यूपी में कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकान मालिकों का नाम लिखने के योगी के आदेश के खिलाफ SC में सुनवाई आज
सुप्रीम कोर्ट सोमवार को यूपी में कांवड़ यात्रा के रूट पर खान-पान की दुकानों पर मालिक का नाम लिखने के आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। दो जजों की बेंच में सुनवाई लिस्ट हुई है।
सुप्रीम कोर्ट सोमवार को उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के उस आदेश के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई करेगा जिसके तहत कांवड़ यात्रा मार्ग पर होटल, रेस्तरां, ढाबा, फल और खान-पान की दुकानों पर मालिक का नाम लिखना अनिवार्य कर दिया गया है। एक एनजीओ एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (एपीसीआर) ने यूपी सरकार के आदेश को चुनौती दी है। यह याचिका जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच के सामने सुनवाई के लिए लिस्ट हुई है। इस आदेश के खिलाफ दो और याचिकाएं सर्वोच्च न्यायालय में दायर की गई हैं। एक पिटीशन राजनीतिक चिंतक अपूर्वानंद और सामाजिक कार्यकर्ता आकार पटेल की है जबकि दूसरी याचिका तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा ने लगाई है।
अपूर्वानंद और आकार पटेल ने अपनी याचिका में कोर्ट से यूपी सरकार को यह आदेश वापस लेने का निर्देश देने की अपील की है। इन लोगों ने इस आदेश को जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव करार दिया है। इन लोगों ने कहा है कि आदेश में दुकानदारों की जातीय और धार्मिक पहचान बताने वाले नाम लिखने कहा गया है लेकिन खान-पान का सामान मांसाहारी है या निरामिष, ये दुकान के बाहर लिखने नहीं कहा गया है। दोनों ने इसे संविधान के अनुच्छेद 15 का उल्लंघन बताते हुए कोर्ट से दखल देने की मांग की है। टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने अपनी याचिका में उत्तर प्रदेश सरकार पर मुसलमानों के आर्थिक बहिष्कार की स्थिति पैदा करने का आरोप लगाया है।
इस पूरे मामले की शुरुआत मुजफ्फरनगर पुलिस के दुकानदारों को अनौपचारिक निर्देश से हुई जिसके बाद सहारनपुर और शामली जिलों की पुलिस ने भी अपने इलाकों में कावंड़ रूट की दुकानों पर मालिकों का नाम लिखने कहा। विपक्ष के विरोध के बाद मुजफ्फरनगर पुलिस ने सफाई दी और कहा कि यह निर्देश स्वैच्छिक है जिसका मकसद कानून-व्यवस्था बनाए रखना है। इसके अगले दिन योगी सरकार ने लखनऊ से आदेश निकाल दिया कि पूरे यूपी में कांवड़ रूट पर दुकानदारों को नाम लिखना होगा। सरकार ने दुकानदार के गैर-हिन्दू निकलने पर कई बार कांवड़ियों से होने वाले झगड़ों को इस आदेश का आधार बताया है।
जाति-धर्म के नाम पर विभाजन का नहीं करता समर्थन, कांवड़ रूट पर नामों का चिराग पासवान ने भी किया विरोध
योगी सरकार के इस फैसले का केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार में शामिल जनता दल यूनाइटेड, लोक जनशक्ति पार्टी- रामविलास और राष्ट्रीय लोकदल जैसे एनडीए की सहयोगी पार्टियों ने विरोध किया है। जेडीयू की तरफ से केसी त्यागी ने इस फैसले की समीक्षा की मांग की है तो रालोद के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय ने आदेश को सांप्रदायिक विभाजनकारी बताते हुए वापस लेने की मांग की है। लोजपा-आर के नेता और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा है कि जाति और धर्म के आधार पर विभाजन का वो समर्थन नहीं करते हैं और ना ही इसको बढ़ावा देंगे।
हरिद्वार से गंगाजल भरकर दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और यूपी के दूसरे जिलों में लौटने वाले कांवड़ियों के सफर का बड़ा हिस्सा पश्चिमी उत्तर प्रदेश से गुजरता है। पश्चिमी यूपी में प्रभाव रखने वाले केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी की आरएलडी का आधार वोट जाट और मुसलमानों दोनों हैं। प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय के बयान के बाद खुद जयंत चौधरी ने अब कहा है कि फैसला सोच-समझकर नहीं लिया गया है और चूंकि सरकार ने ये फैसला कर लिया है इसलिए अड़ रही है। उन्होंने कहा कि कांवड़ यात्री किसी की जाति और धर्म देखकर सेवा नहीं लेते। जयंत चौधरी ने तंज भरे लहजे में सवाल पूछा कि क्या अब कुर्ता पर भी नाम लिखवा लें। जयंत ने ये भी पूछा कि बर्गर किंग और मैक डोनाल्ड की दुकानों पर किसका नाम लिखा जाएगा।