यूपी निकाय चुनाव ने बिगाड़ा वेडिंग माहौल, कहीं शादी की मंजूरी न मिलने का खतरा तो कहीं वोट प्रतिशत गिरने का डर
चुनावी मौसम और शादियों का मौसम दोनों एक ही समय पर आ रहे हैं। कई सामान और सेवाएं जैसे रसोइया, कैटरर्स, पार्टी प्लॉट, वाहन, मंडप सेवा, वीडियोग्राफर, इन सबकी आम तौर पर चुनाव और शादियों में मांग होती है।
यूपी में चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही राजनीतिक दलों में उधेड़बुन तो बढ़ ही गयी है, लेकिन इसके साथ ही प्रत्याशियों के दिलों की धड़कन भी तेज हो रही है। इसका कारण यह है कि चुनावी मौसम और शादियों का मौसम दोनों एक ही समय पर आ रहे हैं। कई सामान और सेवाएं जैसे रसोइया, कैटरर्स, पार्टी प्लॉट, वाहन, मंडप सेवा, वीडियोग्राफर, इन सबकी आम तौर पर चुनाव और शादियों के दौरान मांग में होते हैं। ऐसे में जिन परिवारों के घर में शादी होनी है उन्हें इन सभी आयोजन को पूरा करने के लिए न सिर्फ जद्दोजहद का सामना करना पड़ेगा,बल्कि अनुमान है कि सामान्य से कई गुना ज्यादा कीमत चुकानी पड़ सकती है।
ऐसे में इस वजह से चुनाव का बिगुल शादी के संगीत को बिगाड़ सकता है। निकाय चुनाव के प्रथम चरण चार मई और द्वितीय चरण 11 मई को जोरदार सहालग है। यही नहीं 13 मई को मतगणना वाले दिन भी सहालग होगा। ये मुहूर्त इस सहालग के अच्छे मुहूर्त बताए जा रहे हैं।
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कोरोना गाइडलाइंस से बाहर निकले तो अब चुनाव में फंसे
गौरतलब है कि साल 2020 और 2021 पूरी तरह से कोरोना के असर में गुजर गए। शादी जैसे शुभ मुहूर्त भी हों तो भी कोरोना की गाइडलाइंस के चलते या तो सीमित संख्या में आयोजन करना पड़ा या फिर परिवार के रिश्तेदारों को घर पर ही कार्यक्रम आयोजित करना पड़ा। साल 2020 में भी शादी समारोह संभव नहीं था। 2021 में सरकार के कोरोना दिशानिर्देशों और एसओपी का पालन करते हुए सीमित संख्या में, सीमित स्थान और सीमित रात्रिभोज के साथ शादी समारोह आयोजित करना पड़ा। हालांकि 2022 में कोरोना सिर्फ नाम का रहा, मगर उसकी दहशत बरकरार रही। इस साल शादी पर चुनाव का ग्रहण छा चुका है।
शादियों से वोटिंग प्रतिशत गिरने की आशंका
निकाय चुनाव के दौरान 3 से लेकर 13 मई तक हजारों शादियां होनी हैं। विवाह के लिए खासकर 4 और 11 मई शादी के लिए खासतौर पर शुभ माने जा रहे हैं। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि अगर इस हफ्ते हजारों शादियां होंगी तो मतदान प्रतिशत पर इसका विपरीत असर पड़ सकता है।
शादी के लिए मंजूरी की मुश्किल
चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी गई है। उम्मीदवारों और उनके परिवारों में इस बात को लेकर चिंता है कि शादी में जिन चीजों और व्यवस्थाओं की आवश्यकता होती है, वे वही व्यवस्थाएं चुनाव में आवश्यक होती हैं। चूंकि चुनाव आचार संहिता के चलते विवाह समारोह से संबंधित सभी स्वीकृतियां प्राप्त करने के लिए भी मामलातदार और पुलिस व्यवस्था में काफी धक्का-मुक्की और प्रताड़ना झेलनी पड़ेगी। इसने असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है।
शादी वाले परिवारों की धड़कन बढ़ी
जिन परिवारों में शादियां हैं, उनकी सांसें चुनाव की घोषणा होते ही ऊपर नीचे होने लगी हैं। दयालबाग के मनोज अग्रवाल ने बताया कि बेटी की शादी आचार संहिता में न अटके इसके लिए परिजन सोच विचार कर रहे हैं। प्रशासन से अनुमति तो लेंगे, परंतु अन्य परेशानियों को लेकर भी सभी चिंतित हैं। इधर, होटल, मैरिज होम और धर्मशालाओं के स्वामी भी प्रशासन से इस बारे में जानकारी ले रहे हैं।