Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Why did 16 districts of UP increase BJP concern What is the compulsion of churning after winning 17 out of 17 seats in nikay chunav

यूपी के 16 जिलों ने क्यों बढ़ाई भाजपा की चिंता? 17 की 17 सीटें जीतने के बाद मंथन की मजबूरी क्या

यूपी में भाजपा ने निकाय चुनावों में भले ही संख्या बल के हिसाब से सर्वाधिक सीटें जीती हों लेकिन प्रदेश के 16 जिलों ने पार्टी की चिंता बढ़ा दी है।

Deep Pandey हिन्दुस्तान, लखनऊFri, 19 May 2023 08:23 AM
share Share

भाजपा ने निकाय चुनावों में भले ही संख्या बल के हिसाब से सर्वाधिक सीटें जीती हों लेकिन प्रदेश के 16 जिलों ने पार्टी की चिंता बढ़ा दी है। यह वे जिले हैं जहां की नगर पालिकाएं पार्टी जीतने में नाकाम रही है। खास बात यह है कि पार्टी दिग्गजों के गढ़ वाली तमाम जीती हुई नगर पालिकाएं भी हार गई। हालांकि कुछ नई पालिकाओं में विजयी होने के कारण जीती हुई सीटों की संख्या में इजाफा जरूर हो गया है।

भाजपा ने निकाय चुनावों को मिशन-2024 का रिहर्सल मानकर लड़ा था। प्रदेश सरकार के मंत्रियों और तमाम सांसद-विधायकों को भाजपा ने पार्टी प्रत्याशियों को जिताने की जिम्मेदारी सौंपी थी। 17 नगर निगमों के साथ ही जिला मुख्यालय वाली सभी नगर पालिकाएं जीतने का भी लक्ष्य रखा था। मगर ऐसा हो न सका। लोकसभा चुनाव से पहले इन चुनावी नतीजों ने पार्टी को मंथन के लिए मजबूर कर दिया है।

कल्याण की अतरौली तक न बची
पार्टी अलीगढ़ में अतरौली जैसी सीट भी हार गई, जो पूर्व सीएम व राज्यपाल कल्याण सिंह के जमाने से पार्टी का गढ़ माना जाता रहा है। स्व. कल्याण सिंह के पुत्र राजवीर सिंह राजू सांसद और पौत्र संदीप सिंह प्रदेश सरकार में मंत्री हैं। ऐसी ही स्थिति कई केंद्रीय और प्रदेश सरकार के मंत्रियों के क्षेत्रों की है। इनमें स्मृति ईरानी, संजीव बालियान, अजय मिश्रा टेनी, प्रदेश सरकार के सुरेश खन्ना, जितिन प्रसाद, जेपीएस राठौर, धर्मपाल सिंह, चौधरी लक्ष्मीनारायण, सूर्यप्रताप शाही, मयंकेश्वर शरण सिंह, विजय लक्ष्मी गौतम, अनूप प्रधान वाल्मीकि, केपी मलिक सहित कई अन्य मंत्री भी अपने गढ़ नहीं बचा सके।  

सारे सांसद-विधायक भाजपा के, फिर भी मिली हार
सिर्फ इतना ही नहीं 16 जिले तो ऐसे हैं, जहां की किसी नगर पालिका पर पार्टी का खाता तक न खुल सका। इनमें आगरा की सर्वाधिक 5 नगर पालिका शामिल हैं, जिनमें से चार फतेहपुर सीकरी लोकसभा क्षेत्र के तहत आती हैं। आगरा में दोनों लोकसभा सीटों के अलावा सारी विधानसभा सीटों पर भाजपा काबिज है। इसी तरह आजमगढ़ की 3, इटावा की तीन, कानपुर नगर की दो, फर्रुखाबाद की दो, बस्ती की एक, बाराबंकी की एक, भदोही व मऊ की एक-एक, मुरादाबाद की दो, महाराजगंज की दो, रायबरेली की एक, श्रावस्ती की एक, संत कबीर नगर की एक, अयोध्या में एक नगर पालिका है, जिनमें से किसी पर भाजपा का खाता तक नहीं खुल पाया है।
 

अगला लेखऐप पर पढ़ें