स्मार्ट मीटर का खर्च एआरआर में शामिल करने के खिलाफ आयोग में प्रस्ताव, उपभोक्ताओं को ही उठाना पड़ेगा बोझ
विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बिजली कंपनियों की तरफ से नियामक आयोग में प्रस्ताव दाखिल किया है। स्मार्ट प्रीपेड मीटर का खर्च उपभोक्ताओं पर डालने की संभावना है।
यूपी में विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बिजली कंपनियों की तरफ से 2024-25 के लिए नियामक आयोग में दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यक्ता (एआरआर) पर कई आपत्तियां दर्ज कराई है। नियामक आयोग में प्रस्ताव दाखिल कर पूछा है कि जब भारत सरकार ने आरडीएसएस के तहत स्मार्ट प्रीपेड मीटर का खर्च उपभोक्ताओं पर नहीं डालने का आदेश दिया है, ऐसे में इसे एआरआर में अनुमोदित कराने का प्रस्ताव क्यों दिया गया है।
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने बुधवार को नियामक आयोग में इस आशय का प्रस्ताव दाखिल किया। लिखा है कि बिजली कंपनियों की तरफ से 101784 करोड़ का एआरआर जो दाखिल किया गया है, उसमें पूर्व में जिन वित्तीय पैरामीटर को खारिज किया जा चुका है उसे भी शामिल किया गया है। आरडीएसएस के आधार पर वितरण हानियां लागू करने का कोई अधिकार नहीं है। भारत सरकार की उदय ट्रजैक्ट्री यूपी में लागू है। आयोग से मांग की है बिजली कंपनियों की इस वार्षिक राजस्व आवश्यकता को खारिज किया जाए या तो उसमें जो विसंगतियां हैं उसे संशोधित कराया जाए।
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बिजली कंपनियों की ओर से दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता के कई बिंदुओं पर पेंच फंसता नजर आ रहा है। उपभोक्ता परिषद की माने तो उपभोक्ताओं पर स्मार्ट मीटर का खर्च डालने की तैयारी की जा रही है। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष की ओर से विद्युत नियामक आयोग में प्रस्ताव दाखिल किया गया है और कई बिंदुओं पर सवाल उठाए गए हैं। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने विद्युत नियामक आयोग से यह मांग उठाई कि जब प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 33122 करोड़ रुपये सरप्लस निकल रहा है, उसके एवज में बिजली दरों में कमी की कार्रवाई क्यों नहीं शुरू की जा रही है।
यूपी राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार व सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाकात की और प्रस्ताव दाखिल करते हुए बड़ा मुद्दा उठाया कि पिछले पांच वर्षों से विद्युत नियामक आयोग द्वारा जो भी टैरिफ आदेश जारी किया गया है, उसके खिलाफ बिजली कंपनियां अपीलीय ट्रिब्यूनल में रिव्यू याचिका दाखिल की है।
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