गुजरात के तर्ज पर यूपी के बस अड्डों का होगा निजीकरण, विरोध में उतरा यूनियन
गुजरात के तर्ज पर यूपी के बस अड्डों का निजीकरण होगा। इसको लेकर 50 हजार रोडवेज कर्मियों और उनके परिवार के खातिर सरकार के इस फैसले के विरोध में आरपार की लड़ाई की रणनीति तैयार की जा रही है।
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) के कर्मचारियों ने गुजरात की तर्ज पर राज्य में बस स्टैंड परिसर के अंदर वाणिज्यिक क्षेत्रों के निजीकरण के नवीनतम प्रयास के खिलाफ अपनी लड़ाई तेज करने का फैसला किया है। इस संबंध में रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री गिरीश मिश्र ने कहा कि निजीकरण बर्दास्त नहीं है। पहले भी फैसले लिए गए थे। सरकार को निर्णय वापस लेना पड़ा था। इस बार भी 50 हजार रोडवेज कर्मियों और उनके परिवार के खातिर सरकार के इस फैसले के विरोध में आरपार की लड़ाई की रणनीति तैयार की जा रही है।
निगम बोर्ड बैठक में गुजराज के तर्ज पर बस अड्डे और 21 कार्यशालाओं के निजी को लेकर निर्णय लिया गया है। रोडवेज प्रबंधन ने भी इसकी मंजूरी दे दी है। बोर्ड बैठक में प्रस्ताव के मुताबिक रोडवेज का उद्देश्य पूरे बस स्टेशन को एक ही व्यक्ति या संस्था को ठेके पर देना है ताकि बार-बार टेंडर करने की परेशानी खत्म हो जाए। इसलिए रोडवेज अपने 302 बस स्टेशनों पर हजारों यात्रियों को सुविधाएं देने का रोडमैप तैयार कर रहा है। राज्य भर में 20 जोन के अधिकारियों ने कहा कि बस स्टेशन को किसी एक व्यक्ति संस्था या संगठन को किराए पर देने से यात्रियों को फायदा होगा।
रोडवेज के प्रबंध निदेशक मासूम अली सरवर ने कहा कि बोर्ड बैठक में 23 बस बस अड्डों के निजीकरण का फैसला लिया गया है। पांच को मंजूरी मिल गई है। बाकी 18 बस अड्डे को टेंडर में शामिल कर लिया गया है। बस स्टेशन को व्यक्ति, संगठन, संस्थाएं आदि मिलकर ले सकते हैं। इससे परिवहन निगम को कोई नुकसान नहीं होगा और यात्री सुविधाएं भी बढ़ेंगी।