हाईकोर्ट में सुनवाई तक संभल कोर्ट कुछ ना करे, मस्जिद सर्वे पर हिंसा के बाद सुप्रीम कोर्ट का आदेश
- संभल जामा मस्जिद सर्वे विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अब फिलहाल निचली अदालत इस मामले में कोई ऐक्शन न ले। इस मामले में अब HC की इजाजत के बिना कोई कार्यवाही न की जाए। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को अपने पास भी लंबित रखा है।
Sambhal Jama Masjid Survey Dispute: संभल जामा मस्जिद सर्वे विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अब फिलहाल ट्रायल कोर्ट इस मामले में कोई ऐक्शन न ले। इस मामले में अब हाईकोर्ट की इजाजत के बिना कोई कार्यवाही न की जाए। सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को हाईकोर्ट जाने को तो कहा है लेकिन उनके मुकदमे (विशेष अनुमति याचिका) को अपने पास लंबित भी रखा है। अगली तारीख पर सुप्रीम कोर्ट मामले में हाईकोर्ट में हुई कार्यवाही की जानकारी हासिल कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री को 6 जनवरी से शुरू होने वाले सप्ताह में केस को दोबारा लिस्ट करने कहा है।
मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ कोर्ट कमिश्नर को संभल जामा मस्जिद का सर्वे करने का निर्देश देने वाले ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका संभल शाही जामा मस्जिद कमेटी ने दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि संभल में "शांति और सद्भाव" बनाए रखा जाए, क्योंकि यह ट्रायल कोर्ट को 8 जनवरी तक वहां मस्जिद के सर्वेक्षण के संबंध में कोई भी अगला कदम उठाने से रोकता है। बता दें कि संभल कोर्ट में आज यानी 29 नवंबर को इस मामले की सुनवाई थी जिसमें मस्जिद की सर्वे रिपोर्ट पेश की जानी थी। लेकिन कोर्ट कमिश्नर ने सर्वे रिपोर्ट पूरी न होने की बात कहते हुए अदालत से 10 दिन का समय मांग लिया। संभल कोर्ट ने आठ दिसम्बर तक रिपोर्ट पेश करने को कहा है और अगली सुनवाई के लिए आठ जनवरी की तारीख तय की है। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह साफ हो गया कि कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में पेश की जाएगी। इसे गोपनीय रखा जाएगा।
सु्प्रीम कोर्ट के आदेश में मस्जिद समिति से सर्वेक्षण के ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए भी कहा गया है, ऐसी किसी भी याचिका को दायर होने के 3 दिनों के भीतर सूचीबद्ध किया जाएगा। एडवोकेट कमिश्नर की सर्वे रिपोर्ट भी गोपनीय रखी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'हमें उम्मीद है और विश्वास है कि निचली अदालत इस मामले में तब तक कोई और कदम नहीं उठाएगी, जब तक कि उच्च न्यायालय मामले के संबंध में कार्यवाही शुरू नहीं कर देता और उचित आदेश पारित नहीं कर देता।'
यह याचिका जामा मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई थी। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से यह भी पूछा कि वह सुप्रीम कोर्ट आने से पहले हाईकोर्ट क्यों नहीं गए? सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या 227 के तहत हाईकोर्ट जाना उचित नहीं था? इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बेहतर होगा कि हम इसे यहीं लंबित रखें। आप अपनी दलीलें हाईकोर्ट के सामने पेश करें। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि जिला प्रशासन सभी दलों के प्रतिनिधियों के साथ शांति समिति बनाए। कोर्ट ने कहा कि हमें पूरी तरह तटस्थ रहना होगा और सुनिश्चित करना होगा कि कुछ भी गलत न हो।
इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि हमारी जानकारी के मुताबिक देश भर में इस तरह के 10 मुकदमें लंबित हैं। इनमें से पांच उत्तर प्रदेश के हैं। इस मामले में जो तरीका अपनाया जा रहा है वो यह है कि मुकदमा दायर किया जाता है और फिर कहानी गढ़ी जाती है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कुछ प्रतिवादी कैविएट पर उपस्थित हुए हैं। हमें लगता है कि याचिकाकर्ता को 19 नवंबर के संभल कोर्ट के आदेश को उचित मंच पर चुनौती देनी चाहिए। इस बीच सरकार को शांति और सद्भाव कायम रखना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि हाईकोर्ट में कोई अपील पुनरीक्षण किया जाता है तो उसे तीन दिन के अंदर सुनवाई के लिए लिस्टेड किया जाना चाहिए।