Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Storyteller Devkinandan expressed concern over increasing trend taking photographs after taking bath in Maha Kumbh

महाकुंभ में स्नान कर फोटो खिंचवाने की बढ़ती प्रवृत्ति पर देवकीनंदन ने जताई चिंता, जानें क्या कहा

  • कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि आजकल लोग कुम्भ जैसे पवित्र पर्वों पर केवल स्नान और फोटो खिंचवाने तक सीमित रह गए हैं, कथा और सत्संग से दूर हो गए हैं। कथा सुनने से न केवल मन का मैल दूर होता है, बल्कि व्यक्ति को आंतरिक शांति और आध्यात्मिकता का अनुभव भी होता है।

Dinesh Rathour हिन्दुस्तान, महाकुम्भ नगर, मुख्य संवाददाताSun, 26 Jan 2025 09:40 PM
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महाकुंभ में स्नान कर फोटो खिंचवाने की बढ़ती प्रवृत्ति पर देवकीनंदन ने जताई चिंता, जानें क्या कहा

महाकुम्भ के सेक्टर 17 स्थित शांति सेवा शिविर में श्रीमद्भागवत कथा के समापन पर कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि आजकल लोग कुम्भ जैसे पवित्र पर्वों पर केवल स्नान और फोटो खिंचवाने तक सीमित रह गए हैं, कथा और सत्संग से दूर हो गए हैं। कथा सुनने से न केवल मन का मैल दूर होता है, बल्कि व्यक्ति को आंतरिक शांति और आध्यात्मिकता का अनुभव भी होता है। सनातन धर्म का उद्देश्य हमेशा समाज को सिखाना और प्रेरित करना रहा है कि धर्म पर चलकर न केवल अपने जीवन को बल्कि समाज को भी ऊंचाई पर पहुंचाया जा सकता है।

देवकीनंदन ने सनातन बोर्ड की मांग उठाते हुए कहा, सनातन धर्म को सुरक्षित रखने और इसकी पवित्रता को बनाए रखने के लिए सनातन बोर्ड की आवश्यकता है। जिस तरह वक्फ बोर्ड मुस्लिम धर्मस्थलों की देखभाल करता है, वैसे ही सनातन बोर्ड मंदिरों की पवित्रता, प्रसाद की शुद्धता, और भगवान की पूजा में हो रहे भ्रष्टाचार को रोकने का कार्य करेगा। देवकीनंदन ठाकुर ने कहा, जब-जब धरती पर धर्म की हानि होती है और अधर्म बढ़ता है, तब तब भगवान किसी न किसी रूप में अवतार लेते हैं।

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चाहे वह भगवान श्रीकृष्ण का बाल रूप हो, जिसमें उन्होंने अधर्म का अंत किया, या भगवान श्रीराम, जिन्होंने रावण जैसे अधर्मी को पराजित कर धर्म की स्थापना की। भगवान श्रीकृष्ण ने अपने प्रिय मित्र सुदामा की गरीबी का न केवल समाधान किया, बल्कि यह भी सिखाया कि सच्चा मित्र वही होता है जो अपने मित्र की कठिनाई में साथ खड़ा रहे। सुदामा के चरणों को धोते हुए भगवान ने यह संदेश दिया कि मित्रता में कोई ऊंच-नीच नहीं होता और धर्म का पालन समानता और करुणा से होता है।

उन्होंने कहा कि जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयां आएं, हमें कभी भी धर्म का पथ नहीं छोड़ना चाहिए। धर्म केवल व्यक्तिगत लाभ तक सीमित नहीं है। जो व्यक्ति धर्म के मार्ग पर चलता है, वह अपने साथ-साथ पूरे समाज का भी कल्याण करता है। भगवान अपने भक्तों को कभी भी अकेला नहीं छोड़ते। वे हर समय अपने भक्तों की सहायता करते हैं, चाहे वह किसी भी रूप में हों।

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