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यूपी निकाय चुनावः कई हस्तियों ने तय किया महापौर से राजनीति में ऊंचे ओहदे तक का सफर

यूपी में कई मेयर ऐसे रहे जिन्होंने यहां से मंत्री और राज्यपाल तक का सफर तय किया है। दिनेश शर्मा, बेबी रानी मौर्य और रीता बहुगुणा जोशी ऐसे ही नाम हैं।  तीनों नामों ने एक समानता है।

Yogesh Yadav भाषा, लखनऊWed, 3 May 2023 06:12 PM
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यूपी में निकाय चुनाव के पहले चरण का मतदान गुरुवार को होगा। पोलिंग पार्टियां मतदान स्थलों पर पहुंच चुकी हैं। पहले चरण में 17 में से 10 नगर निगमों के मेयर के लिए भी वोटिंग होगी। पहले मेयर का चयन सभासद करते थे लेकिन अब जनता के द्वारा मेयर का चुनाव होता है। यूपी में कई मेयर ऐसे रहे जिन्होंने यहां से मंत्री और राज्यपाल तक का सफर तय किया है। दिनेश शर्मा, बेबी रानी मौर्य और रीता बहुगुणा जोशी ऐसे ही नाम हैं।  तीनों नामों ने एक समानता है। तीनों कभी मेयर रहे और आगे चलकर सियासत की ऊंचाइयों को छुआ। 

लखनऊ से मेयर रहे दिनेश शर्मा पहले योगी सरकार में डिप्टी सीएम बने। बेबी रानी मौर्य मेयर से राज्यपाल तक का सफर तय किया और इस समय मंत्री भी हैं। इसी तरह रीता बहुगुणा जोशी भी मेयर से सांसद और मंत्री बनीं। राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में अपनी भूमिकाओं को शुरू करने से पहले डॉक्टर दिनेश शर्मा लखनऊ, बेबी रानी मौर्य आगरा और रीता बहुगुणा जोशी इलाहाबाद (अब प्रयागराज) की महापौर थीं।

इन राजनेताओं को लगता है कि महापौर पद पर उनके कार्यकाल ने उन्हें व्यावहारिक ज्ञान हासिल करने और जनता की नब्ज जानने में मदद मिली। तीनों ने इस प्रशासनिक भूमिका को सबसे चुनौतीपूर्ण करार दिया।

दिनेश शर्मा ने पीटीआई-भाषा से कहा कि मैं 11 साल तक लखनऊ का मेयर रहा। मुझे 2010 में दुनिया के सबसे सम्मानित मेयर का खिताब दिया गया। अपने कार्यकाल में मुझे हरियाणा और गुजरात के मुख्यमंत्री चुनाव में पर्यवेक्षक बनने का मौका मिला। 

यह पूछे जाने पर कि महापौर से राज्य सरकार में सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक बनने का उनका सफर कैसा रहा है। शर्मा ने कहा कि एक महापौर को लोगों से संबंधित विभिन्न मुद्दों के बारे में व्यावहारिक ज्ञान होता है और वह वस्तुतः हर गली-कूचे में संपर्क स्थापित करता है। महापौर बनने का अनुभव काफी कारगर साबित हुआ है और मुझे विभिन्न देशों में व्याख्यान देने का अवसर भी मिला है। 

शर्मा ने कहा कि इसके अलावा, महापौर को सदन चलाने का अनुभव होता है। मैं उत्तर प्रदेश विधानपरिषद में सदन का नेता था। बातचीत के दौरान उन्होंने इसपर जोर दिया कि स्थानीय निकाय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी तीन-चौथाई बहुमत से जीतेगी।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव दो चरणों में चार मई और 11 मई को होने हैं। मतगणना 13 मई को होगी। वर्तमान में उत्तर प्रदेश की कैबिनेट मंत्री बेबी रानी मौर्य 1995 से 2000 तक आगरा की मेयर रहीं। अपने महापौर कार्यकाल को याद करते हुए मौर्य ने कहा कि एक महापौर जानता है कि जनता को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है और किस समस्या को पहले हल करना है। 

महापौर को जनता की नब्ज पता होती है। मेरे द्वारा किए गए कार्यों में से एक शहर में आंबेडकर जयंती समारोह का पैमाना बढ़ाना था। इसके अलावा, मैंने गरीब महिलाओं के लिए सामूहिक विवाह कार्यक्रम आयोजित करने में भी मदद की। 

प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के पहले कार्यकाल में राज्य की पर्यटन मंत्री रहीं रीता बहुगुणा जोशी 1995 से 2000 तक इलाहाबाद की मेयर रही चुकी हैं। जोशी ने पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा हर असाइनमेंट एक चुनौती है, लेकिन मुझे लगता है कि स्थानीय शासन एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि आप सीधे तौर पर लोगों के लिए जिम्मेदार हैं। विधायक और सांसद, जब वे अपने क्षेत्रों में जाते हैं, और जब लोग उनसे पानी और सीवेज, तूफान जल निकासी, बिजली आदि की बातें करते हैं तो वे हमेशा कहते थे कि यह निगम का काम है।

सहारनपुर, आगरा, मुरादाबाद, फिरोजाबाद, मथुरा, झांसी, प्रयागराज, लखनऊ, गोरखपुर और वाराणसी नगर निगम के मेयर पद के लिए पहले चरण में चार मई को मतदान होगा। अधिकारियों ने बताया कि सभी जिलों में मतदान सुबह सात बजे शुरू होगा और शाम छह बजे तक चलेगा। नगर निगमों में मेयर और पार्षद पद के लिए मतदान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से होगा, जबकि बाकी पदों के लिए मतपत्र से मतदान होगा।

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