मुजफ्फरनगर में 2013 के दंगों के बाद पहली बार दस में से छह निकायों में मुस्लिम प्रत्याशी जीते
मुजफ्फरनगर में 2013 के दंगों के बाद पहली बार निकायों में बड़ी संख्या में मुस्लिम उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। नगर पालिका और नगर पंचायतों के अध्यक्ष पदों पर 10 में से 6 पर मुस्लिम जीते हैं।
पश्चिमी यूपी के मुजफ्फरनगर में 2013 के दंगों के बाद पहली बार निकायों में बड़ी संख्या में मुस्लिम उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। नगर पालिका परिषदों और नगर पंचायतों के अध्यक्ष पदों पर 10 में से छह सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है। राजनीतिक विश्लेषकों और जीत हासिल करने वाले प्रत्याशियों का कहना है कि रिजल्ट बताते हैं कि दंगों के बाद यहां उभरी नफरत की राजनीति खत्म हो चुकी है। क्षेत्र में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक सद्भाव फिर से बढ़ रहा है।
मुजफ्फरनगर जिले में मुजफ्फरनगर और खतौली में दो नगर पालिका परिषद के अलावा भोकरहेड़ी, चरथावल, मीरापुर, पुरकाजी, सिसौली, बुढाना, जानसठ और शाहपुर आठ नगर पंचायतें हैं। 2017 के निकाय चुनावों में मुस्लिम उम्मीदवारों ने केवल मीरापुर और पुरकाज़ी नगर पंचायत चुनावों में जीत हासिल की थी। तब हिंदू उम्मीदवारों ने आठ अन्य सीटों पर जीत हासिल की थी।
इस बार मुस्लिम उम्मीदवारों ने चरथावल, पुर्ज़ाजी और मीरापुर नगर पंचायतों (सभी निर्दलीय), जनसठ नगर पंचायत और खतौली नगर पालिका परिषद (दोनों राष्ट्रीय लोकदल) और शाहपुर नगर पंचायत (आम आदमी पार्टी) ने जीती है।
भाजपा ने मुजफ्फरनगर नगर पालिका परिषद में 10,000 से अधिक मतों से जीत हासिल की है। उसके उम्मीदवार मीनाक्षी स्वरूप ने सपा के राजेश शर्मा को हराया है। माना जा रहा है कि एआईएमआईएम, बसपा और कांग्रेस उम्मीदवारों के बीच मुस्लिम वोटों के विभाजन के कारण सपा उम्मीदवार की हार हुई है।
भोकरहेड़ी, सिसौली और बुढ़ाना नगर पंचायत चुनाव में हिंदू उम्मीदवारों ने जीत हासिल की। खतौली नगर पालिका परिषद चुनाव जीतने वाले शाहनवाज अली ने कहा कि 2013 के दंगों के बाद बिखर गया सांप्रदायिक सद्भाव एक बार फिर एकजुट हो गया है। अली ने कहा कि दिवंगत रालोद नेता चौधरी अजीत सिंह और उसके बाद उनके बेटे जयंत चौधरी ने सांप्रदायिक सद्भाव को पुनर्जीवित करने के लिए सद्भावना सभाओं की एक श्रृंखला आयोजित की थी।
कहा जा रहा है कि किसानों के आंदोलन ने भी सद्भाव बहाल करने में काफी मदद की है। अब इस क्षेत्र में हिंदू और मुसलमानों के बीच उस तरह की दूरियां नहीं दिखाई देती हैं। पुरकाजी नगर पंचायत के विजेता जहीर फारूकी ने कहा कि समुदाय के वोटों को विभाजित करने के लिए उनके खिलाफ छह मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा गया था। इसके बाद भी मैं जीत गया क्योंकि हिंदुओं ने भी मुझे वोट दिया।
ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के राज्य अध्यक्ष मौलाना जुल्फिकार ने कहा कि मुजफ्फरनगर में अधिकांश सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों की जीत ने संकेत दिया कि लोगों ने नफरत की राजनीति को खारिज कर दिया है और सामाजिक सद्भाव को फिर से बहाल किया है।
इससे पहले दिसंबर 2022 में हुए खतौली विधानसभा उपचुनाव में रालोद प्रत्याशी मदन भैया ने भाजपा प्रत्याशी राज कुमारी सैनी को हराया था। मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान दर्ज एक मामले में अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद भाजपा विधायक विक्रम सैनी को विधानसभा से अयोग्य घोषित किए जाने के बाद यह सीट रिक्त हुई औऱ उपचुनाव हुआ था।
2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों और 2017 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने इस क्षेत्र में शानदार जीत हासिल की थी। लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में उसने मुजफ्फरनगर और शामली जिले की आठ विधानसभा सीटों में से सिर्फ दो सीटों मुजफ्फरनगर और खतौली पर जीत हासिल की।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दो जिलों में 2022 के विधानसभा चुनाव के नतीजों को किसान आंदोलन के प्रभाव के रूप में देखा गया। भारतीय किसान यूनियन का मुख्यालय मुजफ्फरनगर जिले के सिसौली में ही स्थित है।
मुजफ्फरनगर नगर निकाय चुनाव परिणाम
नगर पालिका परिषद विजेता
मुजफ्फरनगर : मीनाक्षी स्वरूप (निर्दल)
खतौली : शाहनवाज अली (आरएलडी)
नगर पंचायत विजेता
भोकरहेड़ी: सरला (निर्दल)
चरथावल: इस्लामुद्दीन (निर्दल)
मीरापुर: मोहम्मद ज़मील अहमद (निर्दल)
पुरकाज़ी: ज़हीर फ़ारूक़ी (निर्दल)
सिसौली-सुभासिनी (निर्दल)
बुढाना : उमा (सपा)
जानसथ : आबिद हुसैन (आरएलडी)
शाहपुर : मोहम्मद अकरम (आप)