34 साल सरकारी नौकरी के बाद 1985 रुपए पेंशन, महीने की दवा का खर्च 6000; रिटायर होते ही मुसीबत
34 साल तक सरकारी नौकरी की। रिटायरमेंट के बाद उम्मीद थी कि पेंशन से गुजारा चल जाएगा पर यह सपना ही रह गया। पेंशन मात्र 1912 रुपये ही बनी। जबकि हर महीने दवा का खर्च ही करीब 6000 रुपए होता है।
OPS Vs NPS: 34 साल तक सरकारी नौकरी की। रिटायर हो रहे थे तो उम्मीद थी कि चलो नौकरी न सही, अब पेंशन से गुजारा चल जाएगा पर यह सपना ही रह गया। रिटायरमेंट के बाद पेंशन मात्र 1912 रुपये ही बनी। जबकि खुद का और पत्नी को मिलाकर दवा का ही खर्च पांच से छह हजार रुपये महीना है। गरीब वर्ग को मिलने वाली सुविधाएं जैसे आयुष्मान कार्ड, राशन कार्ड आदि से भी वंचित कर दिया गया है। यह सोच-सोचकर परेशान हैं कि अब जिंदगी कैसे कटेगी?
कुछ इस तरह मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है लोक निर्माण विभाग में 1985 से काम कर रहे रवि श्रीवास्तव पर। उनकी मेडिकल सेवा भी बंद कर दी गई है क्योंकि सरकारी सेवक नहीं रहे। रवि के मुताबिक 1985-86 से वह मानदेय और अन्य स्वरूपों में नौकरी करते रहे। बाद में जिला चयन समिति का गठन हुआ और 38 लोगों की नियुक्ति के आदेश हो गए। इसमें कुछ लोग अड़ंगा लगाने लगे तो 15 अप्रैल 1988 को अदालत के एक आदेश से राहत मिल गई। हालांकि लिस्ट में शामिल सभी को लाभ नहीं मिल पाया।
संघर्ष ने साथ न छोड़ा
रवि के मुताबिक कभी शासन तो कभी अदालत का सहारा लेते रहे। वर्षों की संघर्ष काम आया और अवमानना आदेश के बाद 17 अक्टूबर 2006 को नियुक्ति पत्र मिल गया पर 21 साल के इस संघर्ष का लाभ नहीं मिल सका। 31 अगस्त 2019 को रिटायरमेंट हो गया और वह खाली हाथ रह गए।
उन्होंने बताया कि नई पेंशन योजना (एनपीएस) होने के कारण जो धनराशि हमारे वेतन से काटी गई थी और जो राज्यांश मिला था उसमें से 60 फीसदी धनराशि जो मात्र 3.65 लाख थी, वह दी गई। शेष धनराशि से नई पेंशन बनाई गई जो मात्र 1912 रुपये प्रति माह बनी। मेडिकल में खर्च धनराशि वापस मिलती थी। रिटायरमेंट से पहले का 22 हजार का बिल था लेकिन अब तक न मिला।
नई पेंशन कम तो सुविधाएं दिलाएंगे
अटेवा के प्रदेश संयुक्त मंत्री अखिलेश यादव ने बताया कि एनपीएस में जो पेंशन बन रही है वह नाममात्र है। इनकी आमदनी का कोई दूसरा सोर्स न होने के कारण परेशान हैं। इनका आय प्रमाण पत्र, वृद्धावस्था पेंशन, आयुष्मान कार्ड जैसी सुविधाएं मिलनी चाहिए पर ऐसी कोई सेवा नहीं मिल रही है। इनके लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा।
वार्षिक आमदनी मात्र 22,294 रुपये
कनिष्ठ सहायक के पद से सेवानिवृत्त रवि श्रीवास्वत का कहना है कि पेंशन से उनकी वार्षिक आमदनी मात्र 22,294 रुपये है। गरीबी रेखा से नीचे वाले परिवारों की आय गांव में 49 हजार और शहरों में 60 हजार मानी जाती है। इसके बावजूद आय प्रमाणपत्र बनाने को तैयार नहीं है।