प्रयागराज कमिश्नरेट का एक साल: माफिया राज पर तगड़ा प्रहार, पर कमिश्नर को ऑफिस की दरकार
प्रयागराज में कमिश्नरेट व्यवस्था को आज एक साल हो गया है। पिछले 12 महीनों में पुलिसिंग का नया स्वरूप देखने को मिला। माफिया पर कड़ी कार्रवाई की गई। अपराधियों को सजा हुई। अपराध में कमी भी दर्ज की गई।
One year of Commissionerate system in Prayagraj: प्रयागराज में कमिश्नरेट व्यवस्था को आज एक साल हो गया है। इन 12 महीनों में पुलिसिंग का नया स्वरूप देखने को मिला। माफिया पर कड़ी कार्रवाई की गई। अपराधियों को सजा हुई। अपराध में कमी दर्ज की गई। हालांकि इस बीच कुछ ऐसी घटनाएं भी हुईं जिन्होंने कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए। फिलहाल एक साल बाद भी पुलिस कमिश्नर को कार्यालय नहीं मिला।
संगठित गैंग के खिलाफ अभियान 26 नवंबर 2022 को पुलिस कमिश्नरेट लागू होने के बाद अपराधियों पर पुलिस ने कहर बरसाया। अतीक अहमद (आईएस 227 गैंग) का गैंग हो या फिर माफिया विजय मिश्र। संगठित गैंग के खिलाफ पुलिस ने ऐसा अभियान चलाया कि इनके गुर्गे या तो जेल भेजे गए या फिर वे शहर छोड़कर भाग निकले। जेल में बंद अपराधियों के खिलाफ पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर जेल में रिमांड बनवाया।
लूटपाट की घटनाएं थमीं
शहर में लूट की घटनाओं में अंकुश लग गया है। कुछ माह पहले सिविल लाइंस में सात लाख की लूट हुई थी जिसका पुलिस ने खुलासा किया।
माफिया अतीक अहमद को सजा दिलाई
पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली में ही माफिया अतीक अहमद को सजा सुनाई गई थी। पुलिस ने दावा किया कि माफिया के खिलाफ कड़ी पैरवी और गवाहों की सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम के कारण ही यह संभव हो सका। इससे पूर्व 100 मुकदमा होने के बाद भी अतीक को किसी मामले में कभी सजा नहीं हुई थी।
इन घटनाओं से प्रयागराज थर्राया
-उमेश पाल हत्याकांड कमिश्नरेट प्रणाली में 24 फरवरी 2023 को पहली बड़ी घटना हुई। माफिया अतीक अहमद के बेटे असद ने कार और बाइक सवार शूटरों के साथ उमेश पाल और उसकी सुरक्षा में लगे दोनों सिपाहियों की गोली और बम मारकर हत्या कर दी। तिहरे हत्याकांड में आज भी पांच-पांच लाख के तीन इनामी शूटर गुड्डू मुस्लिम, साबिर और अरमान फरार हैं।
-अतीक और अशरफ की हत्या कमिश्नरेट लागू होने के बाद दूसरी बड़ी घटना 15 अप्रैल 2023 को हुई। पुलिस हिरासत में उमेश पाल हत्याकांड के आरोपी अतीक और अशरफ की हत्या कर दी गई। शूटर सनी सिंह, लवलेश तिवारी और अरुण मौर्या ने दोनों भाइयों की हत्या कर सरेंडर कर दिया था।
तीनों डीसीपी को नहीं मिल सका कार्यालय
पब्लिक की मदद के लिए पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू की गई। प्रयागराज कमिश्नरेट को तीन जोन में बांटा गया। शहर, गंगा नगर और यमुना नगर। पब्लिक की सहूलियत के लिए आदेश हुआ कि हर डीसीपी अपने जोन में बैठेंगे। इसके लिए उनके जोन में कार्यालय बनाया जाएगा, लेकिन आज तक उनका कार्यालय नहीं बन पाया। यमुनानगर के डीसीपी का नैनी क्षेत्र में कार्यालय बनाया जाना प्रस्तावित है।
थानेदारों पर कम हुआ राजनीतिक दबाव
पुलिस कमिश्नरेट लागू होने का थानेदारों को सबसे ज्यादा फायदा मिला। उन पर स्थानीय राजनीतिक दबाव कम हो गया है। धूमनगंज इंस्पेक्टर राजेश मौर्या, खुल्दाबाद इंस्पेक्टर अनुराग शर्मा और शंकरगढ़ एसओ मनोज सिंह आदि कमिश्नरेट लागू होने के पहले से बने हुए हैं।
शहर में जाम की समस्या बनी रही
कमिश्नरेट लागू होने के बाद भी शहरियों को जाम से पूरी तरह से निजात नहीं मिली। पुराने शहर चौक में आज भी जाम की वही स्थिति बनी है। कई बड़े आयोजन पर भी पूरे शहर में जाम लगा रहा। जाम से छुटकारा दिलाने के लिए पुलिस कमिश्नर ने थानेदारों की जिम्मेदारी तय की। फिर भी समस्या बनी हुई है।
संगीन अपराधों पर निगरानी हुई तेज
कमिश्नरेट प्रणाली में संगीन अपराधों में मॉनीटरिंग तेज हो गई। हर बैठक में उसकी समीक्षा होने लगी। इसी तरह से महिला अपराध में भी सीधे पुलिस कमिश्नर तक मामला पहुंचने के कारण कार्रवाई में तेजी आई। एक घटना को छोड़कर हर ब्लाइंड मर्डर का खुलासा हो चुका है।
गुंडा एक्ट में पुरानी फाइलें खुलीं
पुलिस कमिश्नरेट में राजनीति दबंगों की दबंगई भी सामने आई। गुंडा एक्ट के तहत आदेश के बाद भी थानों से लेकर अन्य विभागों तक उनकी फाइलें दबी थीं। पुलिस कमिश्नर की कोर्ट में 2007 तक के पुराने मामले सामने आए हैं। सभी पुरानी फाइलों के आधार पर नोटिस जारी किया गया है।