया। मतदाताओं को विपक्ष के आरोपों, बयानों की हकीकत बताई। उन्हें यह बताने का काम किया कि विपक्ष खासकर सपा कैसे झूठ बोलकर वोट लेती है। विपक्ष के मुद्दों व आरोपों की धार को जनता के बीच कूंद किया।

2022 विधानसभा चुनाव

सीट भाजपा सपा बसपा

करहल 80692 148196 15701

सीसामऊ 66897 79163 2937

2024 उपचुनाव -

करहल 89579 104304 8409

सीसामऊ 61150 69714 1410

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