यूपी निकाय चुनाव : मथुरा में ‘हाथ’ ने 17 साल पुराना इतिहास दोहराया, खेला ये दांव
मथुरा में स्थानीय निकाय चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में श्यामसुंदर उपाध्याय बिट्टू को टिकट मिलना साल 2006 में हुए चुनाव की याद दिला गया। उस समय भी कांग्रेस से चेयरमैन पद के लिए दो दावेदारों ने
मथुरा में स्थानीय निकाय चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में श्यामसुंदर उपाध्याय बिट्टू को टिकट मिलना साल 2006 में हुए चुनाव की याद दिला गया। उस समय भी कांग्रेस से चेयरमैन पद के लिए दो दावेदारों ने नामांकन किया था। मामला पार्टी द्वारा बी-फार्म पर फंसा था। दोनों ही दावेदारों द्वारा बी-फार्म जमा कराए थे, जिसमें फैसला श्यामसुंदर उपाध्याय के पक्ष में हुआ था और 27 साल के बाद कांग्रेस ने नगर पालिका परिषद में चेयरमैन की कुर्सी पर कब्जा किया था।
कुछ ऐसे ही हालात एक बार फिर 17 साल बाद पैदा हुए। बताते चलें कि उस समय भी कांग्रेस से जनपद के कद्दावर नेता प्रदीप माथुर भी श्यामसुंदर उपाध्याय के खिलाफ थे। उनके द्वारा कुलदीप भार्गव से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में नामांकन कराया गया था, जबकि श्यामसुंदर उपाध्याय ने भी कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में नामांकन किया था। दोनों ने बी-फार्म जमा किए थे। उस समय भी जनपद कांग्रेस की राजनीति यकायक गर्मा गयी थी। रिटर्निंग ऑफीसर के सामने दोनों ही पक्षों ने दमदारी से अपना पक्ष रखा। नामांकन कक्ष में गरमा-गरमी भी खूब हुई। पंरतु, तत्कालीन रिटर्निंग ऑफीसर ने श्यामसुंदर उपाध्याय को कांग्रेस का अधिकृत प्रत्याशी मानते हुए अपना फैसला सुनाया। इस फैसले के बाद कांग्रेस कार्यकर्ता श्यामसुंदर उपाध्याय के पक्ष में एकजुट हो गए थे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में पर्चा दाखिल करने वाले कुलदीप भार्गव ने अपना नामांकन वापस ले लिया था।
27 साल बाद कांग्रेस ने वापसी की थी
इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में श्यामसुंदर उपाध्याय का मुकाबला भाजपा के वैश्य प्रत्याशी नवीन मित्तल से था। परिणामस्वरूप मथुरा नगर पालिका परिषद में चेयरमैन की कुर्सी पर 27 साल बाद कांग्रेस ने वापसी की थी। एक बार फिर कांग्रेस ही नहीं भाजपा समेत अन्य दलों में भी चुनाव को लेकर गहमा-गहमी बढ़ रही है।