बिजनेस में डूबी उधारी निकलवाएगी सरकार, इतनी फीस देकर कर सकते हैं आवेदन
सरकार के उद्योग विभाग में सूक्ष्म या लघु उद्योग की श्रेणी में दर्ज इकाई को माल आपूर्ति के बाद भी डेढ़ महीने में भुगतान नहीं मिला तो एमएसएमई समाधान पोर्टल पर आवेदन कर दें। सरकार डूबी रकम निकलवाएगी।
यदि आपकी इकाई सरकार के उद्योग विभाग में बतौर सूक्ष्म या लघु उद्योग की श्रेणी में दर्ज है। आपकी इकाई ने माल की आपूर्ति तो कर दी, लेकिन डेढ़ महीने में भी भुगतान नहीं मिला। घबराएं नहीं। एमएसएमई समाधान पोर्टल पर आवेदन कर दें। तय प्रक्रिया को पूरा करें। औपचारिकताओं के लिए जरूरी सभी कागजात लगा दें। आपकी डूबी हुई रकम तो निकल आएगी। अब तक यह फेसिलिटेशन काउंसिल मंडल के 205 उद्यमियों के 35 करोड़ रुपये की वसूली करा चुका है।
उद्योग विभाग के अधिकारी बताते हैं। शुरुआत में काउंसिल में अधिक आवेदन नहीं आए। ऐसे आवेदन बहुत से रहे जिसमें औपचारकताओं को ही पूरा नहीं किया गया। लेकिन इस काउंसिल के प्रयास से जब मामले सुलझने लगे तो आवेदनों की संख्या बढ़ने लगी है। कुछ मामलों में समझौता कराया गया, वहीं कुछ मामलों में भुगतान न करने वाले के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की गई। परिणाम बेहतर होने लगे। न सिर्फ आवेदन बढ़े, डूबी हुई उधारी वापस मिलने लंगी है।
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अधिकारी कहते हैं कि इस पोर्टल पर आवेदन आसानी से किया जा सकता है। केंद्र सरकार के अधीन इस पोर्टल का नाम ही एमएसएमई समाधान पोर्टल है। इसके अंतर्गत विलंब भुगतान निगरानी प्रणाली में अपनी डिटेल्स भरी जाती है। तय प्रक्रिया के अनुसार पोर्टल आवेदक की संपूर्ण जानकारी हासिल करके उसको पंजीकृत कर लेता है। उसके बाद पोर्टल पर दिए गए विवरण के अनुसार एक फाइल तैयार होती है। इसमें सभी कागजात होते हैं। इनको संयुक्त आयुक्त उद्योग के कार्यालय में जमा कर दिया जाता है। साथ में इस वसूली के लिए तय की गई सरकारी फीस भी जमा की जाती है।
सेवा के लिए तय की गई फीस
वसूली की रकम सरकारी फीस
पांच लाख तीन हजार रुपये
दस लाख पांच हजार रुपये
50 लाख रुपये तक दस हजार रुपये
50 लाख से एक करोड़ रुपये पन्द्रह हजार रुपये
एक से पांच करोड़ रुपये पच्चीस हजार रुपये
पांच करोड़ से अधिक पचास हजार रुपये
1241 मामले दर्ज, आवेदन बढ़ रहे हैं
संयुक्त आयुक्त, उद्योग, अनुज कुमार ने कहा कि हमारे पास जो भी आवेदन आ रहे हैं, उसमें हम भरसक प्रयास कर रहे हैं। अभी तक हमारे पास 1241 मामले दर्ज हुए। इसमें से 479 ने औपचारिकताएं पूरी नहीं की। कागजात अधूरे रहे। कुल 380 ने सभी प्रकार से कागजात पूरे किए। इसमें 205 मामलों को हमने निस्तारित करा दिया है। कुल 35 करोड़ रुपये के बकाए की वसूली संभव हो सकी है।
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