खतौली की जीत का जयंत ने क्यों नहीं मनाया जश्न, ट्वीट कर बोले RLD अध्यक्ष-मैं आहत हूं
खतौली विधानसभा उपचुनाव में रालोद ने भाजपा का गढ़ माने जाने वाली खतौली में बड़ी जीत हासिल की है। इसके बाद भी रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी जश्न नहीं मना रहे हैं। उन्होंने खुद को आहत बताया है।
RLD Chief Jayant Chaudjhry: खतौली विधानसभा उपचुनाव में रालोद ने भाजपा का गढ़ माने जाने वाली खतौली में बड़ी जीत हासिल की है। इसके बाद भी रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी जश्न नहीं मना रहे हैं। उन्होंने जश्न मनाने से इनकार कर दिया बल्कि उन्होंने यहां तक कह दिया कि वह आहत हैं।
जयंत ने ट्विटर पर खतौली की जीत के लिए अपनी खुशी का इजहार करते हुए कहा कि खतौली और मैनपुरी में जिस तरह सबका साथ मिला बहुत खुशी हुई। ये सर्व समाज में समरसता के अच्छे संकेत हैं। वहीं रामपुर में लोकतांत्रिक मूल्यों का जिस तरह गला घोंटा गया है उससे आहत हूं। जीत का जश्न नहीं मनाऊंगा। उन्होंने एक और ट्वीट कर कहा कि रालोद लकी नंबर नौ की तरफ अग्रसर है।
वैसे रालोद अध्यक्ष की तरह रामपुर से सपा उम्मीदवार आसिम रजा ने भी चुनाव हारने के बाद पुलिस प्रशासन पर जमकर आरोप लगाए। आसिम रजा ने कहा कि यह जीत खाकी को मुबारक हो। रामपुर के शहरियों को जब वोट ही नहीं डालने दिया तो जीतना तो तय था। चुनाव की प्रक्रिया सिर्फ दिखावा था, जीत पहले ही तय कर ली गई थी। निष्पक्ष और ईमानदारी से यहां चुनाव होता तो भाजपा नहीं जीतती।
रामपुर में ध्वस्त हुआ आजम का अजेय किला
रामपुर में आसिम रजा की हार को सपा नेता आजम खान के अजेय किले को ध्वस्त होने के तौर पर देखा जा रहा है। इसकी बड़ी वजह यह है कि यह सीट न केवल आजम खान की परंपरागत सीट रही है, बल्कि यहां सपा के हर छोटे-बड़े फैसले खुद आजम खां ही लेते रहे हैं। आजम खां इस रामपुर सीट से 10 बार विधायक रहे हैं। वर्ष 1977 में वह यहां से पहला चुनाव हारे थे लेकिन, 1980 से 1996 तक वह लगातार विधायक रहे।
1996 में कांग्रेस के अफरोज अली खां ने उन्हें पराजित किया था। बाद में आजम फिर विधायक बने। वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद आजम ने इस सीट से इस्तीफा दिया। उप चुनाव में उनकी पत्नी तजीन फात्मा जीतकर विधायक बनीं। वर्ष 2022 में वह सीतापुर की जेल में रहकर विधानसभा चुनाव लड़े और फिर जीत दर्ज की। तब आजम खां ने भाजपा प्रत्याशी रहे आकाश सक्सेना को करीब 55 हजार मतों के अंतर से पराजित किया था। आकाश सक्सेना को 76084 वोट मिले थे। लेकिन, इस बार भाजपा ने ऐसी मजबूत किलाबंदी की कि आजम के करीबी आसिम राजा को हार का मुंह देखना पड़ा।