लोकसभा चुनाव की नब्ज बताएगा यूपी का निकाय चुनाव? सपा-बसपा या भाजपा, कहां जा रहे मुस्लिम मत
यूपी में इस बार का निकाय चुनाव कई कारणों से अलग नजर आ रहा है। भाजपा, सपा और बसपा तीनों ने लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माने जा रहे इस चुनाव में नए प्रयोग किए हैं। मुस्लिम मतों पर तीनों दलों की नजरें हैं।
यूपी निकाय चुनाव के पहले चरण के लिए गुरुवार को वोटिंग होने जा रही है। इस बार का निकाय चुनाव कई कारणों से थोड़ा अलग नजर आ रहा है। भाजपा, सपा और बसपा तीनों ने लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माने जा रहे इस चुनाव में नए प्रयोग किए हैं। भाजपा ने जहां पहली बार बड़े पैमाने पर मुसलमानों को टिकट दिया है तो वहीं बसपा ने खुलेआम मुस्लिमों को रिझाने की कोशिश की है। सपा ने अपने कोर वोटर यादवों की जगह अन्य पिछड़ा वर्ग पर दांव लगाया है। सभी की नजरें फिलहाल मुस्लिम मतों के झुकाव पर हैं।
बसपा प्रमुख मायावती ने जहां मेयर पद की 17 में से 11 सीटों पर मुसलमानों को उतार है। वहीं, सपा ने एक भी सीट पर यादव समाज को प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया है। यादवों को टिकट नहीं देना और मायावती का मुसलमानों पर जोर होने से सभी की पैनी नजर इस बात पर टिक गई है कि मुस्लिम मतों का पैटर्न क्या रहता है। बीजेपी ने 395 मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारा है। उसने यह संदेश देने की कोशिश की है कि नए MY (मोदी-योगी) की जोड़ी गरीब से गरीब परिवार की मदद कर रही है।
अखिलेश का खेल बिगाड़ेंगी मायावती?
मुस्लिमों को बड़े पैमाने पर मैदान में उतारने की बसपा की रणनीति को सपा का खेल बिगाड़ने के नजरिए से देखा जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मुस्लिमों के मतों में बिखराव का सीधा फायदा बीजेपी को होगा। पिछले एक साल में हुए उपचुनावों को इसके उदाहरण के रूप में पेश किया जाता है।
आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशी को उतार दिया था। इसका खामियाजा सपा को भुगतना पड़ा और उसका प्रत्याशी हार गया था। भाजपा ने मुस्लिम बहुल वाले रामपुर लोकसभा सीट का उपचुनाव भी जीत लिया था। यहीं नहीं, आजम की सीट रामपुर सदर विधानसभा भी भाजपा के पाले में चली गई थी।